कोटा में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने मृत गायों को खुले में फेंके जाने की शिकायतों को लेकर नाराजगी जताई है. कल, रविवार (28 दिसंबर) को कोटा में मृत गायें खुले में फेंकने से नाराज गौरक्षक धरना दे रहे थे. इसी दौरान पूर्व सीएम वसुंधरा का काफिला भी रुका. दरअसल, कोटा नगर निगम क्षेत्र में मृत पशुओं के निस्तारण को लेकर अव्यवस्था का मामला गरमाया हुआ है. इससे नाराज़ गौरक्षक प्रदर्शन कर रहे हैं. पूर्व मुख्यमंत्री सुबह झालावाड़ से ब्यावर जा रही थीं तो उनका काफिला रुका. राजे ने वहां गौरक्षकों से बात की और उनकी मांग सुनी. उनकी शिकायत सुनने के बाद उन्होंने कहा कि मैं सनातनी हूं और गौमाता के संरक्षण में लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी.
डीआईजी और एसपी को मौके पर बुलाया
गौरक्षकों ने बताया कि कोटा में मृत गायों का सम्मानजनक अंतिम संस्कार नहीं किया जा रहा है और मृत गायों की आड़ में जिंदा गायों का मार कर उनका गौमांस बेचा जा रहा है. यह सुनकर राजे ने कोटा रेंज के डीआईजी राजेंद्र गोयल और एसपी तेजस्विनी गौतम को मौके पर बुलाया. उन्हें इस मामले की गहनता से जांच कर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही के निर्देश दिए.
अफसर हैं कि सुन नहीं रहे- राजे
उन्होंने कहा, "गौरक्षक प्रदर्शन कर रहें है और अधिकारी सुन नहीं रहे. जनता चुस्त है और अफ़सर सुस्त हैं. अफसरों के रवैए पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि 14 दिसंबर से लोग आवाज उठा रहें है, लेकिन अफ़सर है कि उनकी सुन ही नहीं रहे. यह अजीब बात है, ऐसा नहीं चलेगा."
विरोध-प्रदर्शन के बाद पुलिस ने किया मामला दर्ज
डीएसपी मनीष शर्मा ने बताया कि गौरक्षकों की ओर से मृत मवेशी उठाने वाले ठेकेदार के खिलाफ आरकेपुरम थाने में रिपोर्ट दी है. इसमें बताया कि वो शवों से चमड़ी उधेड़ता है और शव बेकद्री से फेंकता है, इन्हें दफनाता नहीं है. मामले में ठेकेदार के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है. जांच के बाद आगे की कार्रवाई होगी.
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