राजस्थान में भी शुरू हुआ 'टाइम बैंक', इस बैंक में पैसों की जगह होता है 'समय' का ट्रांजैक्शन

इस बैंक की प्रेरणा एक स्विस महिला से मिली थी जो खुद भी दूसरों की मदद कर टाइम बैंक में समय जमा करती थी.

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राजस्थान में टाइम बैंक की शुरुआत

Rajasthan Time Bank: पुरानी कहावत है कि इंसान के पास समय ही उसका असली धन होता है. लेकिन अब कहावत महज कहावत नहीं बल्कि एक सामाजिक मॉडल बन चुकी है. राजस्थान के दो रिटायर्ड बैंक कर्मचारियों अनिल कुमार खोसला और प्रबोध चंद्र जैन ने एक ऐसा टाइम बैंक बनाया है, जहां लोग पैसे नहीं, बल्कि समय जमा और निकाल सकते हैं. अब यह बैंक राजस्थान की राजधानी जयपुर में संचालित हो रही है. इस टाइम बैंक ऑफ इंडिया की शुरुआत 8 साल पहले हुई थी और आज इसके देशभर में 7,000 से अधिक सदस्य हैं. 

इस बैंक की खास बात यह है कि कोई ऑफिस नहीं, कोई फीस नहीं ली जाती, संस्थापकों की पेंशन की राशि से इसे संचालित किया जाता है.

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कैसे काम करता है यह बैंक 

अब तक बैंक में 10,000 घंटे से ज़्यादा समय जमा और निकासी हो चुकी है. सबसे अधिक समय 60-80 साल के बुजुर्गों ने जमा किया है. ये सदस्य स्कूल, अस्पताल, वृद्धाश्रम, पार्क और समाजसेवी संस्थाओं में सेवा देकर अपना समय बैंक में जमा करते हैं. जरूरत पड़ने पर, कोई भी सदस्य उस बैंक से समय निकालकर मदद पा सकता है . चाहे वह बीमारी हो, अकेलापन हो या अन्य जरूरत के समय उसे तुरंत हेल्प मिल जाती है. 

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इस बैंक की प्रेरणा एक स्विस महिला से मिली थी जो खुद भी दूसरों की मदद कर टाइम बैंक में समय जमा करती थी. जब वह बीमार हुई, तो टाइम बैंक के सदस्य उसकी मदद को आगे आए. यही मॉडल भारत में स्थानीय जरूरतों के हिसाब से रूपांतरित किया गया है. 

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इस बैंक के सदस्यों ने बताया कि बैंक की मेम्बरशिप के लिए गोपनीयता, तकनीक और पारदर्शिता का ध्यान रखा जाता है.हर सदस्य की KYC जरूरी है. देश के पिनकोड आधारित 109 एडमिन कार्यरत हैं. वेबसाइट और ऑनलाइन अप्रूवल सिस्टम तैयार किया गया है. डाटा गोपनीय रखने पर विशेष ध्यान दिया जाता है. बैंक के सबसे ज़्यादा जयपुर में 2,582 सदस्य है. 

कई राज्यों में बैंक कर रही काम

देश के कई राज्यों में सरकारें भी इस बैंक से जुड़कर काम करने लगी है. हाल ही में आंध्र प्रदेश में सरकार के साथ बैंक का करार हुआ है. अब ट्रस्ट की नजर अन्य राज्यों और शहरों में विस्तार पर है. खासकर ग्वालियर, आगरा, पुणे, हैदराबाद और चंडीगढ़ में नई टीम बनाई जा रही है. इसके अलावा विशाखापटनम में हाल ही में एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू हुआ है. देहरादून यूनिवर्सिटी के 46 छात्र भी इस बैंक के साथ इंटर्नशिप कर चुके हैं. बैंक से जुड़ने की कोई फीस नहीं है. बस सेवा का संकल्प और भरोसे का आदान-प्रदान करना है.

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