Advovate Harendra Neel: राजस्थान की बहुप्रतीक्षित सब-इंस्पेक्टर (SI) भर्ती 2021 को लेकर चल रही कानूनी लड़ाई आज एक निर्णायक मोड़ पर पहुंच गई. हाईकोर्ट ने गुरुवार को इस भर्ती परीक्षा को रद्द करने का ऐतिहासिक फैसला सुनाया. इस फैसले से उन छात्रों के चेहरे पर खुशी छा गई जो पिछले दो साल से इसे रद्द करने की मांग कर रहे थे.
859 सब इंस्पेक्टरों का भविष्य अनिश्चित
इस फैसले ने उन 859 सब इंस्पेक्टरों के भविष्य पर सवालिया निशान लगा दिया है, जो इस भर्ती के जरिए नौकरी पा चुके थे. वहीं, इस कानूनी लड़ाई को लड़ने वाले राजस्थान हाईकोर्ट के अधिवक्ता हरेंद्र नील की जमकर तारीफ हो रही है, जिन्होंने छात्रों की लड़ाई को अपना मानते हुए उनके सपनों को पंख दिए. कोर्ट में याचिकाकर्ताओं की ओर से सीनियर एडवोकेट मेजर आरपी सिंह और ओमप्रकाश सोलंकी के साथ मिलकर पैरवी की. उन्होंने अदालत के सामने पेपर लीक से जुड़े सबूत पेश करते हुए भर्ती को रद्द करने की मांग की थी.
कौन हैं अधिवक्ता हरेंद्र नील?
अधिवक्ता हरेंद्र नील ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और राजीव गांधी राष्ट्रीय लॉ यूनिवर्सिटी, पटियाला के पूर्व छात्र हैं. वे सेवा और वाणिज्यिक विवादों, दिवालियापन और आपराधिक कानून जैसे विभिन्न क्षेत्रों में विशेषज्ञता रखते हैं. वे नियमित रूप से सुप्रीम कोर्ट और विभिन्न हाईकोर्ट में पैरवी करते हैं. और पिछले दो सालों से ज्यादा लगातार SI भर्ती 2021 के मामले की पीड़ित छात्रों की तरफ से राजस्थान हाईकोर्ट में पैरवी कर रहे थे.
क्यों रद्द हुई परीक्षा?
इस फैसले पर एडवोकेट हरेंद्र नील ने बताया कि हाईकोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए इस मामले को डिवीजनल बेंच में भेज दिया था. कोर्ट ने कहा कि RPSC के 6 सदस्यों और तत्कालीन चेयरमैन की भी इस घोटाले में संलिप्तता पाई गई है. कोर्ट ने यह भी पाया कि पूरे प्रदेश में पेपर लीक हुआ था, यहां तक कि ब्लूटूथ गैंग के पास भी प्रश्न पत्र पहुंच गया था. इन सभी परिस्थितियों को देखते हुए कोर्ट ने कहा कि यह भर्ती राजस्थान की जनता और कानून की नजर में सही नहीं है, इसलिए इसे पूरी तरह से रद्द किया जाता है.
आगे क्या होगा?
हरेंद्र नील ने बताया कि कोर्ट के निर्देशानुसार 17 अगस्त के SI भर्ती विज्ञापन में 2021 भर्ती के 859 पद जोड़ दिए जाएंगे. उन्होंने यह भी कहा कि जिन लोगों को इस मामले में गिरफ्तार किया गया है, उनसे पैसों की वसूली की जाएगी. कोर्ट ने इस फैसले को सुनाते हुए बैशाखी भट्टाचार्य बंगाल भर्ती का हवाला दिया है.
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