जयपुर में ‘मद्रासी गैंग’ का भंडाफोड़, ट्रेस आउट टेकनीक से उड़ाते थे सामान, फिर ट्रेन या बस से हो जाते थे रफूचक्कर

Rajasthan News: राजस्थान में ट्रेस आउट चोरी की वारदातों में लिप्त कुख्यात ‘मद्रासी गैंग’ के दो सदस्यों को पुलिस ने गिरफ्तार करने कामयाबी हासिल की है. गिरोह के तार दक्षिण भारत (विशेष रूप से तमिलनाडु और दिल्ली के मदनपुरी इलाके) से जुड़े हुए हैं.

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पुलिस ने मद्रासी गिरोह के दो सदस्यों को गिरफ्तार किया
NDTV

Jaipur Crime News: राजस्थान की राजधानी जयपुर में ट्रेस आउट चोरी की वारदातों में लिप्त कुख्यात ‘मद्रासी गैंग' के दो सदस्यों को पुलिस ने गिरफ्तार करने कामयाबी हासिल की है. गिरोह के तार दक्षिण भारत (विशेष रूप से तमिलनाडु और दिल्ली के मदनपुरी इलाके) से जुड़े हुए हैं. पकड़े गए आरोपियों की पहचान एम. कुमार और शिवम के रूप में हुई है, जो  मऊ (उत्तर प्रदेश) के निवासी हैं लेकिन लम्बे समय से दिल्ली के मदनपुरी कॉलोनी में ठिकाना बनाकर राजस्थान समेत उत्तर भारत में वारदातों को अंजाम दे रहे थे.

 बैग या अटैची रखी गाड़ियों कोही बनाते थे निशाना

यह गिरोह रेकी कर ऐसी गाड़ियों को निशाना बनाता था जो भीड़-भाड़ वाले क्षेत्रों (मॉल, होटल, बाजार) में पार्क होती थीं और जिनमें सामने की सीट पर बैग या अटैची रखी होती थी.कन्फर्म होने पर  गैंग का एक सदस्य जानबूझकर गाड़ी के पास कोई सिक्का या सामान गिराता और मालिक का ध्यान भटकाता. जैसे ही ड्राइवर बाहर निकलता, दूसरे सदस्य गाड़ी का शीशा तोड़कर बैग या अन्य कीमती सामान लेकर फरार हो जाते. चोरी के बाद आरोपी तुरंत गाड़ी बदलकर या बस/ट्रेन से बाहर निकल जाते जिससे ट्रेस करना मुश्किल हो जाता.

 जयपुर के कई थानों में केस दर्ज

पुलिस जांच में खुलासा हुआ है कि ये आरोपी पहले दिल्ली और फिर चेन्नई, बेंगलुरु जैसे शहरों में भी वारदातों को अंजाम दे चुके हैं. दिल्ली में इनका ठिकाना ‘मद्रासी गैंग' के पुराने नेटवर्क से जुड़ा है, जिसे पहले भी कई मामलों में चिह्नित किया जा चुका है. यह गिरोह खास तौर पर ट्रेन और बस के रास्ते शहर में एंट्री करता है और वारदात कर 24 घंटे के अंदर रफूचक्कर हो जाता है.

पुलिस की विशेष टीम की कार्रवाई

इस सफल ऑपरेशन को अंजाम देने में थानाधिकारी राजेन्द्र कुमार शर्मा की अगुवाई में गठित टीम – एसआई डालनाथ, कांस्टेबल प्रखारचन्द, बाबूलाल, राजेन्द्र सिंह (तकनीकी शाखा) और राजकुमार की अहम भूमिका रही. टीम ने 31 मार्च से 2 अप्रैल तक लगातार तकनीकी निगरानी, सीसीटीवी फुटेज, संदिग्ध मोबाइल सर्विलांस आदि की मदद से आरोपियों की लोकेशन ट्रेस कर उन्हें दबोचा.

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