KhatuShyamJi Mela: 1600 कीलों पर दंडवत होकर खाटूश्यामजी के दर्शन करने जा रहा सोनू, सामने आया हैरान कर देने वाला वीडियो

Rajasthan: मध्य प्रदेश के सोनू संवरिया का 'कनक दंडवत' विशेष आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. सोनू कीलों पर लेटकर कनक दंडवत करते हुए कठिन यात्रा कर रहे हैं.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins

Khatu Shyam Lakhi Mela 2025: सीकर के खाटूश्यामजी में प्रसिद्ध बाबा श्याम का लक्खी फाल्गुन मेला 28 फरवरी से शुरू हो चुका है. बाबा के दरबार में श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ रहा है. श्याम भक्तों की आस्था देखते ही बन रही है. राजस्थान ही नहीं, बल्कि देशभर से श्रद्धालु बाबा श्याम के दरबार में हाजिरी लगाने पहुंच रहे हैं. आस्था के सैलाब में ऐसे ही भक्त की काफी चर्चा है. मध्य प्रदेश के सोनू संवरिया का 'कनक दंडवत' विशेष आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. सोनू कीलों पर लेटकर कठिन यात्रा कर रहे हैं. उनके इस भक्ति-भाव को देखकर हर कोई हैरान भी है और प्रशंसा भी कर रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि कनक दंडवत के दौरान वह समतल जमीन पर नहीं, बल्कि नुकीली कीलों पर यात्रा कर रहे हैं. 

पिछले साल भी ऐसी ही यात्रा पर निकले थे सोनू

सोनू रींगस से खाटूधाम श्याम के दरबार तक यात्रा पर हैं. बाबा के जयकारों के साथ सोनू 1600 नुकीली कीलों पर दंडवत करेंगे. इस दौरान वह 18 किलोमीटर तक यात्रा करेंगे. सोनू हर दिन 2 से 3 किलोमीटर का सफर कर रहे हैं. ऐसा पहली बार नहीं है, जब वह इस अनूठी यात्रा के जरिए बाबा के दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं. बाबा श्याम के प्रति अटूट भक्तिभाव रखने वाले भक्त ने पिछले साल भी यात्रा की थी.

Advertisement

10 मार्च तक पूरा होगा सफर

जानकारी के मुताबिक, आगामी 10 मार्च तक उनका ये सफर पूरा होगा. उनसे पूछा कि शरीर पर कीलें चुभती होंगी? उनका जवाब था- दर्द तो बाबा हर लेते हैं, कोई फर्क नही पड़ता. उनकी इस यात्रा में सहयोगी कृष्ण भी साथ चल रहा है. वह कीलों के पाटे को आगे खिसकाता है और सोनू इस पर दंडवत होकर यात्रा करते हैं. इस दौरान उनके साथ कई लोगों ने उनके साथ फोटो भी खिंचवाई.

Advertisement

मन में भाव आया और बाबा के दर्शन के लिए निकल पड़े 

दरअसल, वह इसके लिए पहले मध्यप्रदेश से रींगस तक किसी साधन से आते हैं. इसके बाद यहां से पैदल यात्रा करते हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, मन्नत के बारे में पूछने पर वह कहते हैं कि कुछ मांगने की जरूरत नहीं पड़ती, बाबा बिना मांगे सब दे देते हैं. उन्होंने बताया कि मन में भाव आया तो वह इस यात्रा पर निकल गए और अब बाबा के दरबार में पहुंचना है.

Advertisement

यह भी पढ़ेंः खाटूश्यामजी मंदिर पर कैसे शुरू हुई निशान चढ़ाने की परंपरा? झूंझुनू के सूरजगढ़ से है खास कनेक्शन