विश्व प्रसिद्ध कालबेलिया नृत्य के लिए अपनी पहचान रखने वाला घुमंतू कालबेलिया समुदाय के किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती हैं तो आज भी अंतिम संस्कार के लिए जमीन की कमी से जूझ रहा है. बाड़मेर में एक ऐसी ही संवेदनहीनता वाली घटना सामने आई, जहां कालबेलिया समुदाय के दमाराम कालबेलिया की मौत के बाद उनके परिजनों को अंतिम संस्कार के लिए जगह नहीं मिली. आक्रोशित परिजनों ने शव को लेकर कलेक्ट्रेट की तरफ चल दिए, और सड़क पर शव रखकर प्रदर्शन शुरू कर दिया.
भाटी ने जमीन आवंटन की मांग रखी
घटना की सूचना पर जिला प्रशासन और पुलिस में हड़कंप मच गया. अधिकारी मौके पर पहुंचे, और समझाइश की कोशिश की. शिव विधायक रविंद्र सिंह भाटी भी मौके पर पहुंचे और समुदाय के लोगों के साथ प्रशासनिक अधिकारियों से चर्चा की. कालबेलिया समुदाय का कहना है कि वन विभाग ने उनकी पुरानी समाधियों के चारों ओर दीवार बनाकर पौधारोपण कर दिया है, जिसके कारण अंतिम संस्कार के लिए जगह नहीं बची. विधायक भाटी ने प्रशासन पर सवाल उठाते हुए कहा कि घुमंतू और भूमिहीन कालबेलिया समुदाय को अंतिम संस्कार के लिए सड़कों पर संघर्ष करना पड़ रहा है. उन्होंने प्रशासन से तत्काल प्रभाव से जमीन आवंटन की मांग की.
प्रदर्शन कर रहे लोगों को समझाते पुलिसकर्मी.
प्रशासन ने रात को कराया अंतिम संस्कार
इसके बाद रविवार रात में ही जोगी धोरा स्थित पुराने श्मशान घाट पर प्रशासनिक अधिकारियों और विधायक भाटी की मौजूदगी में दमाराम का अंतिम संस्कार किया गया. बाड़मेर के अतिरिक्त जिला कलेक्टर राजेंद्र सिंह चंदावत ने बताया कि चूंकि यह जमीन वन विभाग की आरक्षित है, इसे श्मशान के लिए आवंटित नहीं किया जा सकता. हालांकि, प्रशासन ने वन विभाग से बातचीत कर अंतिम संस्कार की अनुमति दिलवाई और अगले एक-दो दिनों में समुदाय के लिए नई जमीन चिह्नित कर श्मशान के लिए आवंटित करने का आश्वासन दिया. यह घटना कालबेलिया समुदाय की दयनीय स्थिति को उजागर करती है, जहां उन्हें अपनी सांस्कृतिक पहचान के बावजूद बुनियादी अधिकारों के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है.
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