Jodhpur: मथुरादास अस्पताल की बिजली गुल, वेंटिलेटर बंद, डॉक्टर ढूंढते रहे परिजन, मरीज ने बेड पर तोड़ा दम

पिछले दिनों कोविड के लिए मॉक ड्रिल करते हुए कहा गया कि ऑक्सीजन की पर्याप्त व्यवस्था है. लेकिन इस घटना के बाद अस्तपताल संदेह के घेरे में आ गए हैं.

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(प्रतीकात्मक तस्वीर)

Rajasthan News: पश्चिमी राजस्थान के सबसे बड़े मथुरादास माथुर अस्पताल (Mathuradas Mathur Hospital) पर युवक की मौत के बाद परिजनों ने आरोप लगाते हुए हंगामा खड़ा कर दिया. परिजनों का आरोप है कि मृतक गोपाल सैन को कल शाम कैंसर रोग के चलते गंभीर हालत में भर्ती करवाया था. देर रात करीब चार बजे के आस पास बिजली चली गई और जनरेटर शुरू करने में देरी की गई. 

वहीं आरोप लगाया कि वेंटिलेटर पर बिजली नहीं होने से मृतक की हालत बिगड़ गई. इसके बाद परिजनों ने ड्यूटी स्टॉफ को ऑक्सीजन के लिए कहा तो सिलेंडर खाली थे. ऐसे में लापरवाही की वजह से मरीज की मौत हो गई.

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हंगामा बढ़ता देख पहुंचे अधिकारी

लापरवाही के चलते मरीज की मौत होने के बाद परिजनों ने सवेरे लापरवाही का आरोप लगाते हुए हंगामा खड़ा किया. हंगामा बढ़ता देख एमडीएम चौकी पुलिस भी मौके पर पहुंची, और मामला शांत करने का प्रयास किया गया. कुछ देर बाद अस्पताल अधीक्षक विकास राजपुरोहित भी मौके पर पहुंच गए. उन्होंने भरोसा दिलाया कि किसी प्रकार की लापरवाही हुई है तो कार्यवाही की जाएगी. उन्होंने तत्काल एक प्रोफेसर लेवल के अधिकारी के साथ मेडिकल जांच कमेटी का भी गठन किया है. 

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मरीज को थी कैंसर की बीमारी

अस्पताल अधीक्षक विकास राजपुरोहित ने बताया कि मरीज को कल शाम एम्स में भर्ती नहीं करने पर यहां लाया गया था और उसे लंग्स कैंसर के साथ-साथ और भी कई तरह की बीमारियां थी. क्रिटिकल हालत में ही मरीज को यहां लाया गया था. जिसके लिए उन्होंने खुद कल शाम को मरीज को अटेंड किया था और आज सुबह घटना की जानकारी मिलने पर सुबह भी वह अस्पताल पहुंचे थे.

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पर्याप्त ऑक्सीजन होने का दावा खोखला

अस्पताल प्रशासन भले ही मौत के बाद परिजनों को शांत करवाने के लिए कमेटी बनाने का दावा कर रहा है, लेकिन हर बार मौत के बाद केवल कमेटी ही बनाई जाती है, जिसका कोई असर नही दिखता. जो मरीज चला गया उसके परिजनों की भरपाई तो नहीं की जा सकती है. पिछले दिनों कोविड के लिए मॉक ड्रिल करते हुए कहा गया कि ऑक्सीजन की पर्याप्त व्यवस्था है, लेकिन देर रात को जो हुआ वो यह कहने के लिए काफी है कि अस्पताल के दावे खोखले ही साबित हो रहे हैं. वास्तविकता में मरीजों के उपचार में लापरवाही बरती जाती है. इस घटनाक्रम के अनुसार अगर मरीज को समय पर ऑक्सीजन मिल जाती तो मरीज की जान बच सकती थी.

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