ED raids in 10 states including Rajasthan: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गुरुवार (28 नवंबर) ने राजस्थान समेत कई राज्यों के मेडिकल कॉलेज में छापेमारी की. एजेंसी ने मेडिकल कॉलेजों से जुड़े कथित रिश्वतखोरी और नियामक ढांचे में हेरफेर के मामले में 10 राज्यों में छापेमारी की. इससे पहले, 30 जून को सीबीआई ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में एफआईआर दर्ज की थी. इसी केस में ईडी ने राजस्थान सहित आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, बिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में कम से कम 15 स्थानों पर तलाशी ली. इन ठिकानों में मेडिकल कॉलेजों के 7 परिसर और कुछ निजी व्यक्तियों के ठिकाने भी शामिल हैं.
मापदंडों में हेरफेर करने का आरोप
सीबीआई ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और एनएमसी के अधिकारियों, बिचौलियों और निजी मेडिकल कॉलेजों के प्रतिनिधियों के नेटवर्क का भंडाफोड़ किया था. इसमें कथित तौर पर भ्रष्टाचार और प्रक्रियाओं में हेराफेरी सहित गंभीर कृत्य शामिल हैं. कथित तौर पर मापदंडों में हेरफेर करने और मेडिकल कॉलेजों में शैक्षणिक पाठ्यक्रम चलाने के लिए अनुमोदन प्राप्त करने में मदद लेने का मामला सामने आया था. ईडी ने धनशोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत छापेमारी की कार्रवाई की.
FIR में मंत्रालय के 8 अधिकारी समेत 34 लोगों के नाम
दरअसल, इसी साल सीबीआई में 30 जून को प्राथमिकी दर्ज होने के बाद मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जांच शुरू की गई थी. शिकायत मिली, "मेडिकल कॉलेजों के निरीक्षण से संबंधित गोपनीय जानकारी मेडिकल कॉलेजों से संबंधित प्रमुख प्रबंधकीय व्यक्तियों और बिचौलियों को दी गई. इसके बदले में राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) के अधिकारियों सहित सरकारी अधिकारियों को रिश्वत दी गई थी."
एफआईआर में स्वास्थ्य मंत्रालय के 8 और राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के 1 अधिकारी के अलावा राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) के निरीक्षण दल के पांच डॉक्टर के भी नाम शामिल थे. कुल 34 लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करते हुए सीबीआई ने आठ लोगों को गिरफ्तार किया, जिनमें एनएमसी टीम के 3 डॉक्टर भी शामिल हैं.
छत्तीसगढ़ में 55 लाख रुपए की रिश्वत का मामला आया था सामने
छत्तीसगढ़ स्थित एक मेडिकल कॉलेज को अनुकूल रिपोर्ट देने के लिए कथित तौर पर 55 लाख रुपए की रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. एफआईआर में आरोप लगाया गया कि इस सिंडिकेट की जड़ें केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय में हैं. इसके तहत बिचौलियों की पहुंच मेडिकल कॉलेजों के प्रतिनिधियों को गोपनीय फाइलों और संवेदनशील जानकारी तक है. इसके बदले में भारी रिश्वत ली गई.
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