सुहागिन महिलाएं 11 अप्रैल को रखेंगी गणगौर का व्रत, बना रहा तीन शुभ योग, जानें शुभ मुहूर्त

11 अप्रैल को गणगौर की पूजा होगी और गणगौर की सवारी निकली जाएगी. इस बार गणगौर के दिन 3 शुभ योग बन रहे हैं.

विज्ञापन
Read Time: 5 mins

Gangaur Puja 2024: गणगौर पूजा हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को होती है. इस दिन सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुखी जीवन के लिए व्रत रखती हैं और पूजा करती हैं. पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डॉ अनीष व्यास ने बताया कि गुरुवार 11 अप्रैल को गणगौर की पूजा होगी और गणगौर की सवारी निकली जाएगी. इस बार गणगौर के दिन 3 शुभ योग बन रहे हैं. इस व्रत की विशेषता यह है कि महिलाएं इसे गुप्त रूप से करती हैं. वे अपने पति को व्रत और पूजा के बारे में नहीं बताती हैं. यह व्रत और पूजा पति को बिना बताए की जाती है. गणगौर का व्रत और पूजन अविवाहित युवतियां भी करती हैं ताकि उनको मनचाहा जीवनसाथी प्राप्त हो सके. 

ज्योतिषाचार्य डॉ अनीष व्यास ने बताया कि गणगौर का संबंध भगवान शिव और माता पार्वती से है. गण का अर्थ​ शिव और गौर का अर्थ गौरी है इसलिए इस व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करते हैं. शिव और गौरी की पूजा करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य एवं सुखी दांपत्य जीवन का आशीर्वाद मिलता है.

गणगौर पूजा का शुभ मुहूर्त

ज्योतिषाचार्य डॉ अनीष व्यास ने बताया कि हिंदू कैलेंडर के अनुसार इस साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया ति​थि 10 अप्रैल को शाम 05:32 मिनट से प्रारंभ होगी. इस तिथि का समापन 11 अप्रैल को दोपहर 03:03 मिनट पर होगा. उदयातिथि के आधार पर देखा जाए तो इस साल गणगौर पूजा गुरुवार 11 अप्रैल को होगी.

गणगौर पूरा में बन रहे हैं 3 शुभ योग 

ज्योतिषाचार्य डॉ अनीष व्यास ने बताया कि 11 अप्रैल को गणगौर पूजा के दिन रवि योग, प्रीति योग और आयुष्मान योग बना है. रवि योग प्रात:काल में 06:00 बजे से अगले दिन 12 अप्रैल को मध्य रात्रि 01:38 तक है. वहीं, प्रीति योग सुबह 07:19 तक है और उसके बाद से आयुष्मान योग लगेगा. जो 12 अप्रैल को प्रात: 04:30 तक रहेगा. फिर सौभाग्य योग बनेगा.

Advertisement

महिलाएं छिपाकर क्यों करती हैं गणगौर व्रत और पूजा 

ज्योतिषाचार्य डॉ अनीष व्यास ने बताया कि पौराणिक कथा के अनुसार एक बार माता पार्वती ने भगवान शिव के लिए व्रत और पूजा की. लेकिन वो भोलेनाथ से इसके बारे में बताना नहीं चाहती थीं. शिव जी ने काफी प्रयास किया कि वे बता दें, लेकिन माता पार्वती ने उस बारे में कोई बात नहीं की. वे गुप्त रूप से वह व्रत करना चाहती थीं. इस वजह से हर साल महिलाएं गणगौर व्रत और पूजा अपने पति से छिपाकर करती हैं. यहां तक कि इस व्रत और पूजा में चढ़ाए गए प्रसाद को भी पति को खाने को नहीं देती हैं.

18 दिन तक मनाया जाता है यह पर्व 

भविष्यवक्ता डॉ अनीष व्यास ने बताया कि राजस्थान में गणगौर का त्योहार फाल्गुन माह की पूर्णिमा (होली) के दिन से शुरू होता है, जो अगले 18 दिनों तक चलता है. 18 दिनों में हर रोज भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति बनाई जाती है और पूजा व गीत गाए जाते हैं. इसके बाद चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करके व्रत और पूजा करती हैं और शाम के समय गणगौर की कथा सुनते हैं. मान्यता है कि बड़ी गणगौर के दिन जितने गहने यानी गुने माता पार्वती को अर्पित किए जाते हैं, उतना ही घर में धन-वैभव बढ़ता है. पूजा के बाद महिलाएं ये गुने सास, ननद, देवरानी या जेठानी को दे देते हैं. गुने को पहले गहना कहा जाता था लेकिन अब इसका अपभ्रंश नाम गुना हो गया है.

Advertisement

गणगौर पर्व का महत्व 

कुंडली विश्लेषक डॉ अनीष व्यास ने बताया कि गणगौर शब्द गण और गौर दो शब्दों से मिलकर बना है. जहां ‘गण का अर्थ शिव और ‘गौर का अर्थ माता पार्वती से है. दरअसल, गणगौर पूजा शिव-पार्वती को समर्पित है. इसलिए इस दिन महिलाओं द्वारा भगवान शिव और माता पार्वती की मिट्टी की मूर्तियां बनाकर उनकी पूजा की जाती है. इसे गौरी तृतीया के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता है कि इस व्रत को करने से महिलाओं को अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति होती है. भगवान शिव जैसा पति प्राप्त करने के लिए अविवाहित कन्याएं भी यह व्रत करती हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, माता पार्वती भगवान शिव के साथ सुहागन महिलाओं को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद देने के लिए भ्रमण करती हैं. महिलाएं परिवार में सुख-समृद्धि और सुहाग की रक्षा की कामना करते हुए पूजा करती हैं.

गणगौर पूजने का गीत 

गौर-गौर गोमनी, ईसर पूजे पार्वती, पार्वती का आला-गीला,
गौर का सोना का टीका, टीका दे टमका दे रानी, व्रत करियो गौरा दे रानी.
करता-करता आस आयो, वास आयो.
खेरे-खाण्डे लाड़ू ल्यायो, लाड़ू ले वीरा न दियो,
वीरो ले मने चूंदड़ दीनी, चूंदड़ ले मने सुहाग दियो.

Advertisement

यह भी पढ़ेंः राजधानी जयपुर में होगी गणगौर माता की नगर परिक्रमा का आयोजन, जुटेंगे हजारों सैलानी, जानें पूरा शेड्यूल

Topics mentioned in this article