Khatushyamji: सीकर जिले के खाटूश्यामजी में बाबा श्याम के दरबार में आस्था, भक्ति और विश्वास के अलग-अलग रंग और रूप देखने को मिलते हैं. कोई भक्त पद यात्रा करते हुए तो कोई भक्त पेट पलायन, तो कोई भक्त नुकीले कीलों पर जंजीरों में अपने आपको बांधकर खाटू धाम पहुंचते हैं. अपनी मन्नते मांगते हैं, या फिर मन की मुराद पूरी होने पर बाबा श्याम को निशान अर्पित करते हैं. ऐसी ही पदयात्रा या निशान यात्रा में से एक यात्रा है डाक निशान यात्रा.
175 किमी. दूर से दौड़ते हुए पहुंचे
पिछले तीन दिनों की बात की जाए तो खाटूश्यामजी में राजगढ़, अलवर, जयपुर और शाहपुरा के भक्तों ने डाक निशान चढ़ाया है. राजगढ़ से आए 31 लोगों के ग्रुप के सदस्यों से जब NDTV की टीम ने बात की तो सदस्यों ने बताया कि उनकी यात्रा 175 किलोमीटर की रही है. बाबा श्याम के आशीर्वाद से यात्रा सफल रही. सभी सदस्यों ने निश्चित दूरी तक दौड़ लगाकर बाबा श्याम को डाक निशान अर्पित किया है.
बाबा खाटूश्यामजी के दरबार दौड़कर जाता श्याम भक्त.
बिना रुके खाटूश्यामजी पहुंचे भक्त
डाक निशान के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि है यह निशान बिना रुके और बिना थके दौड़ते हुए बाबा श्याम को अर्पित किया जाता है. चाहे बारिश आए, तूफान आए या कितनी ही तेज भीषण गर्मी या सर्दी पड़े. पिछले कई दिनों से लगातार हो रही बारिश भी श्याम भक्तों के कदम नहीं रोक सकी. सड़कों पर भारी जल भराव के बीच भी भक्त दौड़ लगाते हुए डाक निशान लेकर खाटू धाम पहुंच रहे हैं. और बाबा श्याम को अर्पित कर रहे हैं. बाबा श्याम भक्तों की मुराद पूरी करते हैं.
डाक निशान यात्रा में श्याम भक्तों का एक ग्रुप होता है, जिसमें 11, 21 या इससे ज्यादा भी भक्त जुड़े होते हैं. तमाम भक्त दौड़ते हुए बाबा श्याम के दरबार में पहुंचते हैं, और निशान-झंडा ( ध्वज ) अर्पित करते हैं, जिसे डाक निशान कहा जाता है.
बलिदान और दान का प्रतीक है निशान
डाक निशान, खाटूश्यामजी में बाबा श्याम को को चढ़ाया ( अर्पित) जाने वाला एक ध्वज ( निशान) है, जो बलिदान और दान का प्रतीक माना जाता है. यह झंडा शुभ होता है, और खाटूश्यामजी बाबा के प्रति श्रद्धा, आस्था और इच्छापूर्ति होने या मन्नत पूरी होने पर चढ़ाया जाता है. यह निशान बाबा श्याम के द्वारा धर्म की जीत के लिए अपना शीश समर्पित करने के बलिदान और दान का प्रतीक भी माना जाता है.
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