दो दिन पहले NEET अभ्यर्थी ने की थी आत्महत्या, कोटा पहुंचे परिजन बोले- 'छोटी उम्र में बच्चों को अकेला न छोड़ें' 

दादाबाड़ी थाना पुलिस ने जब घटनाक्रम के बाद मौके पर पहुंची थी तो छात्र का शव करीब 48 घंटे पहले कादिखाई दे रहा था. पिता प्रदीप शाह ने कहा कि हॉस्टल संचालक ने दो-तीन दिन तक बच्चों की कोई सुध नहीं ली. अगर उसके कमरे में सफाई या बच्चों की अटेंडेंस की प्रक्रिया सुचारू रूप से होती तो इस बारे में समय पर पता चल जाता और उसकी जान भी बचाई जा सकती थी.

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शनिवार को कोटा पहुंचे छात्र के परिजन

Kota News: कोटा में 2 दिन पहले नीट की तैयारी कर रहे हैं झारखंड के रहने वाले छात्र के सुसाइड के बाद आज झारखंड से उसके परिजन कोटा पहुंचे. दादाबाड़ी थाना पुलिस ने मृतक छात्र ऋषित के शव का पोस्टमार्टम करवा कर शव परिजनों को सौंप दिया. परिजनों ने अंतिम संस्कार भी कोटा में ही करवाया है. अचानक हुए इस घटनाक्रम के बाद परिवार सदमे में है.

पिता बोले, 'बच्चों को अकेले पढ़ाई के लिए ना छोड़ें'

भागलपुर में शिक्षा विभाग मैं कार्यरत पिता प्रदीप राय ने इस पूरे घटनाक्रम पर मीडिया से बातचीत में कहा है कि मेरे बेटे ने ऐसा कदम क्यों उठाया यह समझ नहीं आ रहा है उसको किसी बात की चिंता नहीं थी. हमने कभी पढ़ाई को लेकर कोई दबाव भी नहीं बनाया था. पिता ने कहा कि हमने तो हमारा बेटा खो दिया लेकिन मैं अभिभावकों से अपील करता हूं कि जब तक बच्चा मानसिक रूप से वयस्क नहीं हो जाता बच्चों को अकेले पढ़ाई के लिए ना छोड़े छोटी उम्र में बच्चों में भटकने का अंदेशा रहता हैं. उचित निर्णय लेने की स्थिति में नहीं होता इसलिए अभिभावक अपने बच्चों के साथ ही रहे ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति ना हो.

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हॉस्टल संचालक की लापरवाही आई सामने 

दादाबाड़ी थाना पुलिस ने जब घटनाक्रम के बाद मौके पर पहुंची थी तो छात्र का शव करीब 48 घंटे पहले का प्रतीत हो रहा था. पिता प्रदीप शाह ने कहा कि हॉस्टल संचालक ने दो-तीन दिन तक बच्चों की कोई सुध नहीं ली. अगर उसके कमरे में सफाई या बच्चों की अटेंडेंस की प्रक्रिया सुचारू रूप से होती तो इस बारे में समय पर पता चल जाता और उसकी जान भी बचाई जा सकती थी.k

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उन्होंने बताया कि मेरी पत्नी भी शिक्षिका है. उन्होंने 22 जून को बेटे को फोन किया था, लेकिन उसने फोन रिसीव नहीं किया इसके बाद 23 तारीख को मैंने स्वयं फोन किया तब भी बेटे ने फोन रिसीव नहीं किया. इसके बाद हमने तय किया कि कोटा जाकर बेटे को वापस लेकर आ जाएंगे. हम कोटा आने की तैयारी ही कर रहे थे कि इस तरह की दुखद खबर आई.

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