जैसलमेर में 10 साल बाद फिर रूपाराम और छोटू सिंह में मुकाबला, भाजपा और कांग्रेस ने उतारे पुराने ही प्रत्याशी

जैसलमेर विधानसभा में छोटू सिंह व रूपाराम 10 साल बाद चुनावी समर में एक बार फिर आमने-सामने होंगे, रूपाराम 2013 की हार का बदला ले पाएंगे या छोटू सिंह बाजी मारकर दोहराएंगे इतिहास.

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Rajasthan Assembly Election 2023: थार के रेगिस्तान के बीच बसे जैसलमेर शहर की तपिश भरी गर्मी का तो क्या ही कहना, लेकिन इस बार सियासी गर्मी ने सबकी निगाहें जैसलमेर पर टिका दी है. जैसलमेर विधानसभा सीट पर पहले भाजपा व कांग्रेस के प्रत्याशियों के चयन में विलम्ब हुआ. लम्बे इंतजार के बाद दोनों पार्टियों ने अपने पुराने खिलाड़ियों पर ही दाव खेला है तो रोचक मुकाबले की स्थिति बनी हुई है.

अब देखना दिलचस्प होगा कि 10 साल पहले हार का बदला रूपाराम ले पाएंगे या छोटू सिंह फिर बाजी मार लेंगे. इस पर सभी की निगाहें टिकी है.

कांग्रेस ने अपने वर्तमान विधायक रूपाराम धंदेव पर एक बार फिर भरोसा जताकर टिकट दिया है तो वही गुरुवार शाम भाजपा ने मास्टर स्ट्रॉक खेलते हुए लगातार दो बार विधायक रहे छोटू सिंह भाटी को टिकट दिया. 2013 में यह दोनों प्रत्याशी आमने सामने थे और 10 साल बाद एक बार फिर छोटू सिंह व रूपाराम चुनावी समर में एक दूसरे का मात देने की जुगत में जुट गए है.

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छोटू सिंह भाटी पर भाजपा ने जताया भरोसा 

भाजपा के प्रत्याशी छोटू सिंह भाटी बीजेपी के टिकट पर 2 बार चुनाव लड़ चुके हैं और दोनों ही बार चुनाव जीत कर विधानसभा पहुंचे. 2008 में भाटी ने जैसलमेर विधानसभा से कांग्रेस की सुनीता भाटी को करीब 6 हजार वोटों से हराया. वहीं साल 2013 में कांग्रेस के उम्मीदवार व वर्तमान विधायक रूपाराम धनदेव को करीब 2800 वोटों से हराया.

वे लगातार 2 बार विधायक रहे हैं. साल 2018 में उनकी टिकट काटकर बीजेपी के सांग सिंह भाटी को टिकट दिया गया, लेकिन सांग सिंह भाटी कांग्रेस के उम्मीदवार रूपाराम मेघवाल से चुनाव हार गए. इस बार चुनाव में बीजेपी के कई दावेदार टिकट के लिए तैयार थे. मगर बीजेपी ने तीसरी बार छोटू सिंह भाटी को टिकट देकर भरोसा जताया है.

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कांग्रेस ने रूपाराम धनदेव को उतारा मैदान में 

जैसलमेर सीट को लेकर कांग्रेस में लंबी जद्दोजहद चल रही थी. कर्नल मानवेंद्र सिंह व रूपाराम धनदेव के बीच टिकट को लेकर पेंच फंसा था. कांग्रेस राष्ट्रीय नेतृत्व के मंथन के बाद मंगलवार रात को प्रत्याशी घोषित किए जिसमें मानवेंद्र सिंह को सिवाना व जैसलमेर विधानसभा से एक बार फिर रूपाराम धनदेव पर भरोसा जताकर चुनावी समर में उतारा है.

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विधानसभा चुनावों में रूपाराम तीसरी बार कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ रहे है. 2013 में पीएचईडी से सेवानिवृत्ति लेकर 2013 का विधानसभा चुनाव कांग्रेस की तरफ से लड़ा, जिसमें वो भाजपा के छोटू सिंह से निकटतम अंतर से हार गए. इसके बाद विधानसभा चुनाव 2018 में दुबारा कांग्रेस से चुनाव लड़ा जिसमें उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी भाजपा के सांग सिंह भाटी को करीब 29778 हजार वोटों से हराया था.

10 साल बाद कितनी बदल पाई तस्वीर?

2008 से 2013 तक विधायक रहने के बाद छोटू सिंह ने 2013 का विधानसभा चुनाव कांग्रेस के नए चेहरे रूपाराम धंदेव के सामने लड़ा, माना जा रहा था कि एंटी-इनकम्बेंसी के चलते कांग्रेस जीत सकती है, लेकिन जब परिणाम आया तो उसे देखकर हर कोई आश्चर्यचकित हो गया.

छोटू सिंह भाटी एक बार फिर चुनाव जीते और रुपाराम को 2800 मतों से हार का सामना करना पड़ा. हालांकि 2018 में छोटू सिंह का टिकट कट गया और भाजपा के सांग सिंह को कांग्रेस के रूपाराम ने 29778 वोटों से हरा दिया. 

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