Nautapa 2024:  खेती के लिए क्यों वरदान कहा जाता है नौतपा, जिसकी गर्मी में तप रहा राजस्थान

नौतपा की भीषण गर्मी में मरुस्थल तप रहा है. आइये जानते हैं कि इतनी गर्मी के बावजूद भी नौतपा को आखिर कैसे खेती किसानी के लिए काफी लाभदायक माना जाता है.

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Know About Nautapa: राजस्थान में भीषण गर्मी का दौर जारी है और आज से नौतपा की शुरुआत हो चुकी है. आज से आने वाले अगले 9 दिन तक भीषण गर्मी का दौर जारी रहने वाला है. जिसमें सूर्य देवता अपना प्रचंड रूप दिखाएंगे और इस दौरान यहां की धरती आग उगलेगी. इस गर्मी को देखते हुए सरकार ने आमजन से भीषण गर्मी, लू और तापघात से बचाव की अपील की है.

इस बार रोहिणी नक्षत्र में सूर्यदेव का प्रवेश 25 मई से हो रहा है. जिसके बाद अगले 9 दिन तक भीषण गर्मी पड़ेगी. इस अवधि को नौतपा कहा जाता है.

"रोहण तपै, मिरग बाजै 
आदर अणचिंत्या गाजै "

इस मारवाड़ी कहावत का मतलब है, यदि रोहिणी नक्षत्र में गर्मी अधिक हो और मृग नक्षत्र में खूब आंधी चले तो आर्द्रा नक्षत्र के लगते ही बादलों की गरज के साथ वर्षा होने की संभावना बन सकती है. इसलिए मारवाड़ में कहा जाता है कि अगर अच्छी वर्षा चाहिए तो तापमान को सहन करें. लेकिन इस गर्मी से खुद को बचाएं.

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खेती के लिए कितना कारगार है नौतपा

बता दें कि दूसरी नौतपा की यह भीषण गर्मी खेती और किसानी के लिए कुदरत के किसी वरदान से कम नहीं है. माना जाता है कि रोहिणी के शुरुआती 9 दिन बहुत गर्म होते हैं. भारतीय मौसम विज्ञान की भाषा में इसे नौतपा कहा गया है. इन 9 दिनों में सूर्य जितना तपेगा, लू चलेगी, वर्षाकाल उतना ही अच्छा होगा. नौतपा में जब भीषण गर्मी पड़ती है तो खेतों में विचरने वाले जहरीले जीव जंतु और कीड़े खत्म हो जाते हैं. सरल अर्थ में अगर हम समझें तो अधिक गर्मी पड़ने से चूहों, कीटों व अन्य जहरीले जीव-जन्तुओं के अण्डे समाप्त हो जाते हैं, क्योंकि यह उनका प्रजनन काल होता है.

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नौतपा किसानों के लिए वरदान

इस बारे में डीडवाना जिले के कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक कल्प वर्मा ने बताया कि नौतपा किसानों के लिए कैसे वरदान होता है. नौतपा की भीषण गर्मी के कारण किट पतंग टिड्डी के अंडे और कातरे के कीट खत्म हो जाते है. ऐसे में यह किट और कीड़े फसलों को नुकसान नहीं पहुंचा पाते और ना ही बीजों को खराब करते हैं. बल्कि गर्मी से जमीन में ही खत्म हो जाते हैं. इसके अलावा आगामी फसल में किसानों को फसलों को कीटों से बचाव के लिए उपचार पर कम खर्च करना पड़ता है. साथ ही किसानों की फसलों की पैदावार भी अच्छी होती है.

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