Farmer News: राजस्थान के धौलपुर जिले में इस बार किसानों के लिए खरीफ की फसलें घाटे का सौदा साबित हुईं. जून से शुरू हुई लगातार और भारी बारिश (अतिवृष्टि) की वजह से दलहन, तिलहन, ग्वार, ज्वार, मक्का, मूंगफली और गन्ना सहित खरीफ की सभी फसलों को भारी नुकसान हुआ. मवेशी पालन के लिए चारा तक नहीं बचा, जिससे अन्नदाता बुरी तरह बर्बाद हुआ. हालांकि, अब किसानों की उम्मीदें रबी की फसल से जाग गई हैं.
लहराने लगी रबी की फसलें
बारिश थमने के बाद शारदीय नवरात्रों से किसानों ने रबी फसल की बुवाई शुरू कर दी थी. किसान विनीत कुमार शर्मा ने बताया कि पहले राउंड की बुवाई के बाद जोरदार बारिश से सरसों की फसल नष्ट हो गई थी. लेकिन दूसरे राउंड में बुवाई की गई सरसों, गेहूं, चना, मटर और नगदी फसल आलू खेतों में अंकुरित होकर लहराने लगी है. किसान सांवलिया राम कुशवाहा ने बताया कि शुरुआती लक्षण काफी अच्छे दिखाई दे रहे हैं. यदि मौसम का साथ मिला तो आगामी समय में अच्छा उत्पादन मिल सकता है.फिलहाल सरसों, गेहूं और आलू की फसलों में पहले राउंड की सिंचाई की जा रही है, और खेतों में अंकुरित फसल को देखकर किसान काफी खुश हैं.
खाद-बीज की कालाबाजारी से किसान परेशान
एक ओर जहां फसलें लहरा रही हैं, वहीं दूसरी ओर किसान बाजार में कालाबाजारी से त्रस्त हैं. किसानों ने शिकायत की है कि खाद, बीज, डीएपी और कीटनाशक दवाएं निर्धारित मूल्य से अधिक दाम पर बेची जा रही हैं. विशेष रूप से सरसों और आलू की फसल में शुरुआती रोगों की संभावना के चलते कीटनाशक दवाएँ काफी ऊँची कीमतों पर मिल रही हैं.
जिले में 1.53 लाख हेक्टेयर में बुवाई का लक्ष्य
कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक प्रभु दयाल ने रबी बुवाई के संबंध में जानकारी दी. उन्होंने बताया कि जिले में 1,53,000 हेक्टेयर रबी फसल की बुवाई का लक्ष्य है. जिसमें सरसों के लिए 65,000 हेक्टेयर , गेहूं के लिए 35,000 हेक्टेयर (करीब 25,000 हेक्टेयर की बुवाई अभी बाकी है). इसके साथ ही आलू के लिए 8,500 हेक्टेयर रखा गया है. इसके अलावा, चना, मटर और नगदी फसल सब्जियां की भी बुवाई की जा रही है.
खरीफ बर्बादी का मुआवजा अब तक नहीं
किसानों में इस बात को लेकर नाराजगी है कि खरीफ में हुई भारी बर्बादी (बाजार, दलहन, तिलहन, ग्वार, ज्वार, मक्का, मूंग, मौठ, मूंगफली, गन्ना) के बावजूद भी उन्हें अब तक मुआवजा नहीं मिला है. सैपऊ और बसेड़ी उपखंड इलाके के किसान सबसे अधिक प्रभावित हुए थे. फसल खराबे की गिरदावरी होने के बावजूद भी किसानों को मुआवजा नसीब नहीं हो रहा है.