कांगो में मौत के 13 दिन बाद जोधपुर पहुंचा महेंद्र राठौड़ का शव, कंपनी ने डेड बॉडी भेजने से किया था इनकार

Mahendra Rathore's death: महेंद्र कांगों में एक कंपनी में काम करता था. कंपनी का कहना कि उसकी मौत साइलेंट अटैक आने से से हुई थी. कंपनी द्वारा शव को रोके जाने पर परिवार के लोगों को संदेह उत्पन्न हुआ था.करीब 13 दिन बाद महेंद्र का शव एयर इंडिया की फ्लाइट से मुंबई से पहुंचा था और उसके बाद जोधपुर पहुंचा. 

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Jodhpur News: जोधपुर के एक महेंद्र राठौड़ की कांगों में संदेहास्पद हालत में मौत हो गई थी. राठौड़ के परिजन पिछले 13 दिन से उसके शव के पहुंचने का इंतजार कर रहे थे. इस बीच पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok gehlot) ने सोशल मीडिया पर इसका मुद्दा उठाया था. वही केंद्रीय पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत (Gajendra singh Shekhawat) ने इसको गंभीरता से लेते हुए दूतावास से संपर्क किया. महेंद्र कांगों में एक कंपनी में काम करता था. कंपनी का कहना कि उसकी मौत साइलेंट अटैक आने से से हुई थी. कंपनी द्वारा शव को रोके जाने पर परिवार के लोगों को संदेह उत्पन्न हुआ था. करीब 13 दिन बाद महेंद्र का शव एयर इंडिया की फ्लाइट से मुंबई से पहुंचा था और उसके बाद जोधपुर पहुंचा. 

मौत की खबर मिलने के बाद परिवार का रो-रोकर बुरा हाल

दरअसल, एपेंडिक्स के ऑपरेशन के लिए महेंद्र को कंपनी की ओर से अस्पताल में भर्ती करवाया गया था और जहां उपचार के बीच उसकी मौत होने की जानकारी दी गई. घरवालों ने उसकी मौत पर संदेह जताया था. महेंद्र की मौत के बाद कंपनी संचालक ने उसका अंतिम संस्कार वहीं करने के लिए दबाव भी बनाया, जिसके चलते परिजनों को संदेह हो रहा था. जिले के प्रतापनगर का रहने वाले महेंद्र की मौत 19 अक्टूबर को हुई थी.

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पिता रमेश राठौड़ ने लगाई थी कंपनी से लगाई थी गुहार  

उसके पिता रमेश राठौड़ ने शव को जोधपुर भेजने के लिए कंपनी से गुहार भी लगाई थी. कंपनी ने खर्चा ज्यादा होने की बात कही. साथ ही कहा कि शव का वहीं पर अंतिम संस्कार कर दिया जाए. यह कहकर शव को भेजने से इनकार कर दिया गया था. 

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