विश्व की सबसे बड़ी प्रतिमा बनाकर भारत का नाम रोशन करना चाहते हैं मूर्तिकार लक्ष्मण व्यास

नए संसद भवन पर विवादित अशोक स्तम्भ का शेर बनाने वाले ललित कला अकादमी के अध्यक्ष मूर्तिकार लक्ष्मण व्यास चूरू आए हुए हैं. लक्ष्मण व्यास अब सरदार शहर में दिवंगत विधायक भंवरलाल शर्मा की 9 फीट की मूर्ति बना रहे हैं

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ललित कला अकादमी के अध्यक्ष मूर्तिकार लक्ष्मण व्यास
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चुरू:

नए संसद भवन पर विवादित अशोक स्तम्भ का शेर बनाने वाले ललित कला अकादमी के अध्यक्ष मूर्तिकार लक्ष्मण व्यास चूरू आए हुए हैं. लक्ष्मण व्यास अब सरदार शहर में दिवंगत विधायक भंवरलाल शर्मा की 9 फीट की मूर्ति बना रहे हैं. चूरू पहुंचने पर मूर्तिकार लक्ष्मण व्यास का युवाओं की ओर से जोरदार स्वागत किया गया.

देश-विदेश में 400 धातु की प्रतिमाएं बना चुके हैं व्यास

देश-विदेश में अब तक करीब 400 धातु की प्रतिमाएं बना चुके मूर्तिकार व्यास कतर में एमएम हुसैन की प्रतिमा भी बना चुके हैं. मूर्तिकार व्यास ने ही महाराणा प्रताप की सबसे बड़ी प्रतिमा बनाई थी. इसके अलावा दिल्ली एयरपोर्ट पर  एलीफेंट को भी लक्ष्मण व्यास के द्वारा ही बनाया गया है.

राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के नोहर में जन्में मूर्तिकार लक्ष्मण व्यास बचपन से मूर्तिकार बनना चाहते थे. हालांकि उनके पिता जी उन्हें लेक्चरर बनाना चाहते थे, लेकिन उन्होंने को कभी व्यास को मूर्तिकला से नहीं रोका. लक्ष्मण व्यास ने 12वीं के बाद राजस्थान यूनिवर्सिटी में फाइन आर्ट्स में एडमिशन लिया और मूर्तिकला में ही ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की

पिछले 30 सालों से वो मूर्तियां बना रहे हैं व्यास

पिछले 30 सालों से वो मूर्तियां बना रहे व्यास ने बताया कि वे अक्सर बचपन में स्कूल के बाद बरसात के मौसम में गीली रेत से "घरौंदा" ( मिट्टी का घर) बनाते थे, और देखते देखते यह कला उनमें उभरती चली गई. उन्होंने कहा कि अब मेरा लक्ष्य एक ही है कि विश्व की सबसे बड़ी प्रतिमा उनके द्वारा बनाई जाए, ताकि वो भारत का नाम विश्व में रोशन कर सकें.

बचपन से मूर्तिकार बनना चाहते थे लक्ष्मण व्यास

राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के नोहर में जन्में मूर्तिकार लक्ष्मण व्यास बचपन से मूर्तिकार बनना चाहते थे. हालांकि उनके पिता जी उन्हें लेक्चरर बनाना चाहते थे, लेकिन उन्होंने को कभी व्यास को मूर्तिकला से नहीं रोका. लक्ष्मण व्यास ने 12वीं के बाद राजस्थान यूनिवर्सिटी में फाइन आर्ट्स में एडमिशन लिया और मूर्तिकला में ही ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की. धीरे धीरे वे मूर्तिकला में दक्ष हो गए और फिर एक मूर्तिकार के रूप में ही काम करना शुरू कर दिया.

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