Rajasthan News: राजस्थान के बूंदी जिले को 'छोटी काशी' भी कहा जाता है. ये नाम इसलिए रखा गया क्योंकि यहां पग-पग पर मंदिर-मस्जिद हैं, जिनका इतिहास बहुत प्राचीन है. हम आपको आज ऐसे ही ऐतिहासिक मंदिर से रूबरू करवा रहे हैं जो ऐतिहासिक ही नहीं, बल्कि राजस्थान का इकलौता मंदिर है. जी हां, हम बात कर रहे हैं केशवराय भगवान की जो बूंदी शहर से केशवरायपाटन क्षेत्र में 45 KM दूर चंबल नदी के तट पर बना हुआ है.
मान्यता के अनुसार चंबल नदी भगवान केशव राय के चरणों को छूने के बाद यू-टर्न कर लेती है, और इस जगह से नदी का नाम चारण्यमति नदी हो जाता है. इसका निर्माण 1641 में बूंदी के राव राजा छत्र शाल ने करवाया था. मंदिर में राव राजा रघुवीर सिंह 1959 में लगवाए गए एक शिलालेखनुसार मंदिर में दो प्रतिमाएं स्थापित हैं. एक प्रतिमा श्री केशवरायजी की जो श्वेत संगमरमर की हैं और मुख्य मंदिर में है, तथा दूसरी श्री चारभुजा जी की कृष्ण मूर्ति जो परिक्रमा के मंदिर में है. केशवरायपाटन मंदिर विष्णु तीर्थ से ठीक ऊपर नदी तट से 200 फुट की ऊंचाई पर है, जिसमें अंदर बाहर सर्वत्र विविध प्रकार की पशु आकृतियां, मनुष्य आकृतियां, नृत्य मुद्राएं और भगवान श्री कृष्ण संबंधी भागवत कथाएं मूर्ति रूप में उत्कीर्ण है.
4 पीढ़ियों में पूरा हुआ निर्माण
इतिहासकार पुरुषोत्तम पारीक ने बताया कि भगवान विष्णु राजा रन्ति देव की गहन भक्ति से प्रसन्न थे. वे मूर्तियों के रूप में प्रकट हुए. सफेद पत्थर की श्री केशवजी की और दूसरी काले पत्थर की श्री चारभुजा नाथ की. राजा रन्ति देव ने 1307 में मंदिर का निर्माण शुरू कराया था. लेकिन यह निर्माण कार्य चार पीढ़ियों में पूरा हुआ, क्योंकि महल की साजिशों और उथल-पुथल ने काम को बाधित कर दिया था जो पूरा नहीं हो सका. जब राव राजा छत्तर साल का दौर आया तो द्वारा सन 1698 में काम पूरा किया गया. भगवान केशव राय की प्रसिद्ध प्रार्थना "केशवस्ताक" सस्त्रीय संगीत धुन के साथ की जाती है. पारीक के अनुसार, चंबल नदी भगवान केशव राय के चरणों को छूने के बाद यू-टर्न कर लेती है, और इस जगह से नदी का नाम चारण्यमति नदी हो जाता है.
केशावराय जी मंदिर की विशेषता
चंबल नदी के किनारे बने केशोराय जी भगवान मंदिर में हर वर्ष लाखों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं. इस मंदिर में बनी स्थापत्य कला देखते ही आकर्षक मोह ले लेती है. भगवान केशवराय जी के मंदिर के अंदर एक सुंदर आकर्षक मूर्ति पद्मासन या कमल जैसी बैठने की मुद्रा में विराजमान है. मूर्ति सफेद पत्थर की है. बाएं हाथ में चक्र है, जबकि दाहिने हाथ में शंख है. छाती पर वैजयंती माला है और मूर्ति ने जनेऊ पहना हुआ है. मंदिर एक बहुत बड़े चबूतरे के मजबूत आधार पर खड़ा है. भव्य और भव्य मंदिर में मध्यकाल के मंदिरों के मुख्य द्वारों के लिए अपनाई गई वास्तुकला की विशिष्ट शैली में सुंदर प्रवेश द्वार है. दीवारों पर विस्तृत नक्काशी का काम किया गया है और विभिन्न देवी-देवताओं की छवियां उकेरी गई हैं. शिखर पर देवी-देवताओं, अप्सराओं और परियों, यक्षों और गंधर्वों की छवियां उकेरी गई हैं. मंदिर का शिखर की चार मंजिल हैं, सबसे ऊपर एक कलश है. यह शिखर गर्भगृह पर है. मंदिर के शिखर और पैनलों पर अनगिनत छवियां, पुष्प पैटर्न, जानवरों की छवियां और देवी-देवताओं और राक्षसों की पौराणिक विशेषताएं - सभी देखने में अद्भुत हैं.
कार्तिक पूर्णिमा पर लगता है तांता
केशवराव जी भगवान मंदिर के पट्ट सुबह प्रातः 4.00 बजे से 12.00 बजे तक, दोपहर के बाद का अपराह्न 3.00 बजे से रात्रि 9.00 बजे तक खुलते हैं. कार्तिक पूर्णिमा के दिन तड़के तीन बजे शंखनाद की ध्वनि सुनाई पड़ने के साथ केशवधाम में चर्मण्यवती के घाट श्रद्धालुओं से अट जाते हैं. इस दिन भगवान केशव की नगरी केशवरायपाटन में 1 लाख से अधिक लोगों ने स्नान करते हैं. पूरे राजस्थान में केशवराय जी का मंदिर केवल केशवराय पाटन में ही स्थिति है. ऐसे में दूर दराज यहां श्रदालु दर्शन एंव आस्था की डुबकी लगाने के लिए आते हैं. मंदिर परिसर में स्थित जम्बूमार्गेश्वर महादेव, गंगा मंदिर, चारभुजा मंदिर, संकट मोचन हनुमान व गणेश मंदिरों पर पूजा की जाती है.
विकास कार्यों से पर्यटन को लेंगे पंख
पर्यटन नगरी छोटी काशी बूंदी में केंद्र सरकार की स्वदेश भारत दर्शन योजना के तहत पर्यटन को जल्द पंख लगने वाले हैं. इस योजना के तहत बूंदी शहर के सभी पर्यटक स्थलों व जिले के चंबल घाट पर बने केशवराय भगवान के मंदिर को विकसित करने की कवायत शुरू हो गई है. केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय की ओर से विभाग के अधिकारी इन पर्यटन स्थलों का सर्वे कर रहे हैं. सर्वे लगभग पूरा हो चुका है. जल्द ही इस योजना के तहत विकास कार्य शुरू हो जाएंगे. इसके बाद पर्यटन स्थलों को चार चांद लगेंगे. सीमित संसाधनों पर मौजूद पर्यटन स्थल विश्व के मानचित्र पर अपना नाम दर्ज करवाएंगे. योजना के प्रथम चरण में बूंदी व केशवरायपाटन के 15 से 20 किलोमीटर तक के क्षेत्रों को चयन किया गया. जिसमें बूंदी गढ़ पैलेस, केशवरायपाटन में केशव भगवान मंदिर के चम्बल किनारे घाट, रानीजी की बावड़ी, तारागढ़, चित्रशाला, सुखमहल एवं 84 खम्बों की छतरी आदि शामिल हैं. इस स्थानों पर पर्यटकों के लिए बैठने के स्थान बनाए जाने सहित अन्य प्राथमिक स्तर की सुविधाएं जुटाए जाने का प्रस्ताव तैयार किया गया है.
देश के बड़े मंदिरों में शामिल करने का प्लान
प्रोजेक्ट कन्वीनर नवीन कुमार ने बताया कि जिले के केशवरायपाटन मंदिर के पास से चंबल नदी निकल रही है. जहां हर वर्ष कार्तिक मास में हजारों की तादाद में श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं और स्नान करते हैं. हमारी योजना में इस क्षेत्र को विकसित किया जाएगा. ऐतिहासिक घाट, पार्किंग, बैठने के लिए उच्चतम व्यवस्था, बड़े-बड़े द्वार, मंदिर को पूरी तरह से विकसित किया जाएगा. क्योंकि केशव राय भगवान का मंदिर पूरे राजस्थान में कहीं नहीं है और इस मंदिर को विकसित कर देश के बड़े मंदिरों में शामिल करने का प्लान है.