राजस्थान के सांगोद का न्हाण महोत्सव, जहां लोग रचते हैं रंग-बिरंगे स्वांग, 500 साल से चली आ रही परम्परा 

Rajasthan News: सांगोद के न्हाण लोकोत्सव में किन्नर समाज की विशेष भागीदारी भी देखने को मिलती है, जो बिना बुलाए हर साल यहां पहुंचते हैं और अपने नृत्य से इस आयोजन को खास बना देते हैं.

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सांगोद के न्हाण लोकोत्सव में हिस्सा लेती एक महिला (TIS)

Nhaan festival of Sangod in Rajasthan: राजस्थान अपनी विरासत और संस्कृति के लिए देश में अपनी अलग पहचान रखता है. यहां की लोक कलाएं लोक उत्सव आज भी विरासत की तरह संजोय हुए हैं. पीढ़ी दर पीढ़ी कैसे लोग संस्कृति को महफूज रखा जाता है. राजस्थान के कोटा के सांगोद कस्बे में पांच सौ साल पुरानी रियासतकालीन लोक संस्कृति की यह परम्परा आज भी जारी है. होली के ठीक बाद 5 दिनों तक चलने वाले यह लोक उत्सव रंगों की छटा बिखेरता है और हजारो लोग हर साल इसके साक्षी बनते है.

बादशाह की सवारी विशेष आकर्षण का केंद्र होती है

हर साल मनाया जाने वाला न्हाण लोकोत्सव अपनी भव्यता और अनोखी परंपराओं के लिए प्रसिद्ध है. इस उत्सव में दो पक्षों के लोग अलग-अलग अंदाज में स्वांग रचाकर लोक संस्कृति की जीवंत झलक प्रस्तुत करते हैं. दोनों पक्षों की ओर से निकाली जाने वाली बादशाह की सवारी विशेष आकर्षण का केंद्र होती है, जिसमें एक पक्ष का बादशाह पालकी पर सवार होता है, जबकि दूसरे पक्ष का बादशाह हाथी पर विराजमान रहता है.

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बादशाह की सवारी विशेष आकर्षण का केंद्र होती है

सवारी के आगे स्वांग स्वरूप, घोड़ों पर सवार अमीर-उमराव और कलाकारों की प्रस्तुतियां इसे और भव्य बनाती हैं. खास बात यह है कि बिना किसी आयोजन समिति या प्रचार-प्रसार के लाखों लोग इस उत्सव का हिस्सा बनते हैं.

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न्हाण लोकोत्सव को “जादुई नगरी” का उत्सव भी कहा जाता

न्हाण लोकोत्सव को “जादुई नगरी” का उत्सव भी कहा जाता है, क्योंकि इसमें स्थानीय कलाकारों द्वारा हैरतअंगेज जादूई करतब दिखाए जाते हैं. इन करतबों को देखकर दर्शक दांतों तले उंगलियां दबाने को मजबूर हो जाते हैं. इस दौरान ब्रह्माणी माता के आशीर्वाद से शुरू होने वाला पांच दिवसीय उत्सव भक्ति और मनोरंजन का अनोखा संगम प्रस्तुत करता है. उत्सव की सबसे पवित्र रस्मों में से एक भवानी की सवारी होती है, जो अलसुबह 4 बजे निकाली जाती है. भवानी के स्वरूप को देखकर श्रद्धालु भावविभोर हो जाते हैं और इसे साक्षात देवी का अवतरण मानकर आशीर्वाद प्राप्त करने उमड़ पड़ते हैं.

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लोग अलग-अलग स्वांग रचते हैं

बच्चे भी उमराव की वेशभूषा में नजर आते हैं

बादशाह की सवारी न्हाण लोकोत्सव का सबसे भव्य आयोजन होता है, जिसमें पीढ़ी दर पीढ़ी राजसी परिवारों के सदस्य उमराव और अमीरों की भूमिका निभाते हैं. इस परंपरा को निभाने की होड़ इस कदर रहती है कि हर परिवार के बच्चे भी उमराव की वेशभूषा में नजर आते हैं. बादशाह की सवारी में ऊंट, घोड़े और चरण दंपतियों की पारंपरिक झांकियां आकर्षण का केंद्र होती हैं.

इस दौरान बादशाह की शान में कसीदे पढ़े जाते हैं और राजसी प्रोटोकॉल को रियासतकालीन अंदाज में निभाया जाता है. सांगोद के इस उत्सव में किन्नर समाज की विशेष भागीदारी भी देखने को मिलती है, जो बिना बुलाए हर साल यहां पहुंचते हैं और अपने नृत्य से इस आयोजन को खास बना देते हैं.

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