काजरी में देश की अनूठी पहल, कश्मीर से कन्याकुमारी तक के मिट्टी की 7 दिन नहीं, अब चंद सेकंड में होगी जांच 

मिट्टी में मौजूद तत्वों की मात्रा सही अनुपात में होने पर ही अच्छी उपज प्राप्त की जा सकती है. अब जोधपुर के काजरी में हुए नए पहल से कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक हर तरह की मिट्टी की जांच की जा सकेगी. 

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मिट्टी के जांच के दौरान की तस्वीर

Rajasthan News: केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के अधीन आने वाले जोधपुर में स्थित केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान 'काजरी' जोधपुर में देशभर की मिट्टी के परीक्षण के लिए करोड़ रुपये की लागत से अनूठी लैब स्थापित की गई है. जिसमें कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक के अलग-अलग मिट्टी के परीक्षण किए जा सकेंगे. साथ ही किसानों के लिए भी काम किए जा रहे हैं.

देशभर में 6 ऐसे केंद्र स्थापित किए गए हैं जिसका मुख्यालय जोधपुर काजरी में स्थित है. पहले जहां मिट्टी के परीक्षण के लिए 7 दिन लगते थे, वहीं अब 65 लाख रुपये की लागत से विशेष सेंसर युक्त मशीन के जरिए मात्र 7 सेकंड में ही मृदा का वैज्ञानिक रूप से परीक्षण कर मिट्टी में मौजूद तत्वों की मात्रा की रिपोर्ट भी तैयार कर दी जाती है.

काजरी में देशभर से आए मिट्टी के सैंपल

काजरी में अब तक देश भर के विभिन्न कोनों से करीब 1800 से अधिक मिट्टी के सैंपल को संग्रहित किया है. काजरी में इस मशीन के लिए एक विशेष डार्क रूम भी बनाया गया है और इस विशेष सेंसर युक्त मशीन में चंद्रयान-2 में चांद की सतह की मिट्टी का परीक्षण करने के लिए लगाए गए सेंसर का ही उपयोग किया गया है.

आमतौर पर देखा जाता है कि किसानों में मिट्टी को लेकर जानकारी न होने के चलते काफी नुकसान का सामना करना पड़ता है. अब काजरी में 7 दिनों में होने वाला मृदा परीक्षण अब मात्र 7 सेकंड में ही होना संभव हो पाया है.

वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रियबर्ता सांत्रा ने बताया कि जिस प्रकार से हमारे देश में एक विशेष प्रोजेक्ट चल रहा है, जिसमें हाइपरस्पेटकल, रिमोर्ट सेंसिंग और 'हाइपरस्पेटकल रिफ्लेक्टिनग इन द सॉइल' काम मेजरमेंट करके और मिट्टी की प्रॉपर्टी जैसे नाइट्रोजन कंटेंट, फास्फोरस कंटेंट, पोटैशियम कंटेंट की मात्रा साथ ही मैग्नोटिम कंटेंट की मात्रा इन सभी का एनालिसिस किया जाता है.

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पश्चिम राजस्थान में इसकी जरूरत

पश्चिम राजस्थान में मृदा संसाधन का अत्यधिक दोहन भी मृदा की उर्वरा शक्ति व गुणात्मक क्षमता में ह्रास के रूप में प्रकट हो रहा है. पश्चिमी राजस्थान में पाई जाने वाली मृदाओं में कार्बनिक कार्बन की मात्रा बहुत कम पाई जाती है. साथ ही लवणीयता एवं क्षारीयता की समस्या भी उत्पादन में कमी के प्रमुख कारक है. जब तक हमें मृदा की समस्याओं एवं उसमें उपलब्ध कार्बनिक कार्बन और पोषक तत्वों के बारे में जानकारी न हो, तब तक उसका उचित प्रबंधन नहीं किया जा सकता है.

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