Mahashivratri: राजस्थान में एक ऐसा शिवालय जो नदी के तट पर स्थित है और 8 महीने तक डूबा रहता है. जुलाई महीने में भारी बारिश के चलते पूरा क्षेत्र डूबा रहता है और फरवरी तक मंदिर जलमग्न रहता है. यह शिवालय बांसवाड़ा जिले में माही नदी के तट पर स्थित है. शहर के करीबी आबापुरा क्षेत्र में चारणेश्वर महादेव का प्राचीन मंदिर है. माही बांध बनने के कारण यह डूब क्षेत्र में चला गया.
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आज महाशिवरात्रि के मौके पर जानिए चारणेश्वर महादेव मंदिर समेत बांसवाड़ा के अद्भुत शिवालयों के बारे में.
गोपेश्वर महादेव मंदिरः ग्वालों ने देखा था शिवलिंग
खमेरा ग्राम पंचायत के भाटिया गांव में पहाड़ी पर गुफा में प्राचीन गोपेश्वर महादेव मंदिर है. लोक मान्यता के अनुसार पहले यहां घना जंगल था, उस दौरान मंदिर के सामने से बड़ी नदी बहती थी, जो अब नाला बन चुकी है. करीब 500 साल पहले जंगल में कुछ ग्वाले गाय भैंस, बकरियां चराने आया करते थे. मवेशियों को नदी में पानी पिलाने के लिए गए तो किनारे पर चट्टानों के बीच एक छोटा सा गहराई वाला छेद देखा.
जब इस छेद में उन्होंने पत्थर डाला तो वह गहराई में चला गया. इसके बाद मशाल जलाकर छेद में झांका तो अंदर एक बड़ी गुफा नजर आई. एक दो लोग रेंगकर उसमें घुसे, जहां शिवलिंग, नदी, भगवान गणेशजी की स्थापित मूर्तियां मिली. ग्रामीण तब से यहां रोज पूजा अर्चना करने लग गए. कुछ दिनों बाद मंदिर के आगे गिरी चट्टान टूटकर खिसककर गिर गई. अब गुफा में जाने का रास्ता बन गया.
संगमेश्वर मंदिर भी है अद्भुत, पड़ोसी राज्यों से आते हैं श्रद्धालु
ऐसी ही एक मंदिर जिले की इटाउवा ग्राम पंचायत (गढ़ी) के भैसाऊ गांव में स्थित है. माही और अनास नदी के संगम स्थल पर बने संगमेश्वर महादेव मंदिर में पड़ोसी राज्यों से भी श्रद्धालु आते हैं. इस मंदिर में राजस्थान के अलावा गुजरात और मध्यप्रदेश के श्रद्धालु आते हैं. इस मंदिर में दर्शन के लिए अरथूना और आनंदपुरी से नाव के रास्ते जाना होता है.
वहीं, सड़क मार्ग से अरथूना की इटाउवा पंचायत से होकर श्रद्धालु जाते हैं. बारिश के मौसम में यह टूरिस्ट प्वॉइंट भी बन जाता है. चमत्कारी मंदिर भी कहा जाता है. मान्यता है कि श्रद्धालुओं द्वारा यहां पर जो भी मन्नत मांगी जाती है, वह जरूर पूरी होती है.
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