Rajasthan Politics : 25 सितंबर की वो तारीख जब पायलट सीएम बनने से चूके, गहलोत राष्ट्रीय अध्यक्ष की दौड़ से हो गए थे बाहर

आज से ठीक 2 साल पहले 25 सितंबर 2022 को राजस्थान में अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) सरकार पर संकट गहराने लगा था. आलाकमान के निर्देश पर कांग्रेस के दो पर्यवेक्षक मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन विधायकों की बैठक लेने जयपुर आए थे, लेकिन अचानक ही 82 कांग्रेस विधायकों ने इस्तीफा दे दिया.

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Rajasthan Politics : पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के दौरान पार्टी के दो नेताओं के बीच मतभेद की खबरें काफी सुर्खियों में रहीं. पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट (Sachin Pilot) के बीच खींचतान खुलकर सामने आई. इसकी शुरूआत 12 जुलाई 2020 को हुई जब पायलट समेत 19 विधायक ने सरकार के खिलाफ बगावत कर दी और मानेसर स्थित रिजॉर्ट में चले गए. इसके बाद तत्कालीन सरकार के अल्पमत में होने का दावा किया जाने लगा. इस 'मानेसर एपिसोड' ने दोनों नेताओं के बीच कलह को पूरी तरह खोलकर रख दिया था. इस घटनाक्रम के 2 साल बाद एक बार फिर बगावत हुई. अबकी बार बगावत गहलोत खेमे ने की.

आज से ठीक 2 साल पहले 25 सितम्बर, 2022 को फिर से सरकार पर संकट गहराने लगा. जब आलाकमान के निर्देश पर पार्टी के दो पर्यवेक्षक मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन विधायकों की बैठक लेने जयपुर आए थे. लेकिन अचानक ही सत्तारूढ़ दल के 82 विधायकों ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया, जिसके बाद सियासी भूचाल आ गया. 

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आखिर क्या हुआ था उस रात...

दरअसल, 8 अक्टूबर 2022 को कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव हुआ. मल्लिकार्जुन खड़गे के चुने जाने के पहले इस पद के लिए अशोक गहलोत के दावेदार होने की चर्चाएं थीं. ऐसे में पार्टी हाईकमान राजस्थान में गहलोत के उत्तराधिकारी की तलाश में था. जिसके बाद खड़गे और माकन को पर्यवेक्षक बनाकर जयपुर भेजा गया था. वहां सीएम आवास में विधायक दल की बैठक होनी थी. जिसमें एक लाइन का प्रस्ताव पास कराए जाने की तैयारी थी. गहलोत खेमे के विधायकों का अंदरखाने कहना था कि पर्यवेक्षक अजय माकन एजेंडे के साथ जयपुर आए हैं. वे सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं. बैठक में एक लाइन का प्रस्ताव पारित करवाना चाहते हैं. हालांकि, पर्यवेक्षकों ने दावे को खारिज किया था. 

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गहलोत के तीन खास नेताओं ने कर दी थी बगावत 

गहलोत खेमे के विधायकों का कहना था कि सरकार के खिलाफ बगावत करने वाले मानेसर एपिसोड में शामिल 19 विधायकों में से किसी को सीएम नहीं बनाया जाए. जाहिर तौर पर निशाना सचिन पायलट ही थे. तभी आलाकमान की बैठक के समानांतर एक और बैठक बुलाई गई. तत्कालीन विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी 81 विधायकों के इस्तीफे लेकर गए थे, जिसमें पांच विधायकों के इस्तीफे की फोटोकॉपी थी. करीब 3 घंटे चले इस घटनाक्रम में मुख्य किरदार गहलोत के 3 खास नेताओं को माना गया, जिसमें शांति धारीवाल, महेश जोशी के साथ धर्मेंद्र राठौड़ पर भी आरोप लगे.

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यहां फंस गया था पेंच!

अंदरखाने चर्चा यह भी थी कि पूर्व मुख्यमंत्री के समर्थक विधायकों का कहना था कि गहलोत को पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने दें, उसके बाद हाईकमान जो भी फैसला करेगा, वह स्वीकार्य होगा. अन्य विधायकों का भी यही कहना है कि पहले गहलोत को पार्टी का अध्यक्ष बनने दिए जाए. लेकिन पेंच यही फंस गया था. क्योंकि आलाकमान अध्यक्ष पद के चुनाव से पहले सीएम फेस तय करना चाहता था. दूसरी ओर, पायलट खेमा जानता था कि गहलोत के अध्यक्ष बन जाने के बाद स्थिति हाथ से निकल सकती है. 

पूर्व कैबिनेट मंत्री ने आलाकमान को दिखाई दी आंख!

जहां रातभर दोनों पर्यवेक्षक विधायकों का इंतजार कर रहे थे. वहीं, दूसरी ओर बयानबाजी का दौर भी जारी था. इस दौरान पूर्व कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि सीएम अशोक गहलोत के पार्टी अध्यक्ष बनने के बाद सीएम बदलने की बात होगी. 102 विधायकों में से कोई भी मुख्यमंत्री बन सकता है. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी और अशोक गहलोत इसका फैसला करेंगे. 

प्रताप सिंह खाचरियावास ने संख्याबल की बात कहते हुए कहा था कि सीएम गहलोत विधायकों की सलाह पर ध्यान दें. हमारे पास 92 विधायक हैं. सभी विधायक गुस्से में हैं और इस्तीफा दे रहे हैं. हम इसके लिए पार्टी अध्यक्ष के पास जा रहे हैं. विधायक इस बात से खफा हैं कि सीएम अशोक गहलोत उनसे सलाह किए बिना फैसला कैसे ले सकते हैं.

सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद इस बात से किनारा कर गए गहलोत

कुछ ही दिन बाद वह दिल्ली पहुंचकर उन्होंने सोनिया गांधी से मुलाकात की. अध्यक्ष पद की दौड़ में आगे बताए जा रहे अशोक गहलोत ने सोनिया गांधी से मिलने के बाद ऐलान कर दिया कि वो कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव नहीं लड़ेंगे. 

गहलोत ने इस मामले पर बयान जारी करते हुए कहा था कि जब मैंने प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष गोविंद डोटासरा को विधायकों को समझाने के लिए भेजा था तो वे (इस्तीफा देने वाले विधायक) इस बात से बहुत नाराज थे कि राजस्थान में अकेले रहने से उनका क्या होगा? विधायक दल का नेता होने के नाते जो हुआ, उसकी मैं जिम्मेदारी लेता हूं.

"अच्छा होता उस दिन मीटिंग..." पायलट का था ये रिएक्शन

इसी साल लोकसभा चुनाव में प्रचार के दौरान सचिन पायलट ने इसे लेकर एक बार फिर प्रतिक्रिया दी थी. उन्होंने न्यूज एजेंसी एएनआई को दिए इंटरव्यू में कहा था "25 सितंबर को ऑब्जर्वर जयपुर आए. लेकिन किसी कारणवश मीटिंग नहीं हो पाई. विधायकों से बात करने के लिए दिल्ली से खड़ग जी और अजय माकन जयपुर आए थे. कांग्रेस की सीएलपी मीटिंग नहीं हो पाई. पता नहीं उस मीटिंग से क्या रिजल्ट निकलकर आता." पायलट ने कहा था कि अच्छा होता अगर वह मीटिंग हो जाती.

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