Lok Sabha Election 2024: टोंक-सवाई माधोपुर लोकसभा सीट 2008 में नए परिसीमन के बाद वर्ष 2009 में जाकर अस्तित्व में आई. इस सीट पर पिछले तीन चुनावों में से दो बार भाजपा तो एक बार कांग्रेस के प्रत्याशी ने जीत हासिल की है. मीणा, गुर्जर, अल्पसंख्यक मतदाताओं बाहुल्य वाली इस सीट पर दोनों ही पार्टियां जातिगत समीकरणों को ध्यान में रखते हुए टिकट देती रही हैं. भाजपा ने जहां पिछले 3 चुनावों में गुर्जर जाति के प्रत्याशी को मैदान में उतारा है. वहीं कांग्रेस ने दो बार मीणा जाति से तो एक बार अल्पसंख्यक प्रत्याशी को चुनावी मैदान में उतारा है. वर्तमान में भाजपा के सुखबीर सिंह जौनपुरिया सांसद हैं जिन्होंने दो लगातार चुनावों में जीत दर्ज की है. 2024 के लोकसभा चुनावों में एक बार फिर से लगभग 22 लाख मतदाताओं वाली इस सीट पर बीजेपी और कांग्रेस गुर्जर और मीणा जाति के प्रत्याशियों पर दांव खेलती नजर आए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी.
2009 के लोकसभा चुनावों से पहले यह सीट टोंक लोकसभा सीट के नाम से जानी जाती थी, जिसमें दूदू और फुलेरा क्षेत्र भी शामिल थे. टोंक-सवाई माधोपुर की 8 विधानसभा सीटों से मिलकर 2009 में टोंक-सवाई माधोपुर लोकसभा सीट पर पहला चुनाव बीजेपी के गुर्जर नेता कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला और कांग्रेस के नमोनारायण मीणा के बीच लड़ा गया, जिसमें कांग्रेस के प्रत्याशी कांटे के मुकाबले में विजय हुए और यूपीए सरकार के केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री बने. लेकिन 2014 में कांग्रेस ने इस सीट पर पूर्व भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान मोहम्मद अज़हरुद्दीन को चुनाव मैदान में उतारा. वहीं भाजपा ने हरियाणा में रहने वाले व्यवसायी और गुर्जर नेता सुखबीर सिंह जौनपुरिया को चुनाव मैदान में उतार दिया. देश मे मोदी लहर के चलते जहां भाजपा के सुखबीर सिंह जौनपुरिया ने यह चुनाव 1 लाख 35 हजार 506 वोटो के अंतर से जीता और कांग्रेस का अल्पसंख्यक प्रत्याशी मैदान में उतारने का दांव फैल हो गया. ऐसे में एक बार फिर से 2019 के चुनावों में कांग्रेस ने इस सीट पर नमोनारायण मीणा को प्रत्याशी बनाया. लेकिन भाजपा के सुखबीर सिंह जौनपुरिया ने इस क्षेत्र से लगातार दूसरा चुनाव एक बार फिर से 1 लाख से अधिक वोटो से जीता. सुखबीर सिंह जौनपुरिया एक बार फिर से इस सीट पर भाजपा के मजबूत प्रत्याशी साबित हो सकते हैं. इसके पीछे एक बड़ी वजह लोकसभा क्षेत्र में उनका निरन्तर सम्पर्क ओर सामाजिक सरोकार के कार्यों में लगातार लोगों की मदद करना है.
2023 में हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों को दिखते हुए इस बार 2024 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर कड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है. क्योंकि वर्तमान समय मे टोंक जिले में दो सीटों पर बीजेपी के, तो दो सीटों पर कांग्रेस के विधायक जीते हैं और यही हाल सवाई माधोपुर जिले में है. जहां से बीजेपी के दो विधायक जीते हैं तो कांग्रेस के दो विधायक जीते हैं.
1. टोंक विधानसभा :- सचिन पायलट, कांग्रेस
2. देवली-उनियारा :- हरीश चंद्र मीणा, कांग्रेस
3. मालपुरा-टोडारायसिंह :- कन्हैया लाल चौधरी, बीजेपी
4. निवाई-पीपलू :- रामसहाय वर्मा, बीजेपी
5. सवाई माधोपुर :- किरोड़ी लाल मीणा, बीजेपी
6. खंडार :- जितेन्द्र गोठवाल, बीजेपी
7. बामनवास :- इंद्रा मीणा, कांग्रेस
8. गंगापुर सिटी :- रामकेश मीणा, कांग्रेस
परिसीमन से पहले टोंक लोकसभा सीट का इतिहास
2008 में हुए नए लोकसभा क्षेत्र के परिसीमन से पहले टोंक लोकसभा सीट रिजर्व सीट थी और 1952 से लेकर 2004 तक के 14 चुनावों में कांग्रेस पार्टी से 5 सांसद चुनकर गए. जनता पार्टी और भारतीय जनता पार्टी से 6 सांसद चुनाव जीतकर गए. वहीं 1962, 1967 और 1971 के तीन चुनावों में 3 सांसद स्वतंत्र पार्टी के जीतकर संसद पहुंचे.
2009 से पहले सवाई माधोपुर लोकसभा सीट का इतिहास
1952 से 2009 के बीच कुल 16 लोकसभा चुनावों में सवाई माधोपुर सीट पर अधिकतर कांग्रेस का कब्जा रहा और 16 में से 10 चुनावों में कांग्रेस प्रत्याशियों ने जीत हासिल की. इस सीट पर कांग्रेस के रामकुमार मीणा, उषा मीणा ओर नमोनारायण मीणा दो-दो बार सांसद बने.
2024 के लोकसभा चुनाव पर सबकी नजर
2024 में होने वाले चुनावों पर सबकी नजर है. मीणा, गुर्जर, एससी और अल्पसंख्यकों के साथ जाट, माली, ब्राह्मण, राजपूत मतदाता बाहुल्य इस पर पिछले दो चुनाव से भाजपा के सुखबीर सिंह जौनपुरिया सांसद हैं. क्या भाजपा तीसरी बार भी उन पर विश्वास जताएगी? ये देखने वाली बात यह होगी. भाजपा में अलका गुर्जर के साथ ही जयपुर की मेयर सौम्या गुर्जर और सीताराम पोसवाल, प्रभुलाल सैनी, विजय बैंसला के साथ कई नेता टिकट की दौड़ में हैं. वहीं कांग्रेस क्या अपने बड़े नेताओं अशोक गहलोत, सचिन पायलट जैसे नेताओं को लोकसभा चुनाव लड़ाने का फैसला लेगी? अगर ऐसा होता है तो सचिन पायलट इस सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी हो सकते हैं और अगर कांग्रेस मीणा जाति से प्रत्याशी बनाती है तो हरीश मीणा ओर रामकेश मीणा के साथ ही नमोनारायण मीणा का नाम भी टिकट की दौड़ में हैं.
लोकसभा चुनाव में मुद्दे
टोंक-सवाई माधोपुर लोकसभा सीट पर वैसे तो चुनाव जातिगत आधार पर ही लड़ा जाता रहा है और दोनों ही पार्टियों के साथ अन्य दल भी जातिगत आधार पर ही टिकट का वितरण करते रहे हैं. लेकिन आजादी के बाद से अब तक टोंक में रेल नहीं होना हर चुनावों में मुद्दा है. अब जबकि राजस्थान में डबल इंजन की सरकार है तो क्या भाजपा से सांसद सुखबीर सिंह जौनपुरिया रेल बजट में टोंक को रेल की सौगात दिला पाएंगे? क्योंकि इससे पहले नमोनारायण मीणा 2009 और 2013 के बीच केंद्र में यूपीए सरकार व राजस्थान में अशोक गहलोत की सरकार होते हुए रेल लाने में नाकामयाब रहे थे. वहीं सुखबीर जौनापूरिया भी 2014 से 2018 के बीच केंद्र में मोदी सरकार और राजस्थान में वसुंधरा राजे सरकार होने के बावजूद रेल नहीं ला सके थे. ऐसे में अब एक बार फिर से डबल इंजन सरकार से उम्मीद जगी है तो बीसलपुर बांध का गांव-गांव तक पेयजल के लिए पानी, ईआरसीपी प्रोजेक्ट की क्रियान्विति और क्षेत्र में अवैध बजरी का खनन भी मुख्य मुद्दे रहेंगे.
वर्तमान सांसद की क्षेत्र में पकड़
भारतीय जनता पार्टी ने 2014 में सुखबीर सिंह जौनपुरिया को हरियाणा से राजस्थान लाकर चुनाव लड़ाया और जौनपुरिया ने पहले चुनाव में कांग्रेस के अजहरुद्दीन को तो दूसरे चुनाव में कांग्रेस के नमोनारायण मीणा को हराया. उसके साथ ही जौनपुरिया क्षेत्र में लगातार रहने के साथ ही सामाजिक सरोकार के कार्यो में जनता के साथ जुड़े रहे हैं. वहीं सम्पूर्ण लोकसभा क्षेत्र की गोशालाओं की आर्थिक मदद के साथ ही सांसद खुद के खर्चे से पिछले 8 सालों से गरीबों और जरूरतमंत लोगों के लिए सांसद रसोई भी चला रहे हैं जिसकी तारीफ खुद प्रधानंत्री नरेन्द्र मोदी भी ट्वीट करके कर चुके हैं. वहीं सांसद ने टोक में आवास भी किराए पर ले रखा है और वह निरन्तर जनता के बीच रहे हैं.