Rajasthan News: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ मोहन भागवत जयपुर के हरमाडा स्थित रविनाथ आश्रम में आयोजित रविनाथ महाराज की पुण्यतिथि के कार्यक्रम में शामिल हुए. इस दौरान उन्होंने कहा कि दुनिया तब ही आपको सुनती है, जब आपके पास शक्ति हो. उन्होंने कहा कि भारत विश्व का सबसे प्राचीन देश है. उसकी भूमिका बड़े भाई की है. भारत विश्व में शांति और सौहार्द के लिए कार्य कर रहा है.
उन्होंने कहा कि इस आश्रम के मंच पर ना ही में सम्मान का अधिकारी हूं और ना ही में भाषण का अधिकारी हूं. और सम्मान होना ही है तो मैं अकेला तो कुछ नहीं कर रहा हूं. 100 साल से परवर्तित परंपरा चल रही है. उस परंपरा में लाखों कार्यकर्ता है. प्रचारकों जैसे ही गृहस्थ कार्यकर्ता भी हैं. इतने सारे कार्यकर्ताओं के परिश्रम का परिणाम अगर कुछ है, अगर वह स्वागत और सम्मान योग्य हैं तो यह उनका सम्मान है. यह सम्मान संतों की आज्ञा से ही में ग्रहण कर रहा हूं.
डॉ मोहन भागवत कहा कि भारत में त्याग की परंपरा रही हैं. भगवान श्री राम से लेकर भामाशाह को हम पूजते और मानते हैं. भागवत ने कहा की विश्व को धर्म सिखाना भारत का कर्तव्य है. लेकिन इसके लिए भी शक्ति की आवश्यकता होती है. पाकिस्तान पर हालिया कार्रवाई की चर्चा करते हुए कहा कि भारत किसी से द्वेष नहीं रखता. लेकिन विश्व प्रेम और मंगल की भाषा भी तब ही सुनता है, जब आपके पास शक्ति हो. यह दुनिया का स्वभाव है इस स्वभाव को बदला नहीं जा सकता, इसलिए विश्व कल्याण के लिए हमें शक्ति संपन्न होने की आवश्यकता है. और हमारी ताक़त विश्व ने देखी है.
उन्होंने कहा कि विश्व कल्याण हमारा धर्म है. विशेषकर हिंदू धर्म का तो यह पक्का कर्तव्य है. यह हमारी ऋषि परंपरा रही है, जिसका निर्वहन संत समाज कर रहा है. मोहन भागवत ने रविनाथ महाराज के साथ बिताए अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि उनकी करुणा से हम लोग जीवन में अच्छा कार्य करने के लिए प्रेरित होते हैं. कार्यक्रम में भावनाथ महाराज ने मोहन भागवत को सम्मानित किया. इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे.
ये भी पढ़ें- जम्मू-कश्मीर में तैनात झुंझुनूं का जवान शहीद, PAK से तनाव पर 15 दिन पहले कैंसिल हुई थी छुट्टी