Indepence Day: मिलिए भरतपुर के 100 साल के स्वतंत्रता सेनानी पंडित रामकिशन, जिन्होंने लिया आज़ादी की लड़ाई में हिस्सा 

भरतपुर के रहने वाले पंडित रामकिशन 100 साल की उम्र को पहुंच चुके हैं. उन्होंने आज़ादी की लड़ाई में भाग लिया था. आज भी वो उन दिनों के क़िस्सों याद करते हैं

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पंडित रामकिशन

Independence Day: यह सच है कि आजादी को मिले 78 साल हो गए हैं, मगर इससे पहले की आजादी की लड़ाई में अनगिनत ऐसे किस्से हैं, जो हमारा जोश और गर्व बढ़ाते हैं. इन्हीं कहानियों को जीते-जागते इतिहासकार की तरह, पंडित रामकिशन ने NDTV को साझा किया. सौ वर्ष की उम्र छू चुके पंडित रामकिशन बताते हैं कि वे भले ही स्वतंत्रता संग्राम में सबसे आगे नहीं रहे, लेकिन युवावस्था में उनके अनुभव किसी भी क्रांतिकारी से कम नहीं थे. उन्होंने अपने दोस्तों के साथ जज के मकान में किराए पर रहकर स्वतंत्रता सेनानियों की मदद के लिए प्रयास किए.

रामकिशन कहते हैं, ''उन दिनों भरतपुर के उच्चैन इलाके में हुकुमचंद दीवान द्वारा स्वतंत्रता सेनानियों पर अत्याचार किया जाता था. ऐसे अत्याचारों की खबरें जब जेल में हथकड़ी डालने और अमानवीय यातनाओं तक पहुंचीं, तो युवा मन क्रोधित हो उठा.''

''हथियार खरीदने के लिए की चोरी'' 

पंडित रामकिशन और उनके मित्रों ने मिलकर एक जज के मकान में रहने की योजना बनाई, वहीं पर असलहा-बारूद जमा किया गया और जब ज्यादा हथियार खरीदने की आवश्यकता पड़ी तो एक दुकान में चोरी का साहसिक कदम भी उठाया.

चोरी की गई रकम लगभग 5,000 रुपए थी, जिससे हथियार खरीदे गए. इनका प्रारंभिक उद्देश्य हुकुमचंद दीवान पर हमला करना था, पर अंतिम समय में हत्या जैसे कदम से वे पीछे हट गए. उन्हें अहसास हुआ कि किसी की जान लेना उनका काम नहीं. तब उन्होंने हथियार स्वतंत्रता सेनानियों की सुरक्षा के लिए सौंप दिए. इनमें से एक हथियार प्रसिद्ध सेनानी राज नारायण को तथा कुछ हथियार रोशनलाल आर्य को दिए गए. 

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आजाद हिंद फौज से जुड़े लोगों से भी संपर्क हुआ

पंडित रामकिशन के जीवन में यह अनुभव अमिट छाप छोड़ गया. आजाद हिंद फौज से जुड़े लोगों से भी उनका संपर्क हुआ. चोरी के अलावा कुछ मंदिरों में भी धन जुटाने के प्रयास किए गए, लेकिन वह योजना सफल नहीं हुई. इन अनकहे किस्सों में जोश, त्याग और इंसानियत की मिसाल छुपी है, जो आज भी नई पीढ़ी के लिए प्रेरणा है.

(शशि मोहन की रिपोर्ट) 

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