NDTV Ground Report: पश्चिमी राजस्थान के अस्पतालों की सुरक्षा में बड़ी चूक, CCTV खराब और महिला वार्ड में अंधेरा; 600 बेड के अस्पताल में सिर्फ दो गार्ड

Jodhpur Hospitals Reality Check:  जोधपुर के महात्मा गांधी अस्पताल में नाबालिग से गैंगरेप के बाद NDTV की टीम दो अस्पतालों की रियलिटी चेक करने पहुंची. अस्पताल की सुरक्षा की पोल खुल गई.

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Jodhpur Hospital Gang Rape Case: राजस्थान में जोधपुर के सरकारी महात्मा गांधी अस्पताल में 15 वर्ष की एक नाबालिग लड़की के साथ गैंगरेप ने सरकारी अस्पतालों की व्यवस्था पर सवालिया निशान लगा दिया है. कितने सुरक्षित हैं पश्चिमी राजस्थान के सरकारी अस्पताल? इसका एक अंदाजा लेने के लिए NDTV ने राज्य के तीन बड़े सरकारी अस्पतालों का रियलिटी चेक किया. यह अस्पताल थे-बाड़मेर का राजकीय मेडिकल कॉलेज, जैसलमेर का जिला अस्पताल (राजकीय जवाहर चिकित्सालय) और जोधपुर का मथुरादास माथुर अस्पताल. इन  तीनों अस्पतालों की सुरक्षा की पोल खुल गई. पहले हम बाड़मेर के राजकीय मेडिकल कॉलेज की रियलिटी बताएंगे. उसके बाद जैसलमेर के जिला अस्पताल की रियलिटी बताएंगे. फिर जोधपुर का मथुरादास माथुर अस्पताल के बारे में बताएंगे. 

बाड़मेर के राजकीय मेडिकल कॉलेज का रियलिटी चेक

बाड़मेर का राजकीय मेडिकल कॉलेज अस्पताल जिले का सबसे बड़ा अस्पताल है. यह अस्पताल न्यू ट्रिचिंग, गायनिक और ओल्ड बिल्डिंग तीन हिस्सों में चल रहा है. एनडीटीवी की टीम सबसे पहले सुरक्षा व्यवस्था की पड़ताल के लिए इमरजेंसी वार्ड पहुंची, तो वहां पर सुरक्षा गार्ड नदारद मिला, इस पर जब टीम ने नर्सिंग स्टाफ से सवाल किया, तो एक युवक भागता हुआ पहुंचा. बताया कि वह सिक्योरिटी गार्ड है. खाना लेने गया हुआ था. लेकिन, युवक ना तो यूनिफॉर्म में था और ना ही किसी प्रकार का सुरक्षा से संबंधित कोई संसाधन उसके पास था.

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बाड़मेर का राजकीय मेडिकल कॉलेज अस्पताल, यहां पर कोई गार्ड नहीं है.

गायनिक वार्ड में नजर नहीं आया सिक्योरिटी गार्ड 

इमरजेंसी की पड़ताल के बाद एनडीटीवी की टीम अस्पताल के महिला एवं शिशु वार्ड यानी गायनिक वार्ड पहुंची. यह वही वार्ड है, जहां पर कई बार मोबाइल, सामान और बच्चा तक चोरी हो चुके हैं. यह वार्ड तीन मंजिला बिल्डिंग में संचालित हो रहा है. पूरी बिल्डिंग में कही भी सिक्योरिटी गार्ड नजर नहीं आया. लेकिन, पोस्ट डिलीवरी ऑपरेटिव वार्ड के बाहर एक युवक मिला. उसने बातचीत में बताया कि वह रात 8 बजे से सुबह 8 बजे तक इस वार्ड के गेट पर खड़ा रहता है.वार्ड के अंदर पुरुषों को आने से रोकता है. बाकी सिक्योरिटी से उसका कोई लेना-देना नहीं है. 

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बाड़मेर का राजकीय मेडिकल कॉलेज अस्पताल की ओल्ड बिल्डिंग है. यहां पर सन्नाटा पसरा है.

बिल्डिंग में कई जगह चारो तरफ अंधेरा 

इस बिल्डिंग के अंदर कई ऐसे रूम और गैलरी नजर आई, जहां पर अंधेरा था. ऐसे में इन जगहों पर मरीजों और तीमारदार को जाने से भी डर लगता है. कई मरीजों के परिजन का कहना है कि सिक्योरिटी गार्ड नहीं होने के चलते रात में चोरी होना आम बात है, ऐसे में परिजन ही बारी-बारी से जाग कर सामान और बच्चों की निगरानी करने को मजबूर हैं. 

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इस बिल्डिंग के अंदर कई ऐसे रूम और गैलरी नजर आई, जहां पर अंधेरा था. ऐसे में इन जगहों पर मरीजों और तीमारदार को जाने से भी डर लगता है. कई मरीजों के परिजन का कहना है कि सिक्योरिटी गार्ड नहीं होने के चलते रात में चोरी होना आम बात है, ऐसे में परिजन ही बारी-बारी से जाग कर सामान और बच्चों की निगरानी करने को मजबूर हैं. 

गार्ड के पास कोई सुरक्षा के उपकरण भी नहीं थे 

NDTV की टीम जब पूरे गायनिक वार्ड की सुरक्षा व्यवस्था की पड़ताल करके बाहर निकली तो एक युवक भागता हुआ पहुंचा. बताया कि वह गार्ड है, और उसकी ड्यूटी गायनिक वार्ड के गेट पर लगी है. लेकिन, अपने आप को सिक्योरिटी गार्ड बताने वाले युवक ना तो यूनिफॉर्म पहना था और न ही वो गेट पर खड़ा था. उसने बताया कि उसकी ड्यूटी कहीं और लगी हुई है. लेकिन, आज ही उसे इस वार्ड के आगे लगाया गया है. 

बाड़मेर राजकीय मेडिकल कॉलेज अस्पताल का गायनिक वार्ड है. यहां पर अंधेरा है.

फीमेल मेडिकल वार्ड की गली में अंधेरा और सुनसान थी गैलरी  

इमरजेंसी और गायनिक वार्ड की सुरक्षा व्यवस्था की पड़ताल के बाद एनडीटीवी की टीम फीमेल मेडिकल वार्ड पहुंची, जो पुरानी बिल्डिंग में है. इस वार्ड के अधिकतर हिस्सों में अंधेरा नजर आया. वार्ड के आगे गैलरी सुनसान था. इस बारे में जब वार्ड के नर्सिंग स्टाफ से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि चार वार्डों को एक हेल्पर दे रखा है, जो किसी भी आपात स्थिति में बुलाने पर आता है. सुरक्षा व्यवस्था के नाम पर सिर्फ इमरजेंसी के बाहर एक गार्ड तैनात है, जिसे जरूरत होने पर बुलाया जाता है. नर्सिंग स्टाफ का कहना है कि कई बार अस्पताल प्रशासन से गार्ड लगाने की मांग की, लेकिन अस्पताल प्रशासन ने इसको लेकर गंभीरता नहीं दिखाई. मरीज के साथ नर्सिंग स्टाफ खुद को भय में काम करना पड़ रहा है. 

अब जैसलमेर के जिला अस्पताल की रियलिटी चेक पढ़िए...

अब हम आपको जैसलमेर के जिला अस्पताल (राजकीय जवाहर चिकित्सालय) की रियलिटी बताएंगे. 27 अगस्त की रात को NDTV का  जैसलमेर के जिला अस्पताल पहुंचा. अस्पताल के मुख्य गेट से लेकर पूरे परिसर में मात्र एक गार्ड नजर आया, वो भी बिना यूनिफॉर्म का था. 

जैसलमेर में अस्पताल के बाहर अंधेरा है.

अस्पताल में गार्ड नहीं होने से डर के साए में रहते हैं मरीज 

जब हम  जब हम हॉस्पिटल के ट्रॉमा सेंटर में पहुंचे तो एक शख्स नजर आया. उसका दावा था कि वो गार्ड है. लेकिन, उसने न तो कोई यूनिफॉर्म पहनी थी और न कोई सुरक्षा के लिए हथियार था. लाठी तक नहीं थी. जब हमने डॉक्टर्स से बातचीत की तो उन्होंने कहा, गार्ड होने चाहिए. ट्रॉमा में एक गार्ड है. बाकी हॉस्पिटल में भी होंगे. हमने जब पूछा कि हमें कोई नजर नहीं आया, तो उनके पास कोई जवाब नही था. उन्होंने भी सुरक्षा के लिए इंतजाम करने की मांग सरकार से की.

जैसलमेर जिला अस्पताल में एक ही सुरक्षा गार्ड था. उसके पास सुरक्षा के लिए डंडा तक नहीं था

हॉस्पिटल के अंदर मेडिकल वार्ड में भी अंधेरा

इतना ही नही हॉस्पिटल के अंदर मेडिकल वार्ड के बाहर भी अंधेरा था. न कोई एंट्री, न कोई पूछने वाला और यहां की सुरक्षा व्यवस्था राम भरोसे नजर आई. मेडिकल स्टाफ ने तमाम हकीकत और हालात बताए.

जोधपुर के मथुरादास माथुर अस्पताल की रियलिटी चेक  

एनडीटीवी की टीम पश्चिमी राजस्थान के सबसे बड़े मथुरादास माथुर अस्पताल पहुंची. जायजा लिया की रात में अस्पताल कितने सुरक्षित हैं. एनडीटीवी की टीम ने मथुरादास माथुर अस्पताल में रेजिडेंट डॉक्टर के बने हॉस्टल की तरफ सड़क का जायजा लिया तो पूरी सड़क पर चारों तरफ अंधेरा और बरसात के कारण सड़कें टूटी थीं. सड़कों पर गंदा पानी भरा हुआ था.  रेजिडेंट डॉक्टरों में भी भय का अंदेशा बना हुआ था.

डॉक्टर अपनी सुरक्षा पर दिखे चिंतित 

रेजिडेंट डॉक्टरों ने पश्चिम बंगाल की हुई घटना और सोमवार को जोधपुर के महात्मा गांधी अस्पताल में नाबालिक के साथ हुई दुष्कर्म की घटना को लेकर चिंता जाहिर की.  अपनी सुरक्षा को लेकर भी वह काफी चिंतित दिखे.  एनडीटीवी ने अस्पताल के चारों तरफ घूम कर देखा तो इतने बड़े अस्पताल में ज्यादातर हिस्से में अंधेरा ही अंधेरा नजर आ था.

अस्पताल के गेट नंबर एक पर लगा ताला 

कहीं से लगता नहीं कि यह संभाग का सबसे बड़ा अस्पताल है.  पूरे अस्पताल में अंधेरे में कोई भी कुछ गलत हरकत करके निकल जाए तो कोई टोकने वाला नहीं.  अस्पताल में गार्डों के अभाव में अस्पताल का मुख्य एक नंबर के गेट पर शाम को 7:00 बजे ताला लगा दिया जाता है. इमरजेंसी ट्रॉमा सेंटर में जाने वाले रास्ते पर गंदगी और कीचड़ फैला हुआ है. 

कोई गार्ड ड्यूटी पर नजर नहीं आया 

प्रशासनीक खंड की तरफ भी सिर्फ दो ट्यूबलाइट के भरोसे रोशनी थी.  डॉक्टरों ने पिछले दिनों देश भर में आंदोलन किया था,  उसके बाद सुप्रीम कोर्ट और राज्य सरकार ने भी डॉक्टरों को आश्वासन दिया था.  लेकिन, जमीन पर धरातल पर कहीं भी सेफ्टी के नॉर्म्स नजर नहीं आ रहे थे, और ना ही कोई गार्ड ड्यूटी पर नजर आया.  वहीं रोड लाइट पूरी तरह से बंद नजर आई. डॉक्टर ने बताया कि किस तरह से असामाजिक तत्व कई बार तेज आवाज में बाइक लेकर दौड़ते रहते हैं, तो कई नशेड़ी इन सुनसान जगह पर नशा करते रहते हैं लेकिन कोई टोकने वाला नहीं.