Jodhpur News: किसी व्यक्ति में जीने की इच्छाशक्ति प्रबल हो तो वह संघर्ष कर अपनी कमजोरी पर विजय प्राप्त कर दूसरों के लिए मिसाल कायम करता है. ऐसी ही एक सामजसेविका थी जोधपुर दिव्यांग विश्वविद्यालय की डॉ. कुसुम लता भंडारी, जिनका कल यानी सोमवार को निधन हो गया. उनका अंतिम संस्कार आज यानी मंगलवार शाम 4.30 बजे किया जाएगा. उनके निधन से जिले के कॉलेजों और विद्यार्थियों में शोक की लहर दौड़ गई है. डॉ. कुसुम लता हमेशा एक बेहतरीन इंसान के साथ-साथ समाजसेवी भी थीं.
पोलियो की मार से शरीर का पूरा हिस्सा था बेजान
उनका पूरा शरीर पोलियो से ग्रसित था, जिसके कारण उनकी गर्दन के नीचे का हिस्सा काम नहीं करता था, लेकिन फिर भी उन्होंने कभी हार नहीं मानी. 19 दिसंबर को उन्होंने अपना जन्मदिन मनाया. अपने जीवनकाल में उन्होंने सैकड़ों दिव्यांग छात्रों को शिक्षित किया और उन्हें जीवन के सर्वोच्च शिखर पर पहुंचाया. उनका संघर्ष, समर्पण और हंसमुख व्यक्तित्व छात्रों के बीच हमेशा बना रहा. उन्होंने बिना स्कूल जाए हाईस्कूल की परीक्षा पास की और फिर लेक्चरर बन गईं. हाल ही में वे दिव्यांग विश्वविद्यालय के निर्माण और अन्य सुविधाओं के लिए कई दिनों तक सक्रिय रहीं थी.
दिव्यांग छात्रों को बनाया सशक्त
दिव्यांगों के लिए शिक्षा और रोजगार की कमी को देखते हुए उन्होंने एक पहल के रूप में प्रज्ञा निकेतन नाम से एक छात्रावास की शुरुआत की. यहां दिव्यांग छात्रों को न केवल निःशुल्क आवास और भोजन मिलता है, बल्कि उन्हें शिक्षा और रोजगार के लिए प्रशिक्षण भी दिया जाता है. वे लंबे समय तक इस प्रज्ञा निकेतन नेत्रहीन छात्रावास की संस्थापक और मुख्य निदेशक के रूप में कार्यरत रहीं.
सम्मान और उपलब्धियां
कुसुमलता भंडारी को उनकी उपलब्धियों के लिए कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है. राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा, एपीजे अब्दुल कलाम और प्रतिभा पाटिल ने उन्हें सम्मानित किया है. इसके अलावा, फिल्म अभिनेता आमिर खान ने भी उन्हें सुपर आइडल का अवॉर्ड दिया. 70 से अधिक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार उनकी झोली में हैं, और आज वह किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं.