NEET 2025: अब तक का सबसे कठिन पेपर, कोटा कोचिंग के एक्सपर्ट बोले- कट ऑफ पर पड़ेगा असर

नीट यूजी 2025 परीक्षा में 20 लाख 80 हज़ार परीक्षार्थी बैठे. कोचिंग नगरी कोटा में छात्रों और विशेषज्ञों ने बताया कि ये नीट के इतिहास की सबसे कठिन परीक्षा थी.

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नीट परीक्षा का आयोजन नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) ने किया

NEET: मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए इस वर्ष की नीट यूजी (NEET UG) परीक्षा रविवार 4 मई को संपन्न हो गई. इस बार परीक्षा में 20.8 लाख उम्मीदवार बैठे. परीक्षा देशभर के 548 शहरों के अलावा विदेशों में भी 14 शहरों में आयोजित करवाई गई. भारत में 5,453 केंद्रों पर परीक्षा का आयोजन किया गया. परीक्षा एक ही पाली में दोपहर 2 बजे से 5 बजे तक ली गई. परीक्षा के बाद छात्र और एजुकेशन एक्सपर्ट्स ने कहा कि इस बार पेपर बहुत कठिन थे. 

इस बार परीक्षा में एक अहम बदलाव किया गया था. हर साल जहां आमतौर पर 24 पेपर सेट होते थे, वहीं इस बार केवल चार सेट जारी किए गए थे. ये चारों सेट अपेक्षाकृत अधिक कठिन थे. हालांकि बायोलॉजी सेक्शन NCERT सिलेबस के अनुरूप था, लेकिन इसमें पूछे गए प्रश्न अवधारणात्मक (कॉन्सेप्चुअल) और परोक्ष रूप से शब्दांकित थे, जिनका उद्देश्य रटने के बजाय समझ का मूल्यांकन करना था. 

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परीक्षा एक ही पाली में हुई
Photo Credit: PTI

फिजिक्स के सवाल सबसे कठिन

फिजिक्स के सवाल सबसे कठिन थे.कई छात्रों ने बताया कि फिजिक्स, खासकर मॉडर्न फिजिक्स, इलेक्ट्रोडायनेमिक्स और थर्मोडायनमिक्स जैसे विषयों में कठिनाई के कारण समय प्रबंधन एक बड़ी चुनौती बन गया था. 

कोटा में मोशन कोचिंग संस्थान के सीईओ और संस्थापक नितिन विजय ने कहा, "NEET 2025 में स्पष्ट रूप से एक नई सोच देखी गई है. अब केवल किताब की पंक्तियाँ रट लेने से काम नहीं चलेगा. परीक्षा इस बार परिपक्वता, स्पष्ट सोच और डॉक्टर की तरह सोचने की क्षमता पर केंद्रित थी." 

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नीट परीक्षा में लगभग 21 लाख परीक्षार्थी बैठे
Photo Credit: PTI

कट ऑफ़ पर होगा असर

विशेषज्ञों का मानना है कि फिजिक्स के सवालों के कठिन होने से इस वर्ष के कट-ऑफ पर असर पड़ सकता है. हालांकि, केमिस्ट्री और बायोलॉजी सेक्शन के सवाल सहज थे जिससे उन छात्रों का प्रदर्शन संतुलित हो सकता है, जिन्होंने सभी विषयों की ठोस तैयारी की है.

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कोटा के एलन कोचिंक के निदेशक डॉ. बृजेश माहेश्वरी ने बताया कि इस बार नीट की परीक्षा अब तक की सबसे कठिन परीक्षा थी. उन्होंने कहा,"परीक्षा में कोविड के पहले का पेपर पैटर्न लागू किया गया. काफी घुमा-फिराकर सवाल पूछे गए,जिससे परीक्षार्थियों के लिए हाई स्कोर हासिल करना कठिन रहेगा.  ऐसे में कटऑफ कम रहने की संभावना है." 

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