राजस्थान के 180 अधिकारी घूस लेते रंगे हाथ पकड़े गए, फिर भी नहीं हुई कार्रवाई; 403 मामलों में मंजूरी के इंतजार में ACB

राजस्थान विधानसभा में बीजेपी विधायक कालीचरण सर्राफ के एक सवाल के जवाब में ACB की ओर से चौंकाने वाला आंकड़ा सामने आया है.

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ACB Action: राजस्थान में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) लगातार भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों पर शिकंजा कस रहा है. एसीबी भले ही अधिकारियों और कर्मचारियों को रंगे हाथ रिश्वत लेते पकड़ रहे हैं. लेकिन इसके बावजूद इन भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हो पाती है. ऐसा इसलिए कि इन भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति यानी मुकदमे की मंजूरी नहीं मिलती है. राजस्थान विधानसभा में बीजेपी विधायक कालीचरण सर्राफ के एक सवाल के जवाब में ACB की ओर से चौंकाने वाला आंकड़ा सामने आया है.

एसीबी ने बताया है कि पिछले दो साल में 403 अभियोजन की स्वीकृति नहीं मिली है. इनमें 180 मामले ऐसे है जिनमें अधिकारियों-कर्मचारियों को रंगे हाथ रिश्वत लेते हुए एसीबी ने ट्रैप किया. लेकिन ट्रैप करने के बावजूद एसीबी को जांच की अनुमति नहीं मिली है. 

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एसीबी ने बताया कि 1 जनवरी 2022 से 31 दिसंबर 2024 के दौरान एसीबी ने 1592 आरोपियों के खिलाफ अभियोजन की अनुमति मांगी और इनमें 1189 आरोपियों के खिलाफ अभियोजन की स्वीकृति मिली. 403 मामलों में स्वीकृति नहीं मिली. 

ACP और ज्वाइंट डायरेक्टर के खिलाफ करोड़ों के रिश्वत का मामला

SOG ACP दिव्या मित्तल को एसीबी ने 2023 में दो करोड़ रुपए के रिश्वत के मामले में गिरफ्तार किया था. एसीबी को अपनी शुरुआती जांच में दिव्या मित्तल के पास आय से अधिक संपत्ति का पता चला था. एसीबी ने मार्च 2023 में अभियोजन स्वीकृति की अनुमति मांगी थी. लेकिन वह अब तक लंबित है. मई 2023 में सचिवालय के योजना भवन से 2 करोड़ 31 लाख रुपए और 1 किलो सोना मिला था. इस मामले में आईटी डिपार्टमेंट के ज्वाइंट डायरेक्टर वेद प्रकाश यादव को पुलिस ने गिरफ्तार किया था. भ्रष्टाचार का मामला होने के कारण यह जांच एसीबी को सौंप दी गई थी. इस मामले में भी एसीबी को अभियोजन की स्वीकृति नहीं मिली है. 

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एसीबी के डीजी रवि प्रकाश मेहरड़ा कहते हैं कि पिछले कुछ समय से सरकार ने अभियोजन स्वीकृति देने के मामले में कई दिशानिर्देश जारी किए हैं. लेकिन अभी भी स्थिति संतोषप्रद नहीं हैं. एसीबी ने अपने जवाब में यह भी कहा कि कई बार विभाग जांच से संतुष्ट नहीं होता है. कई बार आरोपी न्यायालय से स्थगन ले लेते हैं. इसलिए प्रक्रिया लेट होती है. 

किस विभाग में कितने पेंडिंग केस

ट्रैप के मामलों में अभियोजन स्वीकृति के सबसे ज्यादा लंबित मामले स्वायत्त शासन विभाग में हैं. इनकी संख्या 36 है. राजस्व विभाग में 21 है. पंचायती राज विभाग में 17, पुलिस में 12, चिकित्सा विभाग में 11 और कार्मिक विभाग में 9 मामले लंबित हैं. सभी मामलों में पेंडेंसी के हिसाब से स्वायत्त शासन विभाग में 80, पंचायती राज विभाग में 69, कार्मिक विभाग में 59, राजस्व विभाग में 37, पुलिस में 21 मामले लंबित हैं. 

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