नवरात्रि विशेष 2023: माता का ऐसा मंदिर जहां सुबह-शाम पुलिस देती है सलामी

झालावाड़ से गुजरती मुकुंदरा पर्वतमाला की श्रृंखलाओं के मध्य बेहद खूबसूरत वादियों में स्थित माता रातादेवी का मंदिर राजस्थान ही नहीं, बल्कि मध्य प्रदेश के लोगों की भी आस्था का केंद्र है, जहां बड़े दूर-दूर से लोग माता के दर्शनों के लिए आते हैं. इस मंदिर की बेहद खास बात यह है कि यहां सरकारी आभूषणों से माता की प्रतिमा का श्रृंगार होता है

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मां राता देवी को गॉर्ड ऑफ ऑनर देते पुलिसकर्मी
Jhalawar:

झालावाड़ से गुजरती मुकुंदरा पर्वतमाला की श्रृंखलाओं के मध्य बेहद खूबसूरत वादियों में स्थित माता रातादेवी का मंदिर राजस्थान ही नहीं, बल्कि मध्य प्रदेश के लोगों की भी आस्था का केंद्र है, जहां बड़े दूर-दूर से लोग माता के दर्शनों के लिए आते हैं. इस मंदिर की बेहद खास बात यह है कि यहां सरकारी आभूषणों से माता की प्रतिमा का श्रृंगार होता है और पुलिस सुबह और शाम माता के दरबार में सलामी पेश करती है और माता के आभूषणों की रक्षा करती है.

सरकारी आभूषणों से होता है माता का श्रृंगार

जिले के असनावर के नजदीक मुकंदरा की पहाड़ियों के बीच मंदिर में विराजमान मां राता देवी के मंदिर से बड़ी संख्या में भक्तों की आस्था जुड़ी है. नवरात्रि के पहले दिन माता की प्रतिमा के श्रृंगार के लिए सोने-चांदी के गहने झालरापाटन तहसील से पुलिस सुरक्षा के बीच यहां लाए जाते हैं. उन गहनों से माता की प्रतिमा का श्रृंगार किया जाने के बाद मंदिर में पहरे के लिए 4 पुलिस गार्ड नियुक्त किए जाते हैं, जो सुबह और शाम माता के दरबार में सलामी पेश कर गॉड ऑफ ऑनर भी देते हैं.

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मां राता देवी मंदिर, झालावाड़

इस मंदिर की बेहद खास बात यह है कि यहां सरकारी आभूषणों से माता की प्रतिमा का श्रृंगार होता है और पुलिस सुबह और शाम माता के दरबार में सलामी पेश करती है और माता के आभूषणों की रक्षा करती है

खींची वंश की कुलदेवी है माता राता देवी

यह मंदिर झालावाड़ से 40 किलोमीटर दूर असनावर के पास लावासल ग्राम पंचायत में है. यह खिंची राजवंश की कुलदेवी हैं. राता देवी गागरोन के राजा अचलदास खिंची की बहन थी, जो सती होने के दौरान पत्थर के रूप मे परिवर्तित हो गई. इसके बाद यह मंदिर खिंची राजाओं ने बनवाया था. आज भी नवरात्र के दौरान उनके वंशज यहां धोक देने आते हैं. इनकी यहां 2 स्वरूपों में पूजा की जाती है. इसमें 1 बिजासन और दूसरे रूप में अन्नपूर्ण के रूप में पूजा जाता है. मां राता देवी के मंदिर से बड़ी संख्या में भक्तों की आस्था जुड़ी है.

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शारदीय नवरात्रि में 9 दिन तक यहां लगता है मेला 

माता की मूर्ति के पीछे औंचलदास की छाप है. चैत्र और शारदीय नवरात्रि में 9 दिनों तक यहां मेला लगता है, पूरे हाड़ोती और मध्य प्रदेश के लोग यहां काफी संख्या में आते है और पूजा-अर्चना करते हैं. कहते हैं यहां हर मुराद पूरी होती है और कोई खाली हाथ नहीं जाता है.

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मंदिर में प्रज्वलित है देशी घी की अखंड ज्योति

मंदिर में हमेशा देशी घी के दिए जलते रहते हैं. नवरात्रा में मन्दिर में पुलिस का पहरा रहता है, जो हर 3 घंटे में बदलता रहता है. सुबह-शाम आरती के समय पुलिस सलामी देती है. राजस्थान का यह पहला मन्दिर होगा, जहां सरकारी आभूषणों से श्रंगार होता है और पुलिस सलामी देती है.

घर की मन्नत मांगने के लिए पहाड़ी पर बनाते हैं घर

राता देवी मंदिर तक पहुंचाने के लिए पहाड़ी से होकर गुजरना पड़ता है. ऐसी मान्यता है कि पहाड़ी की चोटी पर जहां से राता देवी का मंदिर दिखता है, वहां से गुजरते वक्त यदि ऐसे लोग जिनके पास अपना घर नहीं है वह अपने घर की कामना करते हुए वहां पड़े छोटे-छोटे पत्थरों से प्रतीकात्मक रूप से घर बनाए तो उनका तुरंत ही अपना घर हो जाता है.

मन्नत पूरी होने पर धार्मिक कार्यक्रम करते श्रद्धालु

इसी मान्यता के चलते यहां से गुजरने वाले लोग यहां पत्थरों से छोटे-छोटे घरों का निर्माण करते हैं और अपना घर होने की मन्नत मांग कर जाते हैं, व मन्नत पूरी होने पर यहां आकर धार्मिक कार्यक्रम करते हैं.

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