नरेश की 'ग़ैर ज़रूरी' आक्रामकता, गहलोत का आख़िरी रोड शो और भाया का सबक़; अंता में कांग्रेस की जीत के 10 कारण 

Anta Bypoll Result 2025: गहलोत का 'हाइपर एक्टिव' होना कांग्रेस के काम आया. गहलोत माली समाज से आते हैं. अंता सीट पर माली सबसे बड़ी संख्या में हैं. गहलोत चुनाव प्रचार के आखिरी दिन तक यहां टिके रहे.

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Pramod jain bhaya Won Anta By Election 2025

Anta By Election 2025: राजस्थान की राजनीति में हड़कंप मचाने वाले अंता विधानसभा उपचुनाव का नतीजा जारी हो गया है. जनता ने कांग्रेस के अनुभवी सिपाही प्रमोद जैन भाया को अपना नेता चुनकर चौथी बार विधानसभा भेजा है, जो न केवल उनकी व्यक्तिगत जीत है, बल्कि यह मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की सरकार के लिए एक बड़ा वेक-अप कॉल भी है. 20 राउंड तक चली हाई-वोल्टेज मतगणना में, भाया ने 15,594 वोटों के विशाल अंतर से जीत हासिल की है.

सियासी गलियारों में अंता उपचुनाव को मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के लिए पहले 'जनमत संग्रह' के रूप में देखा जा रहा था, लेकिन यह परिणाम साफ संकेत देता है कि सरकार के कामकाज को लेकर जनता में निराशा है. अंता चुनाव की यह 10 वजहें, जिसके कारण भाजपा तीसरे स्थान पर खिसक गई, नरेश मीणा आक्रामक चुनाव प्रचार के बाद भी हार गए और भाया के सिर जीत का सेहरा सज गया. 

  1. इस चुनाव में कांग्रेस एक जुट नज़र आई. इसकी सबसे बड़ी वजह खुद प्रमोद भाया हैं. भाया कांग्रेस में सबके हैं. और इसी लिए वो पार्टी के सभी गुटों को एक मंच पर ले आये. दिग्गज नेताओं का लगातार रोड शो और संयुक्त सभाएं करना मतदाताओं तक एक मजबूत संदेश पहुंचाने में कामयाब रहा. इससे सन्देश गया कि पार्टी पूरी ताकत से उनके साथ खड़ी है.
  2. नरेश मीणा की 'आक्रामक' छवि का उनका नुकसान हुआ. आम तौर पर शांति प्रिय और शांत सियासत के लिए जाने जाना वाले हाड़ौती ने उनके "आचरण" को नकार दिया.
  3. कांग्रेस ने 'Pointed' प्रचार किया. जातिवार मतदाताओं को साधने के लिए उसी जाति के नेताओं को मैदान में उतारा गया. दलितों को साधने के लिए टीकाराम जूली अंता में डेरा डाले रहे. डोटासरा ने जाटों को साधा. गहलोत ने माली वोटरों को कांग्रेस की तरफ लाने में पूरी कोशिश की. 
  4. नरेश मीणा ने कांग्रेस के नेता अशोक चांदना का मज़ाक उड़ाया. उन्हें 'चांदनी' कह कर संबोधित किया, इससे युवा गुर्जर मतदाओं में ख़ासा रोष रहा. मीणा-गुर्जर के बीच हमेशा के 'कोल्ड वॉर' जैसी स्थिति रही है. ऐसे में नरेश के इस बयान ने उस 'खाई' को और बढ़ा दिया.
  5. मुस्लिम मतदाता हमेशा कांग्रेस की तरफ रहा रहा है. इस बार हालांकि उन्होंने निर्दलीय नरेश मीणा के साथ जाने की कोशिश की लेकिन अंत में वो कांग्रेस की तरफ ही मुड़े. कांग्रेस के मुस्लिम नेताओं ज़ाकिर हुसैन गैसावत, रफ़ीक़ खान ने अंता में मुस्लिम समुदाय को कांग्रेस की तरफ लाने में अहम भूमिका निभाई.
  6. सचिन पायलट, प्रह्लाद गुंजल समेत कांग्रेस से दिग्गज कांग्रेस नेताओं की वजह से गुर्जर वोट कांग्रेस की तरफ आये. 
  7. पिछले चुनावों की गलतियों से सबक लेते हुए, प्रमोद जैन भाया ने बड़े रोड शो के बजाय व्यक्तिगत संपर्क को प्राथमिकता दी और घर-घर पहुंचकर सीधे मतदाताओं से संवाद किया. हर बूथ और हर क्षेत्र पर बारीक नजर रखी गई. भाया का यह माइक्रो मैनेजमेंट बीजेपी की चुनावी रणनीति पर भारी पड़ा, जिसने कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनाने में निर्णायक भूमिका निभाई.
  8. नरेश मीणा के समर्थकों के द्वारा कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा की कार को रोक कर हंगामा करने की घटना भी इस चुनाव में मुद्दा बनी. घटना के बाद डोटासरा ने कहा, अगर एक मज़बूत समुदाय के नेता के साथ ऐसा हो सकता है, तो आपके साथ क्या होगा सोचो? इससे जाट वोट नरेश मीणा के खिलाफ हुआ. 
  9. मोरपाल सुमन कमज़ोर साबित हुए.  यह उनका पहला चुनाव था. चुनावी मैनेजमेंट में वो अनुभवी भाया से पिछड़ गए. CM भजनलाल शर्मा और वसुंधरा राजे का प्रचार मतदाताओं को रिझा नहीं पाया.
  10. गहलोत का 'हाइपर एक्टिव' होना कांग्रेस के काम आया. गहलोत माली समाज से आते हैं. अंता सीट पर माली सबसे बड़ी संख्या में हैं. गहलोत चुनाव प्रचार के आखिरी दिन तक यहां टिके रहे. सूत्रों के मुताबिक़ उन्होंने माली समाज नेताओं से व्यक्तिगत बात की. और समाज को के ज़्यादातर वोट कांग्रेस की तरफ खींच लाये.

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