Kota: अब डराने लगा है कोटा! महीनेभर के भीतर ही 6 कोचिंग छात्रों ने तोड़ा दम, कोचिंग सिटी में सुसाइड के रिकॉर्ड मामले

Coaching Student's suicides: जनवरी महीने में अब तक 6 सुसाइड के केस दर्ज किए जा चुके हैं. इन आंकड़ों के सामने आने के बाद अब हड़कंप मचा हुआ है.

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Suicide Cases in Kota: प्री-इंजीनियरिंग एग्जाम (JEE exam) और मेडिकल एंट्रेस टेस्ट (NEET) के मामले में देशभर में डंका बजाने वाला कोटा अब डराने लगा है. एक के बाद एक कोचिंग स्टूडेंट्स के आत्महत्या के मामले सामने आ रहे हैं. कोचिंग नगरी के लिए साल का आगाज भी अच्छा नहीं हुआ है. जनवरी महीने में अब तक 6 सुसाइड के केस दर्ज किए जा चुके हैं. इन आंकड़ों के सामने आने के बाद अब हड़कंप मचा हुआ है. अब कोटा (Kota) आने वाले स्टूडेंट की संख्या में कमी दिख रही है. सरकारी तंत्र की विफलता हो या कोचिंग सेंटर की उदासीनता, पढ़ाई का दबाव झेलने में नाकाम रहने वाले स्टूडेंट की मौत का आंकड़ा थमता नजर नहीं आ रहा है.  

10 साल में 127 आत्महत्या के मामले, साल दर साल बढ़ता आंकड़ा

कोटा में पिछले 10 वर्षों के दौरान 127 स्टूडेंट पढ़ाई के तनाव की वजह से अपनी जान दे चुके हैं. साल 2015 में 18 और 2016 में 17 मामले दर्ज किए गए. हालांकि साल 2017 में जरूर कमी आई, बावजूद इसके 7 केस सामने आए थे. लेकिन अगले साल ही 2018 में 20 कोचिंग स्टूडेंट्स ने जान दे दी. यह आंकड़ा 2019 में 18, 2022 में 15 और 2023 में 26 तक पहुंचा. 

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पीजी-हॉस्टल के खिलाफ भी शुरू हो गई कार्रवाई

इन खौफनाक मामलों का सीधा असर कोचिंग सेटर्स में नामांकन से लेकर हॉस्टल और पीजी व्यवसाय पर भी पड़ा है. दो दिन पहले ही 24 घंटो के भीतर 2 स्टूडेंट के सुसाइड के बाद अब प्रशासन हॉस्टल और पीजी संचालकों के खिलाफ एक्शन की तैयारी में है. पीजी और हॉस्टल में गाइडलाइन की पालना को लेकर प्रशासनिक अधिकारियों ने मौका मुआयना किया तो कई खामियां नजर आई. अहमदाबाद की अफ्शा और असम के पराग ने जिस पीजी और हॉस्टल में सुसाइड किया था, वहां एंटी हैंगिंग डिवाइस नहीं लगा हुआ था. पीजी के कमरे को सीज कर संचालक को नोटिस जारी किया है. कई हॉस्टल में अग्निशमन यंत्रों और सुरक्षा के मापदंडों का भी परीक्षण किया गया.

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एडमिशन के दौरान चयन समिति का हो गठन- आईजी

कोटा रेंज आईजी रवि दत्त गौड़ के मुताबिक, नए प्लान में स्टूडेंट के एडमिशन के दौरान चयन समिति का गठन किया जाना चाहिए. परिजनों और स्टूडेंट से अलग-अलग काउंसलिंग की जानी चाहिए कि वह मेडिकल और इंजीनियर की तैयारी के लिए रुचि रखते हैं या नहीं. आर्थिक रूप से कमजोर स्टूडेंट के लिए फीस में विशेष रियायत होनी चाहिए आवश्यक है.

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