सरकार द्वारा किसानों को उनकी फसलों का बीमा करवाया जाता है. लेकिन अब उसमें फर्ज़ीवाड़े के मामले सामने आ रहे है. मनरेगा के बाद गांवों में फसल बीमा योजना से जुड़े घोटाले सामने आने लगे है. कहा जा रहा है कि कई लोगों ने कभी खेत में खुरपी भी नहीं चलाई, ऐसे लोग फसल बीमा योजना का लाभ उठा रहे हैं . बीमा कंपनियों के कर्मचारियों के साथ मिलीभगत कर राज्य सरकार को करोड़ों की चपत लगाई जा रही है. जोधपुर के लूणी थाना क्षेत्र के सतलाना गांव के कुछ लोगों के खिलाफ फसल बीमा योजना के नाम पर फर्जी क्लेम उठाने के मामले दर्ज हुए हैं . गांव की सरपंच को पता लगा तो अब उन्होंने इस बाबत लूणी थाने में दो प्रकरण दर्ज करवाए है.
लूणी के सतलाना गांव मोडी की सरपंच तारा सीरवी की तरफ से मामले दर्ज करवाए गए हैं . इसमें बताया कि गांव का रहने वाला सरकारी नौकरी करने वाला कर्मचारी कृपाराम और जोधपुर शहर के खांडाफलसा ठाणे क्षेत्र के डबगरों की गली निवासी जुगल सांखला ने बीमा कंपनियों से मिलीभगत कर फसल बीमा योजना के तहत फर्जी तरीके से क्लेम को उठाया है.
केस -1 ज़मीन खनन की, काश्तकारी की बता कर उठा लिया पैसा
जुगल सांखला की एक जमीन सतलाना गांव में है. जिसके लिए खनिज का पट्टा जारी हो रखा है. जहां पर सिर्फ खनन कार्य किया जाता है. इन लोगों ने खनन भूमि को काश्तकारी भूमि बता कर फसल बीमा हासिल किया जो कि पूर्ण रूप से धोखाधड़ी का काम है. इनके द्वारा वर्ष 2020-21 में फसल बीमा की राशि उठाई गई है. जो कि धोखे से उठाई गई.
केस-2 बंजर ज़मीन पर दिखाया 52 फसलें कीं सब बर्बाद हुईं
इसी तरह एक और प्रकरण ग्राम पंचायत सतलाना की सदस्य धर्मी देवी ने ऐसा कृत्य कर बीमा कंपनी से सांठगांठ करते हुए फर्जी तरीके से फसल बीमा की राशि को उठाया है. उनके द्वारा 52 फसलों को दर्शाया गया. जबकि जांच करने पर पता लगा कि जिस जमीन पर काश्तकारी बताई वो हर तरह से अनुपजाऊ है.
वहां पर किसी तरह की खेती नहीं की जा सकती है. रिपोर्ट में आरोप है कि उक्त लोगों द्वारा बीमा कंपनियों से मिलीभगत और सांठगांठ कर फर्जी तरीके से फसल बीमा योजना की राशि को उठाया गया है. लूणी पुलिस की तरफ से धोखाधड़ी का प्रकरण दर्ज कर अब जांच आरंभ की गई है.
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