Krishna Janmashtmi pujan Vidhi: हिंदू धर्म का पावन पर्व, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, इस साल 16 अगस्त, शनिवार को देशभर में धूमधाम से मनाया जाएगा. द्रिक पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 15 अगस्त को रात 11 बजकर 49 मिनट से शुरू होकर 16 अगस्त को रात 9 बजकर 34 मिनट पर समाप्त होगी.
शुभ मुहूर्त और पूजा का विधान
जन्माष्टमी की पूजा का सबसे शुभ समय निशिता पूजा का मुहूर्त है, जो 16 अगस्त को रात 12 बजकर 4 मिनट से 12 बजकर 47 मिनट तक रहेगा. इस दौरान मध्यरात्रि का विशेष क्षण 12 बजकर 26 मिनट पर होगा. इस साल भरणी नक्षत्र और वृद्धि, ध्रुव, तथा सर्वार्थसिद्धि जैसे शुभ योग बन रहे हैं, जो इस दिन को और भी फलदायी बनाएंगे.
ऐसे करें जन्माष्टमी पर कान्हा के पूजन की तैयारी
धर्मशास्त्रों में जन्माष्टमी के पूजन का विशेष महत्व बताया गया है. जिसमें सुबह स्नान कर स्वच्छ कपड़े पहनकर, घर और पूजा स्थल पर गंगाजल का छिड़काव करें. इसके बाद एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर बाल गोपाल की मूर्ति या उनकी तस्वीर स्थापित करें. रात में उनके जन्म ( 12 बजे) के बाद पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल) से अभिषेक करें. इसके बाद उन्हें पीले वस्त्र, मोरपंख और बांसुरी पहनाकर फूलों से सजाएं. इसके बाद मध्यरात्रि में दीप, धूप, शंख और घंटी के साथ आरती करें. इस दौरान भगवद् गीता के श्लोक और भजन-कीर्तन करना बेहद शुभ माना जाता है.
भोग और मंत्र जप का महत्व
जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण को माखन-मिश्री, खीर, पंजीरी, बादाम की पट्टी, रामदाना का लड्डू और पंचामृत का भोग लगाया जाता है. इन सभी में तुलसी का पत्ता डालना अनिवार्य माना गया है, क्योंकि यह श्रीकृष्ण को अत्यंत प्रिय है। कई भक्त इस दिन छप्पन भोग की परंपरा भी निभाते हैं.
व्रत और उत्सव
जन्माष्टमी के दिन भक्त उपवास रखते हैं, जो निर्जला या फलाहार हो सकता है.मध्यरात्रि में जन्मोत्सव मनाया जाता है, शंख बजाए जाते हैं और नंदलाल को झूला झुलाया जाता है.अगले दिन दान-पुण्य करने का विशेष महत्व है, जिसमें जरूरतमंदों और ब्राह्मणों को अन्नदान करना शुभ माना जाता है.
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