Kota News: राजस्थान में दुनिया के सबसे बड़े 'रावण' के अवशेषों को दशहरे के दूसरे दिन क्यों जलाया गया ? 

इस रावण के पुतले को अंबाला के कारीगर तेजेंद्र चौहान और उनकी 25 सदस्यीय टीम ने कड़ी मेहनत से बनाया था. इसकी लागत 40 लाख रुपये रही. पुतले का चेहरा 25 फीट ऊंचा और 3 क्विंटल वजनी था, जिसे फाइबर ग्लास से बनाया गया था.

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World's Tallest Ravana: विजयदशमी के मौके पर कोचिंग सिटी कोटा में इस साल दुनिया का सबसे ऊंचा 221 फीट के रावण का पुतला बनाने का रिकॉर्ड कायम किया गया था. लेकिन, दहन के दौरान लोगों को निराशा हाथ लगी. क्योंकि, जिस तकनीक से रावण का दहन किया जाना था, वह तकनीक काम नहीं आई और रावण के पुतले का बड़ा हिस्सा दहन के वक्त जल नहीं सका.

जिस सेंसर तकनीक के जरिए रावण के पुतले का दहन किया जा रहा था, उसने आखिरी लम्हों में धोखा दे दिया. दशहरे से  दो दिन पहले हुई बारिश के बाद विजयदशमी के दिन रावण के पुतले में लगे बांस भी नहीं जल सके. जिसके बाद कोटा नगर निगम की फायर टीम ने रावण दहन करने का मोर्चा संभाला और देर रात तक रावण दहन करने की प्रक्रिया हाइड्रोलिक मशीनों के ज़रिये अंजाम दी गई और 221 फीट के पुतले को नीचे गिराया गया.

लोहे को स्ट्रक्चर को काटा गया

लेकिन फिर भी पुतला पूरा नहीं जल पाया. ऐसे में शुक्रवार को दशहरे मैदान में मज़दूर पुतले के बचे हुए अवशेषों को जलाते नजर आए. करीब 10 टन लोहे का जो स्ट्रक्चर बनाया गया था उसको सुरक्षित बाहर निकालने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी. रावण दहन के दूसरे दिन कोटा के दशहरा मैदान में ऐसी तस्वीर नजर आई जो पहले कभी नहीं देखी गई.

चार महीने की मेहनत से बना रावण

अंबाला के कारीगर तेजेंद्र चौहान और उनकी 25 सदस्यीय टीम ने चार महीने की कड़ी मेहनत से इस 221.5 फीट ऊंचे रावण के पुतले को तैयार किया था. इसकी लागत 40 लाख रुपये रही. पुतले का चेहरा 25 फीट ऊंचा और 3 क्विंटल वजनी है, जिसे फाइबर ग्लास से बनाया गया था.

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