Dausa Lok Sabha Seat: राजस्थान के दौसा लोकसभा सीट पर नवनिर्वाचित सांसद मुरारी लाल मीणा की जीत के बाद भाजपा खेमे में छाई मायूसी है. वहीं अब बाजार में कन्हैयालाल मीणा (Kanhaiya Lal Meena) की हार के कारणों का पता लगाया जा रहा है. हालांकि जितने मुंह उतनी बातें होना तय हैं जिसके चलते चर्चाओं का बाजार गर्म है. राजस्थान की 25 लोकसभा सीटों पर चुनावों में दौसा लोकसभा सीट बहुचर्चित रही है. इस सीट भाजपा के स्टार प्रचारक नेताओं ने अपना पूरा दमखम लगाया था. दौसा लोकसभा चुनाव जीतने के पीएम नरेंद्र मोदी ने रोड शो किया था तो लालसोट में यूपी के सीएम आदित्यनाथ योगी ने विशाल जनसभा को संबोधित किया था. पूर्वी राजस्थान के आदिवासी नेता और भजन सरकार के केबिनेट मंत्री डॉ किरोडी लाल मीणा ने पूरा जोर लगाया था.
इसके अलावा केबिनेट मंत्री डॉ किरोडी लाल मीणा ने महवा और मेहंदीपुर बालाजी के नांदरी में सार्वजनिक मंच से बयान जारी किया कि अगर दौसा सीट भाजपा के कन्हैयालाल मीणा चुनाव हारे तो मैं मेरे मंत्री पद से इस्तीफा दे दूंगा. अब दौसा सीट के परिणाम भी आ चुका है और कांग्रेस के मुरारी लाल मीणा ने भाजपा कन्हैयालाल को बुरी तरह चुनाव हराकर दौसा लोकसभा सीट पर इतिहास रचते हुए 2 लाख 31 हजार 540 मतों से जीत दर्ज अपने नाम की है. दौसा लोकसभा सीट में कुल 8 विधानसभाओं में कुल मत 1066888 जिसमें भाजपा को 408926 मत मिले हैं. और कांग्रेस 646266 मत मिले और कांग्रेस ने 15 वर्षों के बाद खुद गढ़ फिर जीत लिया है.
कन्हैयालाल मीणा के हार का कारण
बताया जा रहा है कि 2023 में विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा के टिकट पर शंकर शर्मा को दौसा से जिस टीम ने मिलकर चुनाव हरवाने की देहलीज तक पहुंचाया था. वहीं टीम एक लोकसभा चुनाव में फिर सक्रिय होकर दौसा से भाजपा लोकसभा उम्मीदवार कन्हैयालाल मीणा के साथ लगी. जहा ऐसा चक्रव्यूह रचा कि जिसे खुद कन्हैया लाल भी समय रहते नहीं पहचान पाए. परिणाम तक पहुंचे तक आंखें फटी की फटी रह गई. उधर इस बीच 19 अप्रैल मतदान दिवस और 4 जून मतगणना दिवस के बीच कन्हैया लाल को चुनाव जिताने के लिये रोज नए जोड़ बाकी गुणा भाग लगाते हुए परिणाम से पहले ही नई संसद तक पहुंचा दिया था. लेकिन इसे सीधे साधे सरल व्यक्तित्व के धनी कन्हैयालाल मीणा का दुर्भाग्य कहें या कुछ और लेकिन समय की होनी के साथ एक बार फिर 5 महीने बाद ही दौसा में भाजपा की को दौसा लोकसभा से करारी हार मिली .
मजे की बात तो यह भी है कि दौसा लोकसभा के आठ विधानसभा क्षेत्रों में से पांच विधायक भाजपा के हैं. जिन्होंने करीब 5 महीने पहले ही अच्छे खासे मतों से जीत हासिल की थी. दौसा लोकसभा क्षेत्र के लिए कन्हैया लाल को टिकट मिलने पर पार्टी ने उनसे कम से कम खुद की जितनी जीत हुई थी. उतनी उम्मीद करते हुए जिम्मेदारी भी दी थी. लेकिन खुद के जीतने के बाद बीजेपी के वो विधायक कन्हैयालाल को जिताने में असमर्थ रहे. जो भजनलाल के साथ मिलकर बीजेपी की बड़ी जीत का दावा कर रहे थे . कमी पार्टी के कार्यकर्ताओं की कही जाए जिनका बूथ मैनेजमेंट भी अच्छे स्तर का नहीं था या भाजपा अपना एजेंडा मतदाताओं तक नहीं पहुंच पाई. जो भी हो लेकिन भाजपा के 10 वर्ष के किले को कांग्रेस पार्टी की एक जुटता ने ध्वस्त कर दिया.
इधर जीतने के बाद नवनिर्वाचित सांसद मुरारी लाल मीणा ने भाजपा की हार की वजह बेरोजगारी, आरक्षण का मुद्दा, बिजली, पानी सहित झूठे वादे करने को बताया है. हालांकि यह बात तो कांग्रेस पार्टी कर रही है और हो सकता है यह सही भी हो, लेकिन सही मायनों में भाजपा अपने मतदाताओं को समय रहते अपना एजेंडा नहीं समझा पाई और उधर शंकर लाल की हार के लिए जिम्मेदार ठीकरो ने कन्हैयालाल को चुनाव हारने पर मजबूर कर दिया.
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