Kota Student Suicide: कोटा में नीट की तैयारी कर रहे स्टूडेंट ने होस्टल के कमरे में किया सुसाइड, पुलिस प्रशासन में मचा हड़कंप

Kota Student Suicide News: कोटा में एक और छात्र ने होस्टल के कमरे में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली है. फिलहाल पुलिस को कोई सुसाइड नोट बरामद नहीं हुआ है. मामले की जांच की जा रही ह.

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प्रतीकात्मक तस्वीर.

Rajasthan News: राजस्थान की शिक्षा नगरी कोटा में कोचिंग स्टूडेंट्स के सुसाइड (Kota Students Suicide) का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. राज्य सरकार और प्रशासन के तमाम प्रयासों के बावजूद कोचिंग करने वाले छात्र डिप्रेशन से ऊबर नहीं पा रहे हैं. इसी कारण साल 2024 के पहले महीने में ही सुसाइड का दूसरा मामला सामने आया है. बुधवार को नीट की तैयारी कर रहे एक छात्र ने होस्टल के कमरे में फांसी का फंदा लगाकर सुसाइड कर लिया है.

यूपी का रहने वाला था छात्र

मृतक छात्र मोहम्मद ज़ैद उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद का रहने वाला था, जो कोटा में रहकर नीट की तैयारी कर रहा था. बुधवार को राजीव गांधी नगर होस्टल के एक कमरे में पुलिस को उसी लाश बरामद हुई है. जवाहर नगर थाना पुलिस ने फिलहाल शव को मोर्चरी में रखवाकर परिजनों को घटना की सूचना दे दी है, और मामले की जांच में जुट गई है. इस वक्त पुलिसकर्मी होस्टल में स्टूडेंट के कमरे की तलाशी ले रहे हैं, और सुसाइड नोट ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं. कोचिंग छात्र के आत्महत्या के बाद पूरे इलाके में हड़कंप सा मच गया है.

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नहीं मिला कोई सुसाइड नोट

पुलिस उप अधीक्षक भवानी सिंह ने बताया कि मृतक छात्र राजीव गांधी नगर में होस्टल में ही रह रहा था. वो नीट के दूसरे अटेम्प्ट की तैयारी कर रहा था. होस्टल से सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची और छात्र को फंदे से उतार कर अस्पताल ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया. छात्र के कमरे से फिलहाल कोई सुसाइड नोट नहीं मिला है. मृतक छात्रा के परिजनों को सूचना कर दी गई है. उनके कोटा आने के बाद शव का पोस्टमार्टम करवाया जाएगा और उसके बाद शव परिजनों को सौंप दिया जाएगा.

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केंद्र ने हाल ही में जारी की गाइडलाइन

कोटा में बढ़ते कोचिंग स्टूडेंट के सुसाइड मामलों के बाद पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार द्वारा भी राज्य स्तरीय कमेटी बनाकर गाइडलाइन जारी की गई थी. वहीं कुछ दिन पहले केंद्र सरकार की ओर से भी सभी राज्यों के कोचिंग संस्थानों के लिए गाइडलाइन जारी की गई. जिसमें 16 साल से कम उम्र के बच्चों को एडमिशन नहीं देने, कोचिंग स्टूडेंट्स को स्ट्रेस फ्री रखने और कोचिंग के टाइमिंग में मनोरंजन के साधन, फीस रिफंड प्रोसेस को आसान करने समेत कई दिशा निर्देश जारी किए थे. राज्य सरकार द्वारा जारी की गई गाइडलाइन की पालना के लिए जिला प्रशासन भी लगातार कोचिंग संस्थाओं और कोचिंग स्टूडेंटस, अभिभावको के साथ संमजस्य बना रहा है. लेकिन साल 2024 के पहले महीने में ही एक बार फिर कोचिंग स्टूडेंट के सुसाइड मामले ने सभी की चिंता को बढ़ा दिया है.

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यह है बड़ा कारण

कोटा में करीब 20 सालों से कोचिंग स्टूडेंट के सुसाइड मामलों पर अपनी बेबाकी से राय और सुझाव देने वाले मनोचिकित्सक डॉक्टर भरत सिंह शेखावत जो कोटा मेडिकल कॉलेज के मनोचिकित्सा विभाग अध्यक्ष भी हैं. वह बताते हैं कि कोचिंग एक व्यवसाय बन गया है, जहां बच्चों को उनकी क्षमता से अधिक परिणाम देने के लिए दबाव डाला जाता है. बच्चों के अभिभावक प्रतियोगी परीक्षाओं के परिणाम के विज्ञापनों की चमन में अपने बच्चों की क्षमताओं को भूलकर उन पर उम्मीदों का बोझ डालकर कोटा भेज देते हैं. जबकि रिजल्ट पर नजर डाली जाए तो जितने बच्चे कोटा में प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग के लिए आते हैं उनमें से सफलता महज कुछ को ही हासिल होती है. जरूरत अभिभावकों के काउंसलिंग की भी है और समय-समय पर बच्चों की काउंसलिंग की भी. लेकिन इस दिशा में अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. सिर्फ आत्महत्याओं के मामले जब बढ़ते हैं तो सबको चिंता होने लगती है और सामान्य स्थिति जैसे ही होती है हालात वैसे के वैसे ही बन जाते हैं.

कोचिंग संस्थान के लिए राज्य सरकार की गाइडलाइन

1. कोचिंग संस्थानों में चलने वाली कक्षाएं यदि निरंतर चल रही हैं तो टेस्ट/परीक्षा 21 दिनों की अवधि में कराई जाएं. यदि कोर्स पूरा हो चूका है तो टेस्ट/परीक्षा 07 दिन में आयोजित कराई जाएं.
2. टेस्ट/परीक्षा के अगले दिन आवश्यक रूप से अवकाश रखा जाना सुनिश्चित करें.
3. कोचिंग संस्थानों द्वारा आयोजित टेस्ट/परीक्षा में विद्यार्थियों की उपस्थिति ऑप्शनल हो. अनिवार्य नहीं.
4. टेस्ट/परीक्षा होने के बाद उचित विश्लेषण सत्र की व्यवस्था की जानी सुनिश्चित करें तथा जो विद्यार्थी औसत मानदण्ड से नीचे प्रदर्शन कर रहे हैं तो ऐसे विद्यार्थियों के लिए विशेष परामर्श सत्र आयोजित किया जाना सुनिश्चित करें.
5. टेस्ट/परीक्षा के परिणाम 03 दिवस बाद जारी किए जाएं.
6. टेस्ट/परीक्षा के परिणामों को सार्वजनिक नहीं किया जाए तथा टेस्ट/परीक्षा का परिणाम प्रत्येक विद्यार्थी/अभिभावकों को अलग से भिजवाया जाए. ये सुनिश्चित किया जाए कि परिणामों में रैंक प्रणाली को भी बंद किया जाए.

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