Ram Mandir: रावण की ससुराल से 108 रथों पर अयोध्या जाएगा 600 Kg देसी घी, इसी से होगी भगवान राम की पहली आरती

गाय के देसी घी को खराब होने से बचाने के लिए हरिद्वार से 5 जड़ी बूटियां लाकर उसमें मिलाई गई हैं. इसके साथ ही घी को स्टील की टंकी में डालकर AC के जरिए 16 डिग्री तक के तापमान में रखा गया है. इसी कारण ये घी 9 साल बाद भी पहले जैसा ही है.

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राम मंदिर (फाइल फोटो.)

Rajasthan News: रामायण में दर्ज है कि भगवान राम और रावण के बीच में युद्ध हुआ था, लेकिन इस बार रावण के ससुराल से अयोध्या में बनने वाले राम मंदिर (Ram Mandir) में भगवान राम की पहली आरती और महायज्ञ के लिए जोधपुर (Jodhpur) से विशेष तौर से इकट्ठा किया हुआ 108 कलश शुद्ध देसी गाय का घी 108 रथों पर रखकर ले जाया जाएगा, और इसी घी से मंदिर की अखंड ज्योत को भी प्रज्वलित किया जाएगा. जोधपुर के बनाड़ रोड पर स्थित संदीपन राम धर्म गौशाला के महाराज 2014 से ही इस घी को इकट्ठा कर रहे थे. उनका सपना था कि जब भी राम मंदिर बनेगा तब उन्हीं की गौशाला से इकट्ठा किया हुआ घी वह राम मंदिर को समर्पित करेंगे.

गौशाला खोलने का विचार कैसे आया

गौशाला के संचालक महर्षि संदीपन  महाराज ने बताया कि 2014 में उन्होंने गायों से भरे हुए एक ट्रक को रुकवाया था जो जोधपुर से गोकशी के लिए ले जाया जा रहा था. उस ट्रक में करीब 60 गाये थीं. महाराज ने इन गायों को छुड़ाकर आसपास की गौशाला में लेकर गए तो सभी ने इन गायों को रखने से मना कर दिया. अंत में उन्होंने खुद निर्णय लिया कि वह खुद की गौशाला शुरू करेंगे और इन गायों को पालेंगे. उस दौरान संदीपन महाराज ने संकल्प लिया कि वह इन गायों से इकट्ठा होने वाले घी को राम मंदिर बैलों में लेकर जाएंगे. उन्होंने जब अपना संकल्प आसपास के गांव वालों को बताया तो लोगों ने पहले तो इसे मजाक समझा, लेकिन धीरे-धीरे लोगों को महाराज के संकल्प का एहसास हुआ तो वह भी गौशाला आए और वे लोग भी सहयोग करने लगे.

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9 साल बाद भी खराब नहीं हुआ घी

2014 से घी इक्कट्ठा करने के साथ ही कई बार गर्मी की वजह से मटकियों में से घी पिघल कर बाहर आने लगा और मटके में दरार भी आने लगी. एक दो बार तो घी खराब भी हो गया. बाद में किसी दूसरे संत ने संदीपन महाराज को बताया कि पांच अलग-अलग जड़ी बूटियों के रस से घी को कई सालों तक सुरक्षित स्टोरेज रखा जा सकता है. ऐसे में वे हरिद्वार गए और वहां से ब्राह्मी व पान की पत्तियां समेत अन्य जड़ी बूटियां लेकर आए और इनका रस तैयार करके घी मिलाया. इसके बाद इस घी को स्टील की टंकी में डालकर AC के जरिए 16 डिग्री तक के तापमान में रखा और सुरक्षित स्टोरेज का ही नतीजा है कि 9 साल बाद भी यह घी पहले जैसा ही है और यह घी जो स्टील की टंकियां में इन्हें स्टोरेज कर रखा गया है, जिसमें 600 क्विंटल घी है, जो अयोध्या ले जाया जाएगा.

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गायों की डाइट पर रखा खास ध्यान

संदीपन महाराज ने बताया कि शुद्ध देसी घी के लिए उन्होंने गायों की डाइट को भी बदल दिया, क्योंकि यदि घी में मिलावट हो तो वह जल्दी खराब हो जाता है और उन्होंने जो देसी घी तैयार किया है. वह प्राचीन परंपरा के अनुसार तैयार किया है जिसकी वजह से यह खराब नहीं होता. वहीं गाय की डाइट में भी गायों को हरा चारा, सूखा चारा और पानी ही दिया जाता है. इसके अलावा बाकी सारी चीजों पर उन्होंने पाबंदी लगा दी. यहां तक की गौशाला में आने वाले लोगों को भी साफ हिदायत दी गई कि इन गायों को बाहर से लाया हुआ कुछ ना खिलाया जाए. गौशाला में 24 घंटे भगवत गीता का श्लोक बजते रहते हैं.

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60 से बढ़कर 350 हुई गायों की संख्या

9 साल में इस गौशाला में गायों की संख्या 60 से बढ़कर 350 हो गई और इनमें अधिकांश वे गोवंश हैं जो सड़क पर किसी हादसे का शिकार थे या बीमार थे. गायों की संख्या बढ़ी तो घी की मात्रा भी बढ़ने लगी. घी को जड़ी बूटियां के रस से तो सुरक्षित रखा ही जाता है, लेकिन इसके अलावा भी पूरे घी को हर 3 साल में एक बार पांच जड़ी बूटियां मिलाकर उबाला जाता है और घी के बर्तनों को अच्छी तरह साफ किया जाता है. यही कारण है कि इतने साल में भी यह घी खराब नहीं हुआ और इसके अलावा जिस कमरे में घी स्टोर किया जा रहा है उसमें भी साफ सफाई के साथ हर चीज का ध्यान रखा जाता है.

27 नवंबर को रवाना होंगे 108 रथ

27 नवंबर को 108 रथ जोधपुर से 600 किलो घी लेकर अयोध्या के लिए रवाना होंगे. हर रथ में दो बैल होंगे. यात्रा के दौरान हर रथ के लिए एक ट्रोला होगा जो एक शहर से दूसरे शहर की दूरी ट्रोले के माध्यम से तय की जाएगी. शहर में पहुंचने के बाद रथ यात्रा निकाली जाएगी. ट्रोले में रथ बैल और तीन सेवादार हर एक ट्रोले में होंगे. किसी भी शहर में पहुंचने से पहले उन बैल और रथ को नीचे उतर कर यात्रा निकाली जाएगी. शहर से बाहर वापस आने पर उन्हें फिर ट्रोले में चढ़ा दिया जाएगा, जिससे पशुओं के ऊपर भी अत्याचार नहीं हो और लोगों को पता लगे की राजस्थान के जोधपुर से शुद्ध देसी घी अयोध्या में राम मंदिर की आरती के लिए जा रहा है. जोधपुर से अयोध्या की दूरी 1150 किलोमीटर की है और यह दूरी 21 दिनों में पूरी की जाएगी. हर दिन 50 से 60 किलोमीटर की दूरी तय की जाएगी और यात्रा 18 दिसंबर को अयोध्या पहुंच जाएगी. यात्रा के दौरान शहर के प्रमुख चार से पांच मंदिरों के दर्शन भी करने की योजना है और यह सिलसिला जोधपुर से शुरू होकर अयोध्या तक जारी रहेगा. 

पूरी यात्रा पर खर्च होंगे 10 करोड़

लखनऊ शहर में यह यात्रा 5 दिनों तक रहेगी और पूरे लखनऊ शहर में इस यात्रा को बैलों के साथ घुमाया जाएगा और इन रथ में राम जन्म से लेकर राज तिलक तक की झांकियां भी शामिल रहेंगी. एक रथ पर 3:30 लाख रुपए का खर्च आ रहा है और इस पूरी यात्रा में करीब 10 करोड़ रुपए खर्च होने की संभावना है. इसके लिए राम भक्तों से और भामाशाहों से भी सहयोग मांगा गया है. इस रथ यात्रा में शामिल होने वाले 324 लोगों का चयन गौशाला में रजिस्ट्रेशन के आधार पर हुआ है और यात्रा जिस दिन जिस गांव या शहर में होगी, वहां के लोगों और सामाजिक संस्थाओं के सहयोग से इन यात्रियों और बैलों के खाने और सोने की व्यवस्था की जाएगी. अयोध्या में होने वाले महायज्ञ के लिए गांव से भी एक-एक मुट्ठी हवन सामग्री जुटाई जा रही है. मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के दौरान महायज्ञ भी होगा और महायज्ञ में भी इसी घी की आहुति दी जाएगी. इसके अलावा यज्ञ सामग्री भी जोधपुर से घी के साथ भेजी जायेगी और इसके लिए जन्माष्टमी के दिन 7 सितंबर से इसकी शुरुआत की जा चुकी है. हर गांव से एक-एक मुट्ठी हवन सामग्री एकत्रित की जा रही है. लक्ष्य है कि हवन सामग्री के लिए एक लाख राम भक्त इस महायज्ञ के लिए सहयोग करें.

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