डीग में चला ऑपरेशन एंटीवायरस, सेक्सटॉर्शन और फर्जी विज्ञापनों से ठगी करने वाले 61 गिरफ्तार

ठग फर्जी सिम लेकर एक नकली लड़की के नाम से सोशल मीडिया अकाउंट बनाते और युवकों से बातचीत कर वीडियो कॉल के जरिए फर्जी अश्लील वीडियो दिखाकर उनका वीडियो रिकॉर्ड कर लेते थे. बाद में वीडियो वायरल करने की धमकी देकर लाखों रुपये वसूलते थे.

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पुलिस की गिरफ्त में ठग

Operation Antivirus: ऑपरेशन एंटीवायरस अभियान के तहत डीग पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए सर्च ऑपरेशन चलाकर 61 साइबर ठगों को गिरफ्तार किया है. पुलिस ने मौके से 33 मोबाइल फोन, 65 सिम कार्ड, 22 एटीएम कार्ड और लग्जरी गाड़ियां जप्त की हैं. यह कार्रवाई 1930 साइबर पोर्टल पर दर्ज शिकायतों के आधार पर की गई. एसपी ओमप्रकाश मीणा के निर्देशन में यह सर्च ऑपरेशन डीग जिले के कामा क्षेत्र के हेबतका और नवदा गांवों में चलाया गया.

भोले-भाले लोगों को ठगी का शिकार बनाते थे

एसपी ओमप्रकाश मीणा ने बताया कि राजस्थान डीजीपी और आईजी कैलाश बिश्नोई के निर्देशन में साइबर अपराधियों के खिलाफ “ऑपरेशन एंटीवायरस” अभियान चलाया जा रहा है. इसी के तहत डीग पुलिस ने 5 घंटे तक चले सर्च ऑपरेशन में 61 ठगों को पकड़ा. ये सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक्टिव रहकर भोले-भाले लोगों को ठगी का शिकार बनाते थे. एसपी मीणा ने बताया कि पिछले तीन महीनों में अब तक करीब 600 साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया गया है, जिससे साइबर ठगी के मामलों में उल्लेखनीय कमी आई है. पिछले साल की तुलना में साइबर फ्रॉड की लोकेशन ट्रैकिंग 42 हजार से घटकर अब लगभग चौथाई रह गई है.

फर्जी विज्ञापन डालकर ठगी

ठगी के तौर-तरीके भी बेहद चौंकाने वाले हैं. आरोपी सोशल मीडिया पर विभिन्न प्रकार के नुस्खे अपनाकर लोगों को फंसाते थे, जैसे सैक्स टॉर्शन, गरीबों की सहायता के नाम पर ठगी, फर्जी विज्ञापन डालकर ठगी और सवाल का जवाब दो, गिफ्ट पाओ जैसी चालें. अधिकांश पकड़े गए आरोपी 16 से 21 वर्ष की उम्र के हैं, जो अशिक्षित होने के बावजूद शिक्षित लोगों को मिनटों में चूना लगा देते थे. 

अश्लील वीडियो दिखाकर उनका वीडियो रिकॉर्ड कर लेते

सेक्सटॉर्शन का तरीका सबसे आम पाया गया. ठग फर्जी सिम लेकर एक नकली लड़की के नाम से सोशल मीडिया अकाउंट बनाते और युवकों से बातचीत कर वीडियो कॉल के जरिए फर्जी अश्लील वीडियो दिखाकर उनका वीडियो रिकॉर्ड कर लेते थे. बाद में वीडियो वायरल करने की धमकी देकर लाखों रुपये वसूलते थे. वहीं, गरीबों की सहायता के नाम पर फर्जी वेबसाइट बनाकर रजिस्ट्रेशन फीस के बहाने लोगों से पैसे ऐंठे जाते थे.

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इसके अलावा फर्जी विज्ञापन डालकर सस्ती गाड़ियां और कपड़े बेचने के नाम पर भी ठगी की जाती थी. पुलिस के अनुसार, पकड़े गए ठग अब तक दिल्ली, हरियाणा, गुजरात, मध्यप्रदेश, असम और पंजाब सहित आधा दर्जन राज्यों के लोगों को शिकार बना चुके हैं.

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