Karauli School News: राजस्थान सरकार ने भले ही प्रदेश भर के सरकारी स्कूलों में मुफ्त किताबें भेजने का ऐलान किया हो, लेकिन करौली जिले में जमीनी स्तर पर हालात कुछ और ही कहानी बयां कर रहे हैं. जिले के ज्यादातर सरकारी स्कूलों में कक्षा 1 से 6 तक के विद्यार्थी अभी भी किताबों से वंचित हैं, जिससे कई महीनों से उनकी पढ़ाई प्रभावित हो रही है.
स्कूल के बच्चों के हाथों में नहीं दिखी किताबें
NDTV की ग्राउंड रिपोर्ट में जब बापू और बालिका विद्यालय का रियलिटी चेक किया गया, तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए. स्कूल के बच्चों के हाथों में अब भी किताबों की जगह वर्कबुक थी. कक्षा में पढ़ाई सिर्फ़ शिक्षक द्वारा दिए गए लिंक के ज़रिए हो रही थी. कुछ स्कूल ऐसे भी थे जिनमें शिक्षक खुद तैयार की गई सामग्री से बच्चों को पढ़ा रहे थे.
नए विषय जोड़े जाने के कारण छपाई में हो रही है देरी
जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) इंद्रेश शर्मा ने इस स्थिति की जानकारी देते हुए बताया कि इस बार कक्षा 1 से 6 तक की किताबों में राजस्थान की धार्मिक, सांस्कृतिक और विरासत से जुड़े नए विषय जोड़े गए हैं, जिसके कारण किताबों की छपाई और वितरण में देरी हुई है. उन्होंने बताया कि कक्षा 7 और 8 के विद्यार्थियों को पिछले साल की किताबों से ही पढ़ाया जा रहा है, क्योंकि उनके पाठ्यक्रम में कोई बदलाव नहीं किया गया है.
सीखने की प्रक्रिया हो रही है प्रभावित
हालांकि, शिक्षक और अभिभावकों की चिंता इस बात को लेकर है कि शैक्षणिक सत्र शुरू हुए महीनों बीत चुके हैं, लेकिन अब तक किताबें नहीं पहुंची हैं. इससे बच्चों का बुनियादी ज्ञान और सीखने की प्रक्रिया बुरी तरह प्रभावित हो रही है.
ब्लैकबोर्ड पर लिखी बातें ही कॉपियों पर लिखते हैं बच्चे
गांव के स्कूलों में यह समस्या और भी गंभीर है, जहां डिजिटल संसाधन सीमित हैं. कई स्कूलों में तो बच्चों ने अब तक किताबें भी नहीं देखी हैं, और वे सिर्फ़ ब्लैकबोर्ड पर लिखी बातें ही कोरी कॉपियों पर लिखते हैं. अभिभावकों और ग्रामीणों ने शिक्षा विभाग से मांग की है कि जल्द से जल्द किताबें बांटी जाएं, ताकि गरीब और ग्रामीण इलाकों के बच्चों को भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके.
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