Nagaur Lok Sabha Constituency: अभी लोकसभा चुनाव की आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है. इसके बावजूद नागौर सीट अभी से हॉट सीट बन गई है और सबकी निगाहें नागौर पर जाकर टिक गई हैं. दरअसल, नागौर लोकसभा सीट पर भाजपा ने पूर्व सांसद डॉ. ज्योति मिर्धा को अपना प्रत्याशी बना दिया है. वहीं दूसरी ओर कांग्रेस अभी तक अपना प्रत्याशी तय नहीं कर सकी है. कांग्रेस में कई नेताओं के नाम पर अभी मंथन ही चल रहा है.
इसके अलावा आरएलपी सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल की भूमिका को लेकर असमंजस बना हुआ है. सबकी निगाहें आरएलपी सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल पर आकर टिक गई हैं कि आखिर लोकसभा चुनाव में हनुमान बेनीवाल का क्या रुख रहेगा? हनुमान बेनीवाल का झुकाव किस और होगा? क्या वह खुद चुनाव लड़ेंगे या उनका कांग्रेस से गठबंधन होगा? हालांकि इन सवालों के जवाब भविष्य के गर्भ में है, लेकिन यह चर्चा शुरू हो गई है कि हनुमान बेनीवाल जल्द ही कांग्रेस से गठबंधन कर सकते हैं.
बेनीवाल ने कांग्रेस से मांगी दो सीटें
चर्चा चल रही है कि हनुमान बेनीवाल ने कांग्रेस से दो सीटें मांगी हैं, जो नागौर और बाड़मेर हैं. इन सीटों पर हनुमान बेनीवाल की कांग्रेस आलाकमान से अंदरखाने बातचीत चल रही है. हाल ही में एक इंटरव्यू में हनुमान बेनीवाल यह कह भी चुके हैं कि अगर विधानसभा चुनाव से पूर्व आरएलपी का कांग्रेस से गठबंधन हो जाता तो प्रदेश में कांग्रेस और आरएलपी दोनों मिलकर 130 सीटें जीतते और उनकी संयुक्त सरकार बनती. ऐसे में अब अगर बेनीवाल का कांग्रेस से गठबंधन हो जाता है तो कांग्रेस हनुमान बेनीवाल को ही उम्मीदवार बना सकती है, जबकि बाड़मेर पर गठबंधन का ही संयुक्त उम्मीदवार होगा. यह दोनों ऐसी सीटें है, जिन पर भाजपा अपना उम्मीदवार घोषित कर चुकी है.
गठबंधन से भाजपा को मुश्किल
नागौर में भाजपा ने ज्योति मिर्धा को उम्मीदवार बनाया है. हालांकि ज्योति मिर्धा विधानसभा का चुनाव भी लड़ी थीं, मगर उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. इसके बावजूद भाजपा ने उन पर दोबारा भरोसा जताया है. दूसरी ओर अगर कांग्रेस और आरएलपी का गठबंधन हो जाता है तो हनुमान बेनीवाल संयुक्त उम्मीदवार होंगे. ऐसे में ज्योति मिर्धा के लिए यह चुनाव जीतना आसान नहीं होगा. क्योंकि नागौर लोकसभा सीट के समीकरण कुछ ऐसे बनेंगे, जिनमें कांग्रेस और आरएलपी दोनों मिलकर ज्योति मिर्धा के सामने बड़ी चुनौती पेश कर सकते हैं. क्योंकि 2019 में हनुमान बेनीवाल ने एनडीए उम्मीदवार के रूप में ज्योति मिर्धा को बड़े अंतर से हराया था. वहीं 2014 के चुनाव में भी निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में बेनीवाल चुनावी मैदान में उतरे थे और ज्योति मिर्धा के वोट बैंक में बड़ी सेंध लगाई थी, जिसका परिणाम यह हुआ कि भाजपा के उम्मीदवार सी.आर. चौधरी यह चुनाव जीत गए थे.
तीसरी बार आमने सामने बेनीवाल-ज्योति?
अगर आरएलपी-कांग्रेस का गठबंधन हो जाता है और बेनीवाल प्रत्याशी बनते हैं तो यह तीसरा मौका होगा, जब ज्योति मिर्धा और हनुमान बेनीवाल एक दूसरे के प्रतिद्वंदी होंगे. इससे पहले 2014 और 2019 में भी दोनों आमने-सामने चुनाव लड़ चुके हैं.
बाड़मेर सीट पर भी होगा गठबंधन?
चर्चा है कि हनुमान बेनीवाल बाड़मेर सीट भी गठबंधन के तहत चाहते हैं. हनुमान यहां बायतु के उम्मेदाराम बेनीवाल को उम्मीदवार बनाना चाहते हैं, क्योंकि उम्मेदाराम जमीन से जुड़े नेता हैं. वे 2018 और 2023 का विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं और बेहद मामूली अंतर से हारे थे. ऐसे में जमीन पर उनकी अच्छी पकड़ है और बड़ी संख्या में मतदाता भी उनके पक्ष में हैं.