Rajasthan News: एक तरफ जहां केंद्र और राज्य सरकारें सरकारी विद्यालयों में शिक्षा के स्तर को बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास करने का दावा करती हैं, वहीं जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है. जोधपुर ग्रामीण के लूणी विधानसभा क्षेत्र में एक ऐसा गंभीर मामला सामने आया है, जहां राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय (राबाउमावि) की छात्राओं को शैक्षणिक सत्र शुरू हुए 4 महीने बीत जाने के बाद भी पूरी पाठ्यपुस्तकें वितरित नहीं की गई हैं. किताबें न मिलने से कक्षा 6 में पढ़ने वाली छात्राओं की शिक्षा बुरी तरह से प्रभावित हो रही है, जिससे उनके शैक्षणिक भविष्य पर सीधा खतरा मंडरा रहा है.
छात्राओं की जुबानी, दर्द की कहानी
विद्यालय की एक छात्रा तमन्ना ने अपनी पीड़ा बताते हुए कहा कि 4 महीने बीत चुके हैं, लेकिन उनके पास एक भी विषय की पुस्तक नहीं है. तमन्ना ने कहा, 'टीचर जो भी पढ़ा रहे हैं, वह बिना किताब के अच्छी तरह से समझ में नहीं आ रहा है. मेरे पास एक भी पुस्तक नहीं है, इसलिए हम सरकार से निवेदन करते हैं कि जल्द से जल्द किताबें उपलब्ध कराई जाएं ताकि हमारी पढ़ाई प्रभावित न हो.' स्कूल में अधिकांश छात्राएं एक-दूसरे की किताबों के सहयोग से पढ़ने को मजबूर हैं, लेकिन यह व्यवस्था भी अपर्याप्त साबित हो रही है, जिससे पाठ्यक्रम को समझने में गंभीर दिक्कतें आ रही हैं.
क्या कहता है स्कूल प्रशासन?
राबाउमावि लूणी की प्रधानाचार्य बीना शर्मा ने इस समस्या को स्वीकार किया है. उन्होंने बताया कि यह समस्या विद्यालय स्तर पर नहीं, बल्कि पीईईओ (Principal Elementary Education Officer) कार्यालय से किताबों की आपूर्ति में हो रही देरी के कारण आई है. प्रधानाचार्य ने बताया कि कक्षा 6 में कुल 41 छात्राएं हैं, जिन्हें आवश्यकता के अनुसार प्राप्त हुई पुस्तकों का वितरण कर दिया गया है. लेकिन आपूर्ति अपर्याप्त है. प्रधानाचार्य ने यह भी बताया कि छात्राओं को अभी आपस में एक-दूसरे का सहयोग करते हुए पढ़ने को कहा गया है, और शेष पुस्तकें आगे से प्राप्त होने पर तुरंत वितरित कर दी जाएंगी.
शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन
शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि सरकारी विद्यालय में सत्र शुरू होने के चार महीने बाद भी सभी छात्रों को पाठ्यपुस्तकें न मिलना शिक्षा के अधिकार (Right to Education- RTE) का सीधा उल्लंघन है. किताबें न होने से बच्चों का अधिगम स्तर (Learning Level) गिरता है, और वे पाठ्यक्रम को समझने में पिछड़ जाते हैं.
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