Rajasthan: राजस्थान में एक बार फिर बनेगा थर्ड फ्रंट! नरेश मीणा ने केजरीवाल, बेनीवाल और चंद्रशेखर से साधा संपर्क

NDTV से खास बातचीत में नरेश मीणा तीसरे मोर्च की संभावनाओं पर बात की है. साथ ही यह भी बताया कि वह कई दलों से संपर्क में हैं और इस कोशिश को अंजाम देने की तैयारी कर रहे हैं.

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नरेश मीणा ने तीसरे मोर्चे के लिए कोशिश तेज कर दी है.

राजस्थान की राजनीति में इन दिनों तीसरे मोर्चे को लेकर फिर से हलचल तेज हो गई है. अंता विधानसभा उपचुनाव के में मिले बड़े जन समर्थन के बाद निर्दलीय नेता नरेश मीणा भाजपा-कांग्रेस के विकल्प के रूप में नया राजनीतिक मंच तैयार करने की कोशिशों में जुट गए हैं. चुनाव परिणाम आने के तुरंत बाद से ही उन्होंने प्रदेश में तीसरे मोर्चे की संभावनाओं को मजबूत करने के लिए मुलाकातों और रणनीतिक बैठकें शुरू कर दी है. नरेश मीणा ने दिल्ली और उत्तर प्रदेश के कई नेताओं से मुलाकात की. उनकी कोशिश है कि राजस्थान में हनुमान बेनीवाल की आरएलपी, आम आदमी पार्टी, चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी समेत कई पार्टियों को जोड़कर तीसरे मोर्चे को स्वरूप दिया जाए.

वे लगातार यह तलाश कर रहे हैं कि किन दलों और संगठनों के साथ तालमेल बन सकता है. ताकि आने वाले चुनावों में एक प्रभावी गठबंधन खड़ा हो. सवाई माधोपुर में डूंगरी बांध आंदोलन को लेकर उन्होंने खुद कमान भी संभाल ली है. उनकी एंट्री के बाद यह मैसेज है कि वे केवल चुनावी राजनीति तक सीमित नहीं हैं, बल्कि जन-मुद्दों पर आक्रामक भूमिका निभाने को तैयार हैं.

निकाय चुनाव के इम्तिहान में उतरने की तैयारी 

अब नरेश मीणा की कोशिश है कि तीसरे मोर्चे के जरिए पहला निशाना पंचायत और निकाय चुनाव पर साधा जाए. राजनीतिक सूत्रों के अनुसार, इन चुनावों को मोर्चा अपनी ताकत परखने का पहला मंच बनाएगा. अगर प्रदर्शन उम्मीद के मुताबिक रहा तो आगे 2028 के विधानसभा चुनाव में मोर्चा खुद को बड़े विकल्प के रूप में तैयार करेगा.

पहले भी हो चुकी हैं तीसरे मोर्च की कोशिशें

हालांकि, राजस्थान में तीसरे मोर्चे की कोशिशें नई नहीं हैं. इससे पहले हनुमान बेनीवाल ने किरोड़ी लाल मीणा के साथ गठबंधन बनाने की कोशिश की थी. उससे पहले देवी सिंह भाटी ने भी ऐसा प्रयास किया था. लेकिन ये मोर्चे टिक नहीं सके और दोनों मुख्य दलों के बीच की विकल्प पेश करने में नाकाम रहे. ऐसे में अब निगाहें इस बात पर भी है कि क्या इस बार तीसरा मोर्चा मजबूती से खड़ा हो पाएगा या यह प्रयास भी कुछ समय बाद ठंडा पड़ जाएगा.

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50 साल की परंपरा को तोड़ना है- नरेश मीणा

NDTV से खास बातचीत में नरेश मीणा ने साफ कहा कि अंता उपचुनाव में हार के बाद पीछे हटने का सवाल ही नहीं है. नरेश मीणा इस बात से बखूबी वाकिफ है कि पंचायत चुनाव में तीसरे मोर्चे की एंट्री के बाद ही साल 2028 की तैयारी के लिए संभावना बन पाएगी. 

उन्होंने कहा, "वे प्रदेशभर में जाकर लोगों को जागरूक करेंगे और लगातार विभिन्न पार्टियों व संगठनों से संवाद बनाए रखेंगे. राजस्थान में कांग्रेस और भाजपा के अलावा भी एक ऐसी राजनीतिक ताकत होनी चाहिए, जो गरीब, वंचित और आम नागरिक के लिए काम करें. ऐसी ताकत, जो पिछले 50 साल से चली आ रही सत्ता की परंपरा को बदल सके." 

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