लूणी के भाचरणा गांव में रेतीले बवंडर का तांडव, विवाह स्थल पर हवा में उड़े टेंट, भगदड़ में दो महिलाएं घायल

लूणी क्षेत्र के भाचरणा गांव में शादी समारोह के दौरान अचानक भभूल्या (धूल भरी रेत का बवंडर) आने से विवाह स्थल पर अफरा तफरी का महौल बन गया.  

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Sandstorm in Luni: जोधपुर जिले के लूणी क्षेत्र में भभूल्या (धूल भरी रेत का बवंडर) का कहर देखने को मिल है. यहां के  भाचरणा गांव में शादी का कार्यक्रम आयोजित किया गया था. जिसमें अचानक आए रेत के बवंडर ने कोहराम मचा दिया. इस घटना में  शादी में शामिल होने आई दो महिलाएं घायल हो गई है.

अचानक आया रेतीला बवंडर 

मामला जिले के लूणी क्षेत्र का है जहां भाचरणा गांव में शादी समारोह के दौरान अचानक भभूल्या (धूल भरी रेत का बवंडर) आने से विवाह स्थल पर अफरा तफरी का महौल बन गया.  विवाह स्थल पर करीब 100 से ज्यादा लोग मौजूद थे. तेज रेतीले बवंडर के आने के कारण वहां पर लगे टेंटों को हवा में उड़ा दिया. साथ ही शादी समारोह में चल रहे भोजन में शामिल 100 से अधिक लोगों को अपनी चपेट में ले लिया. लोग इससे बचने के लिए इधर- उधर जान बचाते हुए भागते रहे. जिससे विवाह स्थल पर भगदड़ का माहौल बन गया. और इसमें दो महिलाएं घायल हो गई. जिन्हें  एमडीएम हॉस्पिटल में प्राथमिक उपचार के भर्ती कराया गया है. 

घटनास्थल पर मौजूद भाचरणा सरपंच प्रतिनिधि अशोक गोदारा ने बताया की दोपहर में गांव में विवाह का आयोजन चल रहा था. जिसमें 100 से अधिक लोग भोजन कर रहे थे. उसी समय अचानक भभूल्या (रेतीला भवंडर) के आने से सभा में भगदड़ मच गईं. वहीं रेत के बवंडर की चपेट में आने से विवाह स्थल का टेंट हवा में उड़ गया साथ ही शादी का सारा खाना जमीन पर बिखर कर बर्बाद हो गया.  

क्या होते है रेतीले बवंडर

समुद्र में तेज हवा के कारण लहरे ऊपर उठना शुरू कर देती है. इससे हवा की गति बढ़ने पर ऊपर उठने वाली लहरें तूफान बन जाती है. इसी तर्ज पर रेगिस्तान में चलने वाली हवा यहां फैले रेत के समंदर में लहरे बना देती है। तेज हवा के साथ इन लहरों की ढीली धूल ऊपर उठ बवंडर का रूप धारण कर लेती है. रेगिस्तान में उठने वाले ये बवंडर कई बार मीलों लम्बे होते है.

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इस कराण आते है बवंडर

रेगिस्तान का ज्यादा हिस्सा भूमध्य रेखा के ही आस पास है. जिसके कारण इन क्षेत्रों में वायुमंडलीय दबाव बहुत अधिक होता है. यह दबाव ऊंचाई पर मौजूद ठंडी शुष्क हवा को जमीन तक खीचकर लाता है.  जिसके कारण सूरज की सीधी किरणें इस हवा की नमी खत्म कर देती है. साथ ही नमी समाप्त होने से यह हवा काफी गर्म हो जाती है. इस कारण बारिश नहीं होती है और जमीन शुष्क और गर्म हो जाती है. जमीन गर्म होने के कारण नमी की कमी में धूल के कणों आपस में पकड़ खो देते है. ऐसे में ये कण हवा के साथ बहुत सरतलता से ऊपर की ओर जाने लगती है. उस समय हवा की गति 40 किमी से अधिक होती है जिसके कारण वह एक बवंडर का रूप धारण कर लेती है.

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