SIR सर्वे ने हिलाया सरकारी शिक्षा का ढांचा! चूरू में आधे से ज्यादा टीचर BLO ड्यूटी पर, बच्चों की पढ़ाई पर 'गहरा असर'

NDTV Reality Check: चूरू में SIR सर्वे के कारण आधे से अधिक सरकारी स्कूल टीचर BLO ड्यूटी पर हैं. विज्ञान, गणित की पढ़ाई ठप है और बच्चों का भविष्य दांव पर है.

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NDTV का रियलिटी चेक: क्या है SIR सर्वे, जिससे अध्यापकों को पढ़ाई छोड़कर करनी पड़ रही है घर-घर ड्यूटी?
NDTV Reporter

Rajasthan News: राजस्थान में इन दिनों चल रहा SIR (शिशु, शिक्षा और संसाधन) सर्वे सरकारी स्कूलों की व्यवस्था पर भारी पड़ रहा है. चूरू जिले से NDTV की ग्राउंड रिपोर्ट सामने लाती है कि आधे से अधिक राजकीय विद्यालयों के अध्यापकों को BLO (Booth Level Officer) ड्यूटी पर लगा दिया गया है, जिसके चलते कक्षाएं खाली हैं और बच्चों की पढ़ाई लगभग ठप हो गई है. यह व्यवस्था न केवल विद्यार्थियों के भविष्य को नुकसान पहुंचा रही है, बल्कि शिक्षकों के बीच बढ़ते तनाव को भी उजागर कर रही है.

आधा स्टाफ, आधी कक्षाएं, बच्चों का पूरा नुकसान

जिले के कई स्कूलों का दौरा करने पर NDTV की टीम ने पाया कि शिक्षण व्यवस्था बुरी तरह चरमरा गई है. शिक्षकों की कमी के कारण स्कूलों में अजीबोगरीब स्थिति है. कई विद्यालयों में मुश्किल से 2 से 3 पीरियड ही लग पा रहे हैं. विज्ञान, गणित और अंग्रेजी जैसे मूलभूत और बोर्ड परीक्षाओं की दृष्टि से महत्वपूर्ण विषयों की पढ़ाई पूरी तरह से प्रभावित है, क्योंकि इन विषयों के विशेषज्ञ शिक्षक सर्वे ड्यूटी पर हैं. कक्षा 1 से 5 तक के छोटे बच्चों को मूलभूत शिक्षा भी नियमित रूप से नहीं मिल पा रही है, जिससे उनकी नींव कमजोर हो रही है.

BLO ड्यूटी पर गए शिक्षक स्कूल के बजाय घर-घर जाकर सर्वे का काम करते दिखाई दिए, जबकि उनका प्राथमिक दायित्व कक्षा में बच्चों को पढ़ाना है.

जयपुर की घटना से सहमे स्टाफ

सर्वे के भारी दबाव और कक्षाओं की दोहरी जिम्मेदारी के चलते शिक्षकों में मानसिक तनाव चरम पर है. शिक्षक नेता विजय पोटलिया का मानना है कि SIR सर्वे के टार्गेट और दबाव के कारण अध्यापकों में तनाव तेजी से बढ़ रहा है. इस तनाव का सबसे दुखद उदाहरण हाल ही में देखने को मिला, जब जयपुर में एक अध्यापक ने आत्महत्या कर ली. इस खबर ने पूरे शिक्षा जगत को झकझोर कर रख दिया है और स्टाफ सदस्यों को भयभीत कर दिया है.

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हम मानसिक रूप से थक चुके हैं

ऑफ कैमरा बातचीत में शिक्षकों ने अपनी मजबूरी बताई. उन्होंने कहा, 'हम पर रोज़ाना टार्गेट पूरा करने का दबाव, बार-बार फोन कॉल और फॉर्म भरने का बोझ है. वहीं दूसरी तरफ कक्षाओं की जिम्मेदारी भी है. अब हालात संभालना मुश्किल हो गया है. हम मानसिक रूप से थक चुके हैं.'

'इससे अच्छा तो छुट्टी कर दो'

NDTV ने स्कूल में मौजूद विद्यार्थियों से बात की, जिन्होंने साफ तौर पर बताया कि उनकी पढ़ाई का कितना नुकसान हो रहा है. कक्षा 8 की छात्रा ने कहा, 'मैडम रोज नहीं आती हैं. कक्षाएं भी नहीं हो रहीं. हमारी पढ़ाई बहुत पीछे चल रही है.' वहीं, कक्षा 10 के एक छात्र ने बोर्ड परीक्षा की चिंता जताते हुए कहा, 'हमें बोर्ड की तैयारी करनी है, लेकिन विषय पढ़ाने वाले टीचर स्कूल में ही नहीं हैं.'

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अभिभावकों ने इस स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त की है. अभिभावक फारुख खान ने आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा, 'बच्चों का नुकसान कौन भरेगा? सरकारी स्कूलों में तो पूरा साल ही बिगड़ जाएगा. बच्चे घर आकर बोलते हैं कि इससे अच्छा तो झूठी (छुट्टी) कर दो.'

शिक्षा विभाग ने माना- 'असर पड़ा है, पर प्रक्रिया जरूरी'

शिक्षा विभाग के अधिकारी इस स्थिति की गंभीरता को ऑफ-रिकॉर्ड मानते हैं. उन्होंने स्वीकार किया है कि SIR ड्यूटी में बड़ी संख्या में शिक्षकों के लगने से शिक्षण व्यवस्था पर नकारात्मक असर पड़ा है. हालांकि, कैमरे पर शिक्षा अधिकारी अशोक पारीक ने आधिकारिक बयान देते हुए SIR को एक अत्यंत आवश्यक प्रक्रिया बताया. उन्होंने कहा कि विभाग का प्रयास है कि शिक्षण कार्य न्यूनतम प्रभावित हो. लेकिन NDTV के रियलिटी चेक से यह स्पष्ट है कि धरातल पर विभाग का यह प्रयास नाकाम साबित हो रहा है. शिक्षकों की भारी कमी, BLO का अत्यधिक दबाव और बच्चों की नियमित पढ़ाई में बाधा—ये तीनों मिलकर सरकारी स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था को गंभीर रूप से प्रभावित कर रहे हैं. शिक्षक थक रहे हैं और शिक्षा डगमगा रही है. 

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