राजस्थान का जालियांवाला बाग 'मानगढ़ धाम' पर नाटक का मंचन, 1500 आदिवासियों ने दी थी शहादत

राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में स्थित मानगढ़ धाम 1500 से अधिक भील आदिवासियों की शहादत का गवाह है, जिन्हें अंग्रेजों ने 17 नवंबर 1913 को मार डाला था. यह घटना राजस्थान का जलियांवाला बाग कहलाती है.

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बांसवाड़ा पहुंचने पर गोविंद गुरु को नमन करते पीएम मोदी.

राजस्थान का भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान है. कई आंदोलनों में राजस्थान के जाबांजों ने अपनी वीरता का परिचय दिया. बांसवाड़ा जिले का मानगढ़ धाम भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का वो गौरवशाली पन्ना है, जिसे सुनकर आज भी रोएं खड़े हो जाते हैं. मानगढ़ धाम को राजस्थान का जलियांवाला बाग कहा जाता है. यहां 1500 भील आदिवासियों ने अंग्रेजों से लड़ते हुए शहादत दी थी. अब इन वीर शहीदों की कहानी नाटक के रूप में एक बार फिर जीवंत होने वाली है. क्योंकि नागपुर में मानगढ़ धाम की कहानी पर नाटक का मंचन होना है. मालूम हो कि मानगढ़ धाम गोविंद गुरु के नेतृत्व में भील आदिवासियों के स्वतंत्रता आंदोलन का केंद्र था. गोविंद गुरु एक महान संत और समाज सुधारक थे. उन्होंने भील आदिवासियों को अंग्रेजों के खिलाफ एकजुट होने और अपने अधिकारों के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया.

गोविंद गुरु की प्रतिमा

17 नवंबर 1913 को, हजारों भील आदिवासी मानगढ़ धाम में एकत्र हुए थे. वे गोविंद गुरु के जन्मदिन मनाने और उनके आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए आए थे. लेकिन अंग्रेजों ने उन्हें बिना किसी कारण के हमला कर दिया. इस हमले में 1500 से अधिक भील आदिवासी मारे गए. मानगढ़ धाम की शहादत ने भील आदिवासियों के स्वतंत्रता आंदोलन को नई ताकत दी. इस घटना ने भील आदिवासियों को यह एहसास दिलाया कि वे अंग्रेजों के खिलाफ लड़ सकते हैं और जीत सकते हैं.

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संस्कार भर्ती ने किया नागपुर में नाटक आयोजित 

संस्कार भारती ने इस महत्वपूर्ण घटना को नाटक के रूप में आयोजित करने का कार्यक्रम रखा है, जो अमृत महोत्सव के तहत हो रहा है. इस आयोजन में देश भर से चयनित 12 नाटकों का मंचन होगा, और इसमें से एक नाटक मानगढ़ धाम पर हुए नरसंहार को आधार बनाता है.

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नाटक शंखनाद का मंचन महाराष्ट्र के नागपुर में 15 से 16 सितंबर को होगा. इस उपलक्ष्य में, आयोजन के उद्घाटन समारोह में कृष्ण की भूमिका निभाने वाले अभिनेता नितीश भारद्वाज, महाराष्ट्र सरकार के सांस्कृतिक कार्य मंत्री सुधीर मुनगंटीवार, और नाट्य अकादमी के अध्यक्ष संध्या पूरेचा भी शामिल होंगे. समापन समारोह में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और संस्कार भारती के अखिल भारतीय अध्यक्ष वासुदेव कामत भी उपस्थित रहेंगे.

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स्मारक पर पीएम मोदी

इस नाट्य समारोह का मानगढ़ धाम को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने का सबसे अद्भुत मौका हो सकता है. केंद्र और राज्य सरकार द्वारा इसे राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने के लिए कवायद भी चल रही है. इस नाटक के माध्यम से मानगढ़ धाम की सांस्कृतिक महत्वपूर्णता को सामाजिक मंच पर उजागर करने से, यह कदम इस धाम को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है.

इस नाटक में शानदार अभिनय के साथ, वागड़ क्षेत्र के प्रसिद्ध रंगकर्मी सतीश आचार्य द्वारा लिखित और निर्देशित हो रहा है. इसमें वरिष्ठ रंगकर्मी जगन्नाथ तेली गोविंद गुरु की प्रमुख भूमिका में होंगे, और उनके साथ विभिन्न पात्रों की भूमिका में हितेश शर्मा,  दिव्य प्रसाद शर्मा,  विजय लाल परमार, सौरभ सोलंकी,  जयंती खराड़ी, शंकर निनामा, वंश सोनी, राघवेंद्र सिंह, सूरज प्रताप सिंह, ध्रुव चौहान, देव व्यास, राकेश भट्ट, दक्षराज सिंह चौहान, रीना शर्मा, रंजीत शर्मा, और पुष्पा आचार्य भी अभिनय करेंगे.

नाटक का मंचन नागपुर के बाल गंधर्व नाट्य मंदिर में 15 और 16 सितंबर को क्रमश: दोपहर 3 बजे और शाम 7 बजे किया जाएगा. नाटक के टिकटों की कीमत रु. 100 और रु. 50. इस नाटक के माध्यम से मानगढ़ धाम की वीरगाथाएं नए पीढ़ियों तक पहुँचेगी. 

लंबे समय से राष्ट्रीय स्मारक बनाने की मांग 

मानगढ़ धाम को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने की मांग लंबे समय से की जा रही है. सरकार ने इस मांग पर विचार किया है और जल्द ही इस पर फैसला ले सकती है. इस नाटक के जरिए हमसभी देश के गौरवशाली इतिहास को एक नए दृष्टिकोण से देख सकते हैं.

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