झीलों की नगरी उदयपुर को मिलेगा एक और टूरिस्ट स्पॉट, हिलटॉप पर फॉसिल पार्क खींचेगा सबका ध्यान

पर्यटन विभाग की उपनिदेशक शिखा सक्सेना ने बताया कि झामर कोटड़ा को सरकार जियो हेरिटेज साइट घोषित कर चुकी है, जहां करीब 150 करोड़ वर्ष पुरानी चट्टानें है.

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झीलों की नगरी उदयपुर को मिलेगा एक और टूरिस्ट स्पॉट

Rajasthan News: झीलों की नगरी उदयपुर अपनी खूबसूरती के लिए विश्व प्रसिद्ध है. हर साल लाखों की संख्या में यहां पर्यटक पहुंचते हैं. इसी को देखते हुए पर्यटन विभाग की तरफ से पर्यटकों के लिए नए नए टूरिस्ट स्पॉट तैयार करवाए जा रहे हैं. अब उदयपुर को एक और टूरिज्म स्पॉट मिलने वाला है. यहां हिलटॉप पर एक पार्क बनने वाला है जो सभी का ध्यान खींचेगा, क्योंकि यहां 150 करोड़ साल पुरानी चट्टाने हैं. यह भी खास है कि एक नहीं, दो टूरिज्म स्पॉट तैयार किए जा रहे हैं. इसके लिए कलेक्टर ने पर्यटन विभाग को जमीन का आवंटन किया है और इस पर काम शुरू होगा.

जिन पर्यटन स्थलों की हम बात कर रहे हैं जिसमें से एक शहर के पास झामर कोटड़ा एरिया में जीवाश्म आधारित पार्क यानी फोशिल पार्क और शहर से करीब 37 किलोमीटर दूर जावर माइंस में जियो हेरिटेज टूरिस्ट साइट बनने जा रहा है. राज्य सरकार के बजट घोषणा में इसे जारी किया था और अब जमीन आवंटन की प्रक्रिया हुई है. 

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पर्यटकों को यह मिलेगा

पर्यटन विभाग ने इसके लिए एक पत्र जारी किए था, जिसमें लिखा था कि भू विज्ञान और खान विभाग के अधिकारीयों के साथ झामर कोटडा का दौरा कर यहाँ करवाए जा सकने वाले कार्यों की चिन्हित किया गया. झामर कोटडा में फोशिल पार्क विकसित किया जाएगा. फॉसिल पार्क में बाउंड्री वाल, प्रवेश द्वार, पार्किंग, जन सुविधाएँ, जीवाश्म डिस्प्ले एरिया आदि कार्य करवाएं जाएंगे. 

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जावर माइंस एरिया एक प्राचीन भू धरोहर स्थल के रूप में विख्यात है. यहाँ जियो हेरिटेज टूरिस्ट साइट विकसित किया जाएगा. बाउंड्री वॉल, प्रवेश द्वार, पार्किंग, जन सुविधाएँ, सूचनात्मक डिस्प्ले बोर्ड, साइनेज, बैठक व्यवस्था, मोलर लाइट आदि कार्य करवाएं जाएंगे. इस क्षेत्र के आसपास तीन किलोमीटर की परिधि में जावर माता मंदिर, प्राचीन जैन मंदिर, बावडी आदि अन्य पर्यटकीय महत्व के स्थल स्थित हैं. 

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पिछले साल हुआ था सर्वे

पर्यटन विभाग की उपनिदेशक शिखा सक्सेना ने बताया कि झामर कोटड़ा को सरकार जियो हेरिटेज साइट घोषित कर चुकी है, जहां करीब 150 करोड़ वर्ष पुरानी चट्टानें है. पिछले साल जुलाई में भारतीय भू-वैज्ञानिक सर्वेक्षण के वैज्ञानिकों ने सर्वे भी किया था. पार्क के बनने से पर्यटकों को नया डेस्टिनेशन मिलेगा ही साथ ही शोध विद्यार्थियों को भी जानकारियां मिलेगी. 

13वीं शताब्दी में यहीं पर दुनिया में पहली बार जस्ता प्रगलन विधि का इस्तेमाल किया गया. जियो टूरिज्म प्राचीन स्थलों को कहा जाता है. जहां गुफाएं, क्रेटर, पुरानी भूमिगत खदानें, ज्वालामुखी आदि हो. जावर माइंस भी काफी पुरानी है. उन्होंने यह भी कहा कि उदयपुर ने पर्यटन कई ऐतिहासिक धरोहर को देखने आते हैं. यहां दो स्थल नॉलेज के लिए बहुत अच्छा होगा और खूबसूरत भी.