Ground Report: ये बांध बुझाएगा 1256 गांव और 6 शहरों की प्यास, 3 गुना बजट बढ़ने के बाद भी 10 साल से अधूरा है काम

यह परियोजना 2024 के बाद गांवों और शहरों के लाखों लोगों के लिए वरदान साबित होगी. इस परियोजना के दो चरणों का पूरा होने के बाद इस बांध में कुल 10.77 टीएमसी पानी का संग्रहण किया जा सकेगा.

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ईसरदा बांध
टोंक:

आपने कई बार सुना होगा कि सरकारी प्रोजेक्ट कछुआ चाल की गति से चलते हैं. अगर इस बात की बानगी आपको देखनी हो तो आप टोंक जिले में बनास नदी पर बनेठा के पास बन रहे ईसरदा बांध परियोजना (Isarda Dam Project) को देख सकते हैं. इस बांध को बनाने के लिए वर्ष 2013 में 530 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत किया गया था, जिसे अब संसोधित करके 1856 करोड़ रुपये कर दिया गया है.

यह काम इतनी धीमी गति से चल रहा है कि पिछले 10 सालों में इसके निर्माण की डेड लाइन अब तक तीन बार बदली जा चुकी है. ऐसे में दौसा और सवाई माधोपुर के 6 शहरों सहित 1256 गांवों को इस बांध के लाभ का इंतजार है. फिलहाल 27 गेटों के साथ ही बांध का कार्य प्रगति पर है.

ईसरदा बांध में प्रथम चरण में 256 आरएल मीटर तक जलसंग्रहण करके कुल 3.34 टीएमसी पानी का जल संग्रहण किया जाएगा. वहीं दूसरा चरण पूरा होने पर इस बांध में 262 आरएल मीटर तक पानी रोककर कुल 10.77 टीएमसी पानी का संग्रहण किया जाएगा.

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सिस्टम की सुस्त चाल

ईसरदा बांध परियोजना के निर्माण में देरी की प्रमुख वजह सरकारी सिस्टम की सुस्त चाल है. इसी के साथ ही अनुबंध की शर्तों के अनुसार पर्यवारण मंत्रालय द्वारा भूमि प्रत्यावर्तन की स्वीकृति देरी से मिली. वहीं कोरोना काल में मजदूरों की कमी के कारण भी इस बांध के बनने में देरी का अन्य कारण है.

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37 गांव के लोग प्रभावित

अभी तक ईसरदा बांध परियोजना से टोंक जिले के 8 गांवों के साथ ही सवाई माधोपुर के 4 गांवों सहित कुल 12 गांवों की आबादी प्रभावित हुई है. वहीं बांध का कार्य पूर्ण होने पर कुल 37 गांवों की आबादी प्रभावित होगी. इस तरह प्रथम चरण में कुल 1214.136 हेक्टयर भूमि अवाप्त की गई है, जिसमें 500.9 हेक्टयर भूमि निजी और 595.58 राजकीय भूमि और 117.866 हेक्टयर वन विभाग की भूमि है. अब तक प्रथम चरण के लिए कुल 95.59 करोड़ की राशि के अवार्ड जारी किए जा चुके हैं, जिसमें से 83.24 करोड़ का भुगतान खातेदारों के खातों में हो चुका है. 

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दोसा-सवाई माधोपुर को मिलेगी पेयजल सुविधा 

ईसरदा बांध के निर्माण पूरे होने के बाद जहां एक ओर यह सवाई माधोपुर और दौसा के लाखों लोगों की प्यास बुझायेगा. वहीं डूब क्षेत्र में आने के कारण टोंक में बनास नदी के अंदर लगभग 25 किलोमीटर गहलोद पुलिया तक पानी का भराव होगा. जिससे क्षेत्र के कुओं का जलस्तर बढेगा. साथ ही गांव की तस्वीर भी बदलेगी.

ईसरदा बांध का जलसंग्रहण क्षेत्र बढ़ेगा 

ईसरदा बांध की उम्मीदों का प्रमुख स्रोत बीसलपुर बांध होगा. जहां से जब भी गेट खोलकर पानी की निकासी होगी तो वहां का पानी सीधा इस बांध में पंहुचेगा. वहीं दूसरी ओर बीसलपुर बांध की डाउन स्ट्रीम वाले राजमहल से लेकर बनेठा और ईसरदा तक के सेंकडो गाँवो का बनास में आने वाला पानी और क्षेत्र के छोटे बड़े बांधों का ओवर फ्लो पानी भी इस बांध को भरने में सहायक होगा.

10 सालों में तीन बार बढ़ाई गई डेडलाइन 

ईसरदा बांध का निर्माण वैसे तो 2021 तक पूरा होना था. लेकिन जब इसकी शुरुआत की गई तो कई टेक्निकल समस्याएं और वन मंत्रालय की भु प्रत्यावर्तन स्वीकृति सहित कोरोना आपदा के चलते पिछले 10 सालों में भी ईसरदा बांध का 100 प्रतिशत पूर्ण निर्माण नही हो सका. साथ ही इस बांध की डेड लाइन तीन बार बड़ाई गई. पहली बार इसकी डेडलाइन को 2021 में दूसरी बार अक्टूबर 2023 में और अब तीसरी बार डेडलाइन को अगस्त 2024 तक बड़ाया गया है. 

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