Rajasthan Politics: राजस्थान में ERCP पर फिर मचा घमासान, निर्मला-गजेंद्र के आरोपों पर अब गहलोत ने किया पलटवार

Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव की वोटिंग से ठीक पहले राजस्थान में फिर ईआरसीपी को लेकर सियासत गरमा गई है. केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण और गजेंद्र सिंह शेखावत ने अशोक गहलोत को निशाने पर लिया है, जिसके बाद कांग्रेस नेता ने पलटवार किया है.

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लोकसभा चुनाव की वोटिंग से ठीक पहले राजस्थान में फिर गरमाया ईआरसीपी का मुद्दा.

Rajasthan News: राजस्थान में लोकसभा चुनाव के पहले चरण की वोटिंग से ठीक पहले ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट (ERCP) के मुद्दे पर सियासी बयानबाजी फिर से तेज हो गई है. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) के जयपुर दौरे के दौरान अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) पर इस योजना को लटकाने का आरोप लगाते हुए बड़ा हमला बोला है. सीतारमण ने कहा, 'राजस्थान की पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने प्रदेश में जल की भारी किल्लत होने के बाद भी इस महत्वपूर्ण योजना को लटकाए रखा. गहलोत पहले मुख्यमंत्री रहे हैं, जिन्होंने पानी जैसे महत्वपूर्ण विषय को गंभीरता से नहीं लिया.' सीतारमण ने यहां तक कहा कि कांग्रेस केवल चुनाव के लिए वादा करती है, जनता को गुमराह करती है. जबकि भाजपा सरकार ने 100 की कार्ययोजना पर काम करते हुए ERCP योजना पर समझौता कर इस दिशा में बड़ा कदम उठाया है.

'हम जादूगर नहीं हैं जो छड़ी घुमाई...'

केंद्रीय वित्त मंत्री के इस बयान के बाद कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने अजमेर में आयोजित एक चुनावी सभा में पलटवार करते हुए कहा, 'केंद्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ईआरसीपी को राष्ट्रीय प्रोजेक्ट में शामिल नहीं करवा पाए. पीएम मोदी ने ईआरसीपी को राष्ट्रीय योजना घोषित करने की घोषणा की थी, लेकिन सत्ता में आने के बाद मोदी अपना वादा भूल गए.' इसके बाद केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने गहलोत के बयान पर कटाक्ष करते हुए कहा, 'हम उनकी तरह 'जादूगर' नहीं हैं जो छड़ी घुमाई, पानी आ गया. काम होने में टाइम लगता है. लेकिन भरोसा रखिए, हर हाल में राजस्थान के हर घर तक पीने का पानी पहुंचाया जाएगा.' दरअसल, ERCP योजना पूर्वी राजस्थान में पेयजल और सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराने की योजना है. इसमें राजस्थान के 13 जिलों में पीने का पानी और 26 विभिन्न बड़ी और मध्यम परियोजनाओं के माध्यम से 2.8 लाख हेक्टेयर भूमि को सिंचाई जल उपलब्ध कराने का प्रस्ताव है. इन 13 जिलों में झालावाड़, बारां, कोटा, बूंदी, सवाई माधोपुर, अजमेर, टोंक, जयपुर, करौली, अलवर, भरतपुर, दौसा और धौलपुर शामिल है.

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MoU साइन होने के बाद जगी उम्मीद

असल में राजस्थान में भाजपा सरकार बनते ही और मध्य प्रदेश सरकार के साथ हुए जल समझौते पर से इस योजना को लेकर बड़ी उम्मीद जगी है. इस समझौते में PKC यानी पार्वती कालीसिंध चंबल और ERCP यानी पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना के तहत चंबल, उसकी सहायक नदियों और नहरों को मिलाकर एक नेटवर्क तैयार करने की तैयारी है. पीकेसी-पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना का लक्ष्य दक्षिणी राजस्थान में चंबल और उसकी सहायक नदियां जैसे- कुन्नू, पार्वती और कालीसिंध जैसी नदियों में बरसात के मौसम के दौरान जो पानी जमा होता है, उसका इस्तेमाल करना है. इस नहर का पानी की कमी वाले दक्षिण-पूर्वी जिलों में इस्तेमाल होगा.

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दोनों राज्य शेयर करेंगे पानी

दरअसल राजस्थान, मध्य प्रदेश और केंद्र के बीच हुआ यह समझौता बताता है कि दोनों राज्य पानी को शेयर करेंगे, एक दूसरे को पानी पहुंचाएंगे. प्रोजेक्ट की लागत तीनों (केंद्र) शेयर करेंगे. चंबल बेसिन में जल के मैनेजमेंट और कंट्रोल करने की व्यवस्था होगी. राजस्थान के विधानसभा चुनाव में भी ईआरसीपी बड़ा चुनावी मुद्दा था और लोकसभा चुनाव से ठीक पहले फिर से इस मुद्दे को लेकर आपसी बयानबाजी नजर आ रही है. प्रदेश में भाजपा की बनते ही मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने मध्य प्रदेश के साथ समझौता कर प्रदेश में इस योजना की दिशा में बड़ा कदम उठाया था. उम्मीद है इस संवेदनशील मुद्दे पर केवल राजनीति नहीं होगी, बल्कि सरकार गंभीरता से प्रदेश के 13 जिलों को पेयजल और सिंचाई जैसी सुविधाओं का लाभ मिल पाएगा.

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