Bundi Rao Surajmal Hada Chhatri: बूंदी जिले में पूर्व नरेश राव सूरजमल हाड़ा (Rao Surajmal Hadari) की छतरी तोड़े जाने के मामले में राजपूत समाज आक्रोशित है. कोटा विकास प्राधिकरण (KDA) की बुलडोजर कार्रवाई के खिलाफ समाज विरोध भी जाहिर कर चका है. अब इस मामले में गुरुवार 3 अक्टूबर को केंद्रीय टीम कोटा और बूंदी पहुंचेगी. टीम में पर्यटन और एयरपोर्ट अथॉरिटी के अधिकारी शामिल रहेंगे. माना जा रहा है कि इसी के साथ विवाद का पटाक्षेप भी हो जाएगा. दरअसल, केडीए ने एयरपोर्ट बनाने के लिए 600 साल पुरानी छतरी को बुलडोजर चलाकर तोड़ दिया था. जिसके बाद राजपूत और सर्व समाज विरोध में उतर गया. यूनेस्को की टीम ने भी मौके पर पहुंचकर नाराजगी जताई थी.
शाम 3 बजे प्रशासन और समाज की होगी बैठक
इस बीच बूंदी से पूर्व ब्रिगेडियर भूपेश हाड़ा सहित एक प्रतिनिधि मंडल दिल्ली पहुंचा और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला व केंद्र सरकार के अधिकारियों के बीच वार्ता हुई. जिसमें 3 अक्टूबर को नई जगह मूर्ति और छतरी बनाने का निर्णय वापस ले लिया गया. इसी संबंध में एक तकनीकी टीम मौके पर भेजने की भी बात कही. इस टीम के साथ एयरपोर्ट अथॉरिटी और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ बैठक होगी. शाम 3 बजे होने वाली मीटिंग में राजपूत समाज के प्रतिनिधि भी मौजूद रहेंगे. हालांकि, राजपूत समाज अपनी मांगों पर अड़ा है. अपनी मांगों के साथ ही 8 अक्टूबर का महापड़ाव जारी रखने का ऐलान किया है.
स्मारक का भूमि पूजन कार्यक्रम निरस्त
मीडिया से बातचीत करते हुए राजपूत समाज के प्रतिनिधि पूर्व ब्रिगेडियर भूपेश हाड़ा ने बताया कि राज्य और केंद्र सरकार की ओर से एक प्रतिनिधि मंडल उनके आग्रह पर दिल्ली पहुंचा था. हमने समाज की ओर से मांग रखते हुए कहा कि पूर्व नरेश सूरजमल की छतरी मूल स्थल पर ही बनेगी, यही राजस्थान का सर्व समाज चाहता है. हाड़ा का कहना है कि हमारी मांग छतरी को मूल स्थान पर ही बनाए जाने की है और एयरपोर्ट का नाम भी राव सूरजमल के नाम पर रखा जाए. दूसरी ओर, जब 21 से सितंबर को जब केडीए ने मूर्ति तोड़ी तो उसी समय विवाद गहरा गया था. उसी शाम को केडीए ने जगह को आवंटित कर भूमि पूजन किया था. लेकिन समाज वही पर मूर्ति और छतरी बनाने के लिए अडिग था. समाज के रुख को देखते हुए केडीए ने भी अब नई जगह पर स्मारक का प्रस्तावित भूमि पूजन कार्यक्रम निरस्त कर दिया गया है.
कई जनप्रतिनिधियों ने छतरी को वापस बनाने की मांग
छतरी तोड़ने का विवाद इतना गहरा गया है कि प्रदेशभर से लेकर विभिन्न राज्यों के जनप्रतिनिधियों ने केंद्र व राज्य सरकार को पत्र लिखकर छतरी को मूल स्थान पर बनाने की मांग की. जिसमें केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह, विधायक राव राजेंद्र सिंह, मंत्री ओटाराम देवासी, विधायक रविंद्र सिंह भाटी, पूर्व मंत्री राजेंद्र सिंह राठौड़ विधायक कल्पना देवी सहित कई जनप्रतिधियों ने केंद्र और राज्य सरकार को पत्र लिखा.