Rajasthan News: आजादी के 75 साल बाद भी भारत का सबसे बड़ा राज्य बाल विवाह का दंश झेल रहा है. राजस्थान में आज भी लड़की के पैदा होते ही उसका बाल विवाह (Rajasthan Child Marriage) किया जा रहा है. सोमवार को जोधपुर (Jodhpur) जिले से ऐसा ही एक मामला सामने आया है, जहां महज 4 महीने की उम्र में बाल विवाह की बेड़ियों में जकड़ी अनिता को करीब 20 साल बाद मुक्ति मिली है.
'पहली बार बालिका वधु को मिला मुकदमें का खर्च'
राजस्थान की फैमिली कोर्ट ने अनीता के बाल विवाह को रद्द कर दिया. यह मामला बाल विवाहों को रद्द करने के पिछले मामलों से थोड़ा अलग था, क्योंकि कोर्ट ने उसके पति को आदेश दिया कि मुकदमेबाजी में अनीता ने जो पैसा खर्च किया है, वो उसे दे.
'15 साल की होते ही ससुराल भेजने का बनाया दवाब'
किसान की बेटी अनीता की शादी चार महीने की उम्र में ही कर दी गई थी. जब अनीता 15 साल की हुई तो उसके ससुराल वालों ने उसे ससुराल भेजने का दबाव बनाना शुरू कर दिया. इस दौरान कई तरह से डायरेक्ट और इनडायरेक्टर तरह से धमकियां भी दी गईं. लेकिन अनीता, अपने बड़े भाई और बहन की मदद से ससुराल जाने से इनकार करती रही. इसी दौरान उसकी मुलाकात सार्थी ट्रस्ट की प्रबंध ट्रस्टी कृति भारती से हुई, जिन्होंने न सिर्फ कोर्ट के जरिए बाल विवाह को रद्द कराने में मदद की, बल्कि पहली बार बालिका वधु को वाद खर्च भी दिलवाया.
भारती ने कहा, 'सोमवार को फैमिली कोर्ट के जज वरुण तलवार ने बाल विवाह को रद्द करने का आदेश दिया. साथ ही ससुराल वालों को मुकदमे का खर्च भी देने का निर्देश दिया'. आदेश में कहा गया है, 'बाल विवाह न केवल एक बुराई है, बल्कि एक अपराध भी है. इससे बच्चों का भविष्य खराब होता है. अगर लड़का या लड़की बाल विवाह जारी नहीं रखना चाहते हैं, तो उन्हें बाल विवाह रद्द करने का अधिकार है. बाल विवाह की बुराई को खत्म करने के लिए समाज स्तर पर महत्वपूर्ण प्रयासों की आवश्यकता है.'
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